Friday, November 22, 2024
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ये वक्त “हल्ला बोल“ के लिए नहीं,समस्या का हल खोजने का

by Newz Dex
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न्यूज डेक्स संवाददाता

चंडीगढ़।देश के कई राज्य फिलवक्त प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे हैं। संभव है कि कुछ जगहों पर संकट प्राकृतिक आपदा के साथ सिस्टम के नाकारेपन से बिगड़े हों,मगर यह नाजुक वक्त हल्ला बोल करने का नहीं,हल खोजने का है। विकट समस्या का सामना सभी के सहयोग से ही संभव है। जनप्रतिनिधियों और शासन प्रशासन के प्रति उबाल दिखाने से फिलहाल कुछ होने वाला नहीं है।सही मायने में इस तरह के हालात युद्ध की घड़ी जैसे हैं,जब सब कुछ भूल कर सामने वाले दुश्मन का मिलजुल कर मुकाबला करने से ही कुछ बेहतर होगा। इस समय नारेबाजी और थप्पड़बाजी से कुछ हल नहीं निकलेगा। हां,कुछ हद तक इस तरह की घटनाओं से तैयारियों और व्यवस्थाओं में जुड़ी मशीनरी में डर जरूर बैठ सकता है।

खासकर गुहला विधानसभा क्षेत्र के बुजुर्ग विधायक ईश्वर सिंह के साथ जो हुआ,उस तरह की घटना उन नेताओं के लिए दुबकने का अवसर दे सकती है,जो कि पब्लिक के रवैए का बिल फाड़ कर पहले से ही बिलों में छुपे हैं। कई जगहों पर जनप्रतिनिधियों के ग्राउंड जीरो पर नहीं पहुंचने से लोगों में गुस्सा है। तरह तरह की चर्चाएं फैल रही है। हालांकि कुछ जगहों पर यह भी कहा जा रहा है कि जो जनप्रतिनिधि ग्राउंड जीरो पर नहीं दिख रहे हैं,वह इन हालात में समस्याओं का हल खोजने के लिए कोई प्लानिंग तैयार कर रहे हैं। मगर पब्लिक की इस टीस से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि जो अगर उनके जनप्रतिनिधि उनके संकट की घड़ी में ही नदारद हैं तो वह क्या वे मतदान और रैलियों को सफल बनाने के लिए ही उनसे संपर्क करेंगे। हालांकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई बड़े चेहरे ग्राउंड जीरो पर पहुंच कर राहत देने की घोषणाएं और जनसंपर्क अभियान चलाए हुए हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं,धार्मिक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से सहयोग की अपील की जा रही है।

नाले,नालियां,नहरों,नदियों इत्यादि की समय पर सफाई क्यों नहीं हुई ? अभी यह सवाल खड़े करने की बजाए,सभी को मिलजुल कर समस्या से निपटने के लिए तत्पर रहना होगा। बड़ी संख्या में लोग यह कर भी रहे हैं। हां कई जगहों पर अधिकारी और नेतागण पब्लिक के बीच खड़े होकर यह कहने से बाज नहीं आते कि वह इन हालात में क्या कर सकते हैं। इस तरह के बोल बच्चन अगर पब्लिक के कानों तक ना जाएं,यह नेताओं और अधिकारियों को भी समझने की आवश्यकता है,क्योंकि गर्मी और उमस के बीच संकट की इस घड़ी में खास कर जब त्राहिमाम मच रहा हो,इस स्थिति में किसका धैर्य कब टूट सकता है,कहा नहीं जा सकता। विशेषकर भारी क्षति झेल चुके लोगों से। कई बार इस तरह के हालात में शरारती तत्व भी खेल कर देते हैं,इनके खेल से बचने के लिए शासन प्रशासन को नजर रखने की आवश्यकता है।

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