Friday, November 22, 2024
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बाजरे के पकवानों का भी लुत्फ उठा सकेंगे बच्चे, मिड डे मिल योजना बनी बच्चों के लिये वरदान

by Newz Dex
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संदीप गौतम/ न्यूज डेक्स संवाददाता

करनाल। करीब दो दशक पहले एक दौर वह भी था जब सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले अधिकांश बच्चे घर से टिफिन लेकर आते थे। पौष्टिक भोजन के अभाव में कुछ बच्चों की सेहत भी प्रभावित होती थी।  ऐसे में सरकार ने 2004 में मिड डे मिल योजना शुरू की जो बच्चों के लिये वरदान साबित हो रही है। आने वाले सर्द मौसम में पहली बार बच्चे बाजरे से बने पकवान का स्वाद भी ले सकेंगे। इसके लिये 140 मीट्रिक टन की बाजरे की मांग का पत्र निदेशालय को भेजा गया है।

जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सदानंद वत्स के अनुसार पीएम पोषण योजना(मिड डे मिल)इस जिला में पहली से पांचवी कक्षा के लिए 2004 में लागू की गई थी। वर्ष 2008-09 में विस्तार कर इसे आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए लागू कर उन्हें पका हुआ भोजन मुहैया कराया जाने लगा। योजना का इसलिये भी सामाजिक महत्त्व है कि बच्चे जाति भेद से ऊपर उठकर सामूहिक रूप से भोज करते हैं।

91 हजार से अधिक बच्चे लाभान्वित
डीईईओ के अनुसार जिला के 484 प्राइमरी और 293 अपर प्राइमरी स्कूलों के 91 हजार 257 बच्चे योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। मार्च 2018 से इन्हें हफ्ते में तीन दिन फ्लेवर्ड मिल्क (200 एमएल प्रति बच्चा) भी उपलब्ध कराया जाने लगा है। आहार को और अधिक पौष्टिक बनाने के लिये जुलाई 2019 से गेहूं की बजाय फोर्टिफाइड आटा और अक्तूबर 2021 से फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की जा रही है।

बाजरे की डिमांड भेजी
श्री वत्स ने बताया कि आगमी सर्द मौसम में बाजरे के गुलगुले, बाजरे की खिचड़ी, बिस्कुट, बाजरी की पूरी उपलब्ध कराने के लिये निदेशालय को 150 मीट्रिक टन की डिमांड भेजी गई है। यह पहली बार होगा जब प्रदेश के स्कूली बच्चे बाजरे से बनी लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठा सकेंगे। रेसिपी अनुसार बच्चों के लिये 20 प्रकार के भोजन का प्रावधान है जिसमें आइटम गेहूं, 7 चावल और 5 बाजरे पर आधारित हैं।

ये हैं फूड ग्रेन के मानदंड
मौलिक शिक्षा अधिकारी के अनुसार योजना के तहत प्राइमरी व अपर प्राइमरी बच्चों के लिये खाद्यान्न की मात्रा क्रमश: 100 व 150 ग्राम, दालें 20 व 30 ग्राम, सब्जी 50 व 75 ग्राम, तेल व वसा 5 व 7.5 ग्राम, नमक व मसाले स्वाद अनुसार प्रयोग करने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि स्कूलों खुले में भोजन नहीं पकाया जाता, इसके लिये बाकायदा रसोई की व्यवस्था की गई है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि बच्चे भोजन से पूर्व और बाद में हाथ धोखें। भोजन परोसने से पूर्व शिक्षक इंचार्ज द्वारा चखा भी जाता है। गुणवत्ता से किसी कार का समझौता नहीं किया जाता।

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