मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा पवित्र श्रावण मास के उपलक्ष्य में लोक मंगल के निमित्त रुद्राभिषेक एवं शिव संवाद कार्यक्रम संपन्न
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। शिव कल्याण के प्रतीक हैं और शिव की उपासना का अर्थ मनुष्य की कल्याणकारी कामना की चिरसाधना है।शिव देवताओं के भी आराध्य हैं और दैत्य भी उनकी भक्ति में लीन दर्शाए गए हैं।भगवान शिव के शीश पर संस्थित गंगा जीवन में जल के महत्व का प्रतीक हैं। शिव कल्याण के प्रतीक हैं और शिव की उपासना का अर्थ मनुष्य की कल्याणकारी कामना की चिरसाधना है. इसलिए शिव कल्याण के प्रतीक हैं और शिव की उपासना का अर्थ मनुष्य की कल्याणकारी कामना की चिरसाधना जो। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने पवित्र श्रावण मास के उपलक्ष्य मे मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित शिव संवाद कार्यक्रम मे व्यक्त किये। मातृभूमि सेवा मिशन के ब्राम्हचारियों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर लोकमंगल की प्रार्थना की। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थिओ ने भूतभावन भगवान शिव ही प्रदेश देश में आयी प्राकृतिक आपदा मन शीघ्र समाप्ति और इस आपदा में प्रभावित लोगों के सर्वमंगल की प्रार्थना किया।विद्यार्थिओ ने वैदिक मंत्रो से भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा शिव का श्मशान-वास उनकी वैराग्य-वृत्ति का प्रतीक है. कल्याण की प्राप्ति उसी के लिए संभव है जो सर्वसमर्थ होकर भी उपलब्धियों के उपभोग के प्रति अनासक्त है. मानसिक शांति उसी को मिल सकती है जो वैभव-विलास से दूर एकांत में शांतचित्त से ईश्वर का भजन करने में रुचि लेता है। जिसकी आवश्यकताएं न्यूनतम हैं वही शिव हो सकता है। लौकिक इच्छाओं और भौतिक संपत्तियों से घिर कर शिव नहीं बना जा सकता। लोक का कल्याण नहीं किया जा सकता।अतः शिवत्व की प्राप्ति के लिए वीतरागी बनना अनिवार्यता है।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा शिव मानसिक शांति के प्रतीक हैं. शिव का विषपान सामाजिक जीवन में व्याप्त विषमताओं और विकृतियों को पचाकर भी लोककल्याण के अमृत को प्राप्त करने की प्रक्रिया का जारी रखना है। समाज में सब अपने लिए शुभ की कामना करते हैं। अशुभ और अनिष्टकारी स्थितियों को कोई स्वीकार करना नहीं चाहता. सुविधा सब को चाहिए पर असुविधाओं में जीने को कोई तैयार नहीं. यश, पद और लाभ के अमृत का पान करने के लिए सब आतुर मिलते हैं किंतु संघर्ष का हलाहल पीने को कोई आगे आना नहीं चाहता. वर्गों और समूहों में बटे समाज के मध्य उत्पन्न संघर्ष के हलाहल का पान लोककल्याण के लिए समर्पित शिव अर्थात वही व्यक्ति कर सकता है जो लोकहित के लिए अपना जीवन दांव पर लगाने को तैयार हो और जिसमें अपयश, असुविधा जैसी समस्त अवांछित स्थितियों का सामना करके भी स्वयं को सुरक्षित बचा ले जाने की अद्भुत क्षमता है। शिव समन्वयकारी शक्ति हैं।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भगवान शिव के शीश पर संस्थित गंगा जीवन में जल के महत्व का प्रतीक हैं. कल्याण चाहने वाले को जल स्रोतों का संरक्षण-संवर्धन करना होगा. जलशक्ति की प्रतीक गंगा को महत्व दिए बिना, नदियों जलाशयों कूपों आदि जल स्त्रोतों की पवित्रता का संरक्षण किए बिना जीवन की सामान्य आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो सकतीं है। प्रदूषित जल जीवन के लिए अभिशाप ही सिद्ध होगा. अतः उसकी पवित्रता बनाए रखना मनुष्य का दायित्व है। गंगा को शिव ने सिर पर धारण किया है। सिर पर वही वस्तु-पदार्थ धारण किया जाता है जो पवित्र हो, महत्वपूर्ण हो और सम्मान के योग्य हो. इस प्रकार शिव द्वारा सिर पर गंगा का धारण किया जाना जीवन में जल के महत्व का स्पष्ट संदेश है। कार्यक्रम का समापन शांतिपाठ से हुआ। कार्यक्रम में आश्रम के विद्यार्थी, ब्रम्हचारी, सदस्य एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।