मुख्यमंत्री राहत कोष के दरवाजे हरियाणा के बाढ़ पीड़ितों से लिए खोले जाएं: चित्रा सरवारा
अंबाला को सिर्फ प्राकृतिक आपदा ने नहीं, प्रशासनिक और प्लानिंग-आपदा ने भी डुबाया: चित्रा सरवारा
30 साल अंबाला की नुमांइदगी अनिल विज ने की, उनका विकास माडल ‘डेवलपमेंट’ कम और ‘डेकोरेशन’ ज्यादा : चित्रा नरवारा
प्रभावित इलाकों का अगले एक साल का बिजली व पानी का बिल माफ हो: चित्रा सरवारा
अगले तीन महीने तक सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बच्चो की फीस माफ करे सरकार: चित्रा सरवारा
साइंस, मिक्सी और कांच उद्योग, व्यापारियों और आमजन को ब्याज मुक्त आर्थिक रियायत और मदद दे सरकार: चित्रा सरवारा
न्यूज डेक्स संवाददाता
अंबाला। आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा ने सोमवार को एक निजी होटल में पत्रकारवार्ता की। उन्होंने कहा की पिछले दिनों की भयंकर बाढ़ और लाखों एकड़ भूमि बाढ़ में डूब गई है, चौतरफा विनाश को देखते हुए प्रदेश सरकार हरियाणा के प्रभावित इलाकों को बाढ़-ग्रस्त घोषित करे, और हर मुमकिन राहत कोष-प्रधानमंत्री रिलीफ फण्ड, मुख्यमंत्री बाढ़ राहत कोष, सेंटर के रिलीफ फंड, को जोड़ते हुए इलाके को राहत और मदद मुहैया करवाए। साथ ही में प्रदेश सरकार सभी आर्थिक व प्रशासनिक संस्थाओं को आपातकालीन प्रावधान के तहत राहत और पुनर्वास के लिए मदद करने के निर्देश दे। प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष के दरवाजे हरियाणा के बाढ़ पीड़ितों से लिए खोले जाएं और चौतरफा हुए नुकसान का युद्धस्तर पर आंकलन कर लोगों को मुआवजा और मदद मिले।
प्रदेश की भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए चित्रा ने कहा बड़े दुख की बात है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री से हल ही में मुलाकात लेकिन ना कोई राहत का पैकेज लाए ना कोई खास घोषणा करी । इलाकों में भी मात्र हवाई दौरा कर उन्होंने साफ़ कर दिया कि आज भाजपा सरकार हवा में है, जमीन पर नहीं।
गृहमंत्री और स्थानीय विधायक अनिल विज जी के बयान कि अम्बाला में पिछली बाढ़ अड़तालीस साल पहले आयी थी पर टिप्पणी करते हुए चित्रा ने कहा की दुख की बात है इन 48 सालों में निकासी पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। गौर की बात ये है कि अड़तालीस सालों में से तीस साल अम्बाला की नुमांइदगी अनिल विज जी ने करी है लेकिन उनका विकास माडल ‘डेवलपमेंट’(विकास) पर कम और ‘डेकोरेशन’ (सजावट) पर ज्यादा केंद्रित रहा है। चित्रा ने कहा की हज़ारों करोड़ रुपये के गेट,पार्क,चौक,फव्वारे और स्मारक बनाय गए हैं लेकिन अम्बाला की तीन मूलभूत समस्याएं-ड्रेनेज(निकासी), सीवरेज और गारबेज(कुड़ा) वही के वहीँ बने खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के आगे किसी का बस नहीं लेकिन अम्बाला को प्रशासनिक-आपदा और प्लानिंग-आपदा ने भी बराबर डुबोया। पार्क और स्मारकों को बनाने के लिए अम्बाला की सभी पुरानी डिग्गयां बंद कर दी गई जिससे इलाके की स्वभाविक निकासी खत्म हो गई। नए नाले बनाए गए लेकिन जमीन की ढलान को नजरअंदाज करते हुए नालो में ऊंचे पाइप डाल कर पुलिया बनाई गई उस ऊंचे पुल पर बांध बनाकर हाउसिंग बोर्ड जैसे रिहायशी इलाकों को पूरी तरह डूबा दिया गया।मिट्टी ना निकाले जाने की वज़ह से नदी के स्तर ऊंचा था और बंधे के दोनों तरफ पक्के तटबंधों की कमी ने घर,फैक्ट्री,खेत लपेट में ले लिए। बीडी फ्लोर मिल इलाके में लगे चार पानी लिफ्ट पंप और पम्प करने वाले पम्पों में से दो ही बरसात में चलते दिखे। इन प्रशासनिक और प्लानिंग-आपदा के कारकों ने मिलकर अम्बाला की आपदा को दोगुनी से चौगुनी कर दिया।
चित्रा सरवारा ने बताया की बाढ़ पीड़ितों के बीच टीम के साथ जाकर मुलाकात करी तो उनकी परेशानियों को आँखों से देखने का मौका मिला। अम्बाला देश और प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है जहां साइंस,मिक्सी और कांच उद्योग के छोटे- बड़े यूनिट बाढ़ के कारण अभूतपूर्व तबाही झेल रहे हैं।अम्बाला में एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मार्किट भी है और हर स्तर का दुकानदार और विक्रेता आज तबाह खड़ा है। किसान,डेयरी संचालक और आमजन की हालत दूभर है। अभी भी ऐसे कईं इलाके हैं जहां सामान और संपर्क नहीं पहुंच पा रहा है।उन्होंने प्रदेश के हालातों को देखते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी मांग करती है कि
हरियाणा में प्रभावित इलाकों को बाढ़ग्रस्त घोषित कर प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष के साथ-साथ प्रदेश और सेंटर की हर राहत/सुविधा मुहैया करायी जाएI