जयराम विद्यापीठ में तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू, निपुण हरियाणा मिशन के तहत कार्यशाला, 9 जिलों के 100 शिक्षक ले रहे है भाग
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी विनोद कौशिक ने कहा कि अच्छी शिक्षण अधिगम सामग्री शिक्षक का सबसे बड़ा हथियार है। अच्छे टीएलएम से न केवल शिक्षण प्रक्रिया रोचक होती है बल्कि प्रभावशाली भी होती है। ऐसे उपकरणों से सीखा गया विषय विद्यार्थियों को लंबे समय तक याद रहता है और उनके अधिगम के स्तर में वृद्धि होती है। शिक्षण व अधिगम की नीरसता खत्म होती है और स्कूल व शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों में रुचि बढ़ती है।
डीईईओ कौशिक बुधवार को जयराम विद्यापीठ के सभागार में निपुण हरियाणा मिशन के तहत आयोजित 3 दिवसीय कार्यशाला के उदघाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यशाला में नौ जिलों के लगभग 100 शिक्षक भाग ले रहे है, जिन्हें कम लागत की प्रभावशाली शिक्षण अधिगम सामग्री तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यक्रम का मंच संचालन सतबीर कौशिक व नित्यानन्द शास्त्री ने किया। इस अवसर पर समग्र शिक्षा की जिला परियोजना समन्वयक सन्तोष शर्मा, खंड शिक्षा अधिकारी इंदु कौशिक, संजय कौशिक, श्रेयस रावत, डॉ.आशुतोष, प्यारे लाल, धनपत सिंह, पवन कुमार, अनिल गर्ग, अनिल कपूर, अमरजीत पांचाल आदि उपस्थित थे।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में विकास राष्ट्र के लिए सबसे अहम विकास होता है शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा नई एजुकेशन पॉलिसी लांच की गई है जिसके अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान देना नहीं बल्कि उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए सक्षम बनाना है। निपुण भारत मिशन के अंतर्गत ग्रेड 3 में पढ़ रहे बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता में निपुण बनाना है। जिससे उन्हें वर्ष 2026-2027 तक पढऩे, लिखने व अंकगणित करने की क्षमता मिल सके। इस से सभी छात्रों को आगे की पढ़ाई और पाठ्यक्रम में आसानी हो जाएगी और पहले से ही अन्य जानकारी को समझने में समर्थ हो पाएंगे।
उन्होंने कहा कि बच्चों के अंतर्गत मूलभूत भाषा एवं साक्षरता की समझ होना बहुत महत्वपूर्ण है । एनसीईआरटी द्वारा एक सर्वे का आयोजन किया गया था। जिसके माध्यम से यह पता लगा था कि बच्चे पांचवी कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी पाठ को समझकर पढ़ने में सक्षम नहीं होते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए निपर्ण भारत योजना के अंतर्गत मूलभूत भाषा और साक्षरता की समझ पर ध्यान देने का निर्णय लिया गया है। जिससे कि बच्चे आने वाले समय में समझ कर शिक्षा को प्राप्त कर सकें। इस योजना के माध्यम से पढ़ाई की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।
डीईईओ विनोद कौशिक ने कहा कि निपुण हरियाणा मिशन के तहत कम लागत वाले टीएलएम तैयार करने के लिए आयोजित यह कार्यशाला वरदान सिद्ध होगी। कार्यशाला में न केवल कम लागत वाली टीएलएम बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा बल्कि इसका दस्तावेजीकरण और वीडियोग्राफी भी होगी ताकि प्रदेश भर के प्राथमिक शिक्षकों को शिक्षण की नई दिशा मिल सके। कार्यशाला में विशेषज्ञ हिंदी, गणित और अंग्रेजी विषयों के प्रभावी शिक्षण के लिए ऐसी शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण के तरीके खोजेंगे जिन्हें कोई भी अध्यापक कम लागत में स्वयं तैयार कर सकेगा। अच्छे अध्यापक के लिए आस-पास की हर वस्तु टीएलएम है और वह हर वस्तु का उपयोग शिक्षण के लिए कर सकता है। उसके लिए कुछ भी वेस्ट नहीं है।
एफएलएन कोऑर्डिनेटर आशुतोष ने बताया कि कार्यशाला 19 जुलाई से 21 जुलाई तक चलेगी। प्रतिभागियों को कम लागत वाले टीएलएम के निर्माण के लिए पर्याप्त स्टेशनरी व उपकरण प्रदान की जाएगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी विनोद कौशिक ने बताया कि प्रतिभागियों के रहने व भोजन आदि व्यवस्था जयराम संस्थाओं में की गई है। सभी व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए व्यवस्था सम्बन्धी टीमें बनाई गई हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रतिभागियों की सुविधा व कार्यशाला के सुचारू संचालन सुनिश्चित किया जाए तथा किसी प्रकार की कोताही न बरती जाए। डीईईओ विनोद कौशिक ने बताया कि पहली बार स्कूलों में बाल वाटिका 3 कक्षा भी शुरू हुई है। इसी कक्षा के लिए पाठ्य सामग्री के निर्माण के लिए भी समानांतर तीन दिवसीय कार्यशाला 19 से 21 जुलाई तक जयराम विद्यापीठ में चलेगी, जिसमें 15 शिक्षक बाल वाटिका के लिए पाठ्यसामग्री तैयार करेंगे, जो आयु के अनुसार बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी और अध्यापकों का मार्गदर्शन करेगी।