Friday, November 22, 2024
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हथिनीकुंड बैराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़ेने के आरोप भ्रामक: देवेंद्र सिंह

by Newz Dex
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हरियाणा के मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के पत्र का दिया जवाब

कहा- यमुना नदी के जलस्तर बढ़ने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री का पत्र आधारहीन और तथ्यों से परे

हथिनीकुंड एक बैराज है डैम नहीं, इसलिए पानी छोड़ने की मात्रा नहीं की जा सकती नियंत्रित

न्यूज डेक्स संवाददाता

चंडीगढ़। रिटायर्ड आईएएस और हरियाणा के मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) देवेंद्र सिंह ने कहा कि यमुना नदी के जलस्तर बढ़ने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल आधारहीन और तथ्यों से परे बात कर रहे हैं। हथिनी कुंड बैराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने से यमुना का जलस्तर बढ़ने के उनके आरोप पूरी तरह से भ्रामक हैं। ऐसा लगता है उनके अधिकारियों ने उन्हें सत्यता एवं तथ्यों से अवगत नहीं करवाया। उन्होंने कहा कि अरविन्द केजरीवाल ने इस संबंध में जो पत्र गृह मंत्री, भारत सरकार को लिखा है उसमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है।

देवेंद्र सिंह ने बताया कि वास्तविकता यह है कि हथिनीकुंड पर बनी संरचना एक बैराज है जोकि केवल पानी को डाइवर्ट / रेगुलेट करने के लिए है। पानी को सीमित मात्रा में केवल किसी बांध से संचालित किया जा सकता है, बैराज से नहीं। यहाँ यह भी बताना अति आवश्यक है कि केंद्रीय जल आयोग के दिशा-निर्देशों अनुसार जो पानी हथिनीकुंड बैराज की सुरक्षा हेतु यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है, यह पानी हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में हुई अत्यधिक वर्षा का पानी है। इस पानी के कारण हरियाणा के यमुनानगर, करनाल, पानीपत व सोनीपत में भूमि कटाव और जलभराव हुआ है, जिससे राज्य को भारी जानमाल का नुकसान वहन करना पड़ रहा है। यदि सीमित मात्रा में पानी छोड़ने का कोई प्रावधान होता तो यह हरियाणा राज्य के हित में भी होता।

उल्लेखनीय है कि हथिनीकुंड बैराज यमुना नदी पर यमुनानगर में स्थित बैराज है। यह बैराज वर्ष 1998 – 2000 के दौरान पहले बने हुए ताजेवाला बैराज की रिप्लेसमेंट के लिए बनाया गया था। हथिनीकुंड पर स्थित संरचना / एक ढांचा बैराज है, जहां से पार्टनर राज्यों को 1994 के समझौता / ज्ञापन अनुसार पानी की आपूर्ति की जाती है। हथिनीकुंड बैराज का डिजाइन सीडब्ल्यूसी द्वारा किया गया था। इस बैराज में पानी को स्टोर करने का कोई तरीका नहीं है। सीडब्ल्यूसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसमें एक लाख क्यूसेक से ज्यादा मात्रा में पानी आने पर पानी स्वतः यमुना नदी में चला जाता है। अगर बैराज में आए पानी को रोकने का प्रयास किया जाए तो यह बैराज के सभी गेटों को क्षतिग्रस्त कर सकता है और यह पानी भयंकर बाढ़ में तब्दील होकर हरियाणा और दिल्ली में भारी तबाही मचा सकता है।

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