Sunday, November 24, 2024
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योग मनुष्य में सकारात्मकता और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और आत्मबल को मजबूत करता है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र

by Newz Dex
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य योग मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय योग संवाद कार्यक्रम का शुभारम्भ

न्यूज ड़ेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। योग भारतीय ज्ञान की हजारों वर्ष पुरानी शैली है। हजारों मूर्तियाँ इसके संबंध में योग की स्थिति में अभी तक प्रमाणिक रूप में है। भगवत गीता में अनेकों बार योग शब्द का उल्लेख किया गया है। योग के साक्ष्य सिंधु घाटी, वैदिक सभ्यता सहित बौद्ध एवं जैन दर्शन में किसी-न-किसी रूप में प्राप्त हुआ है। योग मनुष्य में सकारात्मकता और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। योग मनुष्य जीवन की विसंगतियों पर नियंत्रण का माध्यम है।आज विश्वभर में योग का परचम लहरा रहा है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने अंतराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय योग संवाद कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर व्यक्त किये।

कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण, पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने साधको को कुछ महत्वपूर्ण योग क्रियाये भी कराई। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्त्व है। आध्यात्मिक उन्नति या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये योग की आवश्यकता एवं महत्त्व को प्राय: सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक संप्रदायों द्वारा एकमत से स्वीकार किया गया है। जैन और बौद्ध दर्शनों में भी योग के महत्त्व को स्वीकृति प्राप्त है। वर्तमान समय अर्थात् आधुनिक युग में योग के महत्त्व में और अधिक अभिवृद्धि हुई है। मनुष्यों में बढ़ती व्यस्तता एवं मन की व्याकुलता इसके प्रमुख कारणों में से हैं। आधुनिक मनुष्य को आज योग की अत्यधिक आवश्यकता हो गई है। मन और शरीर अत्यधिक तनाव, प्रदूषण एवं भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण रोगग्रस्त होते जा रहे हैं। व्यक्ति के अंतर्मुखी और बहिर्मुखी स्थिति में असंतुलन आ गया है।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आज आधुनिक मनुष्य को योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है। अंतरिक्ष में योग का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि मनुष्यजाति को अब और आगे प्रगति करना है तो योग सीखना ही होगा। अंतरिक्ष में जाना है, नए ग्रहों की खोज करना है। शरीर और मन को स्वस्थ और संतुलित रखते हुए अंतरिक्ष में लम्बा समय बिताना है तो विज्ञान को योग की महत्ता और महत्व को समझना होगा। कार्यक्रम में आश्रम के ब्रम्हचारी, सदस्य सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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