Friday, November 22, 2024
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मनुष्य को योग साधना के द्वारा ही आत्म साक्षत्कार, आत्मदर्शन, तत्वदर्शन, दिव्यदर्शन होता है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र

by Newz Dex
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस योग संवाद कार्यक्रम संपन्न।

न्यूज़ डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। यदि योग विद्या को मानव धर्म से अलग कर दिया जाए, तो मानव जाति का उद्वार सम्भव नहीं। योग मानव जाति के लिए वह दिव्य चक्षु है, जिससे प्राप्त योग, दिव्य दृष्टि द्वारा सृष्टि के गूढ़तम रहस्यों को जाना जा सकता है। इसी योग साधना के द्वारा ही आत्म साक्षत्कार, आत्मदर्शन, तत्वदर्शन, दिव्यदर्शन होता है । यह विचार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस योग संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ सर्व मंगल के निमित्त प्रार्थना से हुआ। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा योग व्यक्ति को अनुशासित, विवेकी और कर्मठ बनाता है। इसका मूल उद्देश्य समाज को समरस बनाकर समाज और राष्ट्र की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करना है।योग पंथ या संप्रदाय केंद्रित नहीं है, बल्कि यह समस्त प्राणियों और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व की सीख देता है। योग के माध्यम से शरीर, विचार और संयम से शरीर और मानसिक आनंद के बीच समरूपता लाया जा सकता है।
योग के माध्यम से ही प्रकृति और मनुष्य के मध्य अनुकूलता को बढ़ाया जा सकता है। योग के द्वारा ही स्वास्थ्य और समृद्ध रहा जा सकता है और योग के जरिए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले खतरे से निपटा जा सकता है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा योग को महज शारीरिक व्यायाम और श्वास- क्रिया तक ही सीमित मानना गलत है। बल्कि शारीरिक व्यायाम और श्वास-क्रिया, जिसे आजकल हम योग समझते हैं, योग का सिर्फ एक हिस्सा भर है। भारतीय षड्दर्शन में एक महत्वपूर्ण दर्शन है- योगदर्शन। योगदर्शन ही विश्व का एकमात्र दर्शन है जिसमें अध्यात्म के प्रयोगात्मक पक्ष का वर्णन किया गया है। यूनेस्को के अनुसार योग शरीर, मन व आत्मा के समन्वय पर आधारित एक ऐसी पद्धति है, जो शारीरिक, मानसिक व आत्मिक उत्थान का कारक तो है ही, साथ ही साथ सामाजिक विकास का भी अभिन्न अंग है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा हमारे युग की बढ़ती हुई समस्याओं में मादक, नशीले पदार्थों का सेवन है। यह सामाजिक बीमारी का एक साफ लक्षण है। “दैनिक जीवन में योग” की प्रणाली इस रोग का शमन या निरोध करने में सहायक हो सकती है और समाज को एक नया, सार्थक उद्देश्य और जीवन में प्रयोजन प्रदान कर सकती है। योग संवाद कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ योगभ्यास के लिए ब्रम्हचारी विश्वास को स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मिशन के सदस्य, विद्यार्थी एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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