सांसद नायब सिंह सैनी संसद में रखेंगे सरस्वती नदी के सौंदर्यीकरण और सरस्वती नदी की सम्पूर्ण निशानदेही का मसला
कुरुक्षेत्र को बाढ़ से बचाने में अहम भूमिका निभा सकती है प्राचीन सरस्वती नदी
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। सांसद नायब सिंह सैनी ने कहा कि पिपली से लेकर पिहोवा तक प्राचीन सरस्वती नदी का धार्मिक दृष्टि से सौंदर्यीकरण किया जाना जरूरी है। इसके साथ ही सरस्वती नदी की सम्पूर्ण निशानदेही करवाकर सरस्वती नदी को चौड़ा किया जाना बहुत जरूरी है। जब सरकार द्वारा इस योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा तब कुरुक्षेत्र के लोगों को सरस्वती नदी बाढ़ जैसी आपदा से बचाने में सहायक सिद्घ हो सकती है। इस गंभीर विषय को सांसद नायब सिंह सैनी देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में रखेंगे और पूर जोर सिफारिश करेंगे कि केन्द्र सरकार इस योजना को जल्द से जल्द अमलीजामा पहनाने का काम करे।
सांसद नायब सिंह सैनी ने कहा कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र पावन धरा से ही प्राचीन सरस्वती नदी का प्रवाह रहा है। इस पवित्र नदी के किनारे विश्व की महान संस्कृति और सभ्यता का उदय और विकास हुआ। इसकी ऐतिहासिकता को बोध पहली बार मोरोपंत पिगले की प्रेरणा से पद्मश्री डा. वीएस वाकणकर ने 19 नवंबर 1985 को आदिबद्री से गुजरात के कच्छ के रण तक यात्रा के माध्यम से करवाया था। इसके उपरांत इसरो और नासा द्वारा उपग्रह चित्रों के माध्यम से इसके पेलियो चैनलों को खोजा गया। जिसके फलस्वरूप पूरे विश्व को मालूम हुआ कि सरस्वती की धाराएं आज भी अंतत सलिला होकर बह रही है। बाबा परमाणु अनुसंधान केन्द्र ने इसकी आयु 3324 वर्ष से लेकर 18 हजार वर्ष के मध्य आंकी गई, इसके अतिरिक्त सर्वे ऑफ इंडिया भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग व अनेक विश्वविद्यालय इसकी वैज्ञानिक पुष्टि कर चुके है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में जहां पानी का जल स्तर तीव्र रूप से घट रहा है और बहुत से क्षेत्र डार्क जोन में चले गए है, वहीं इसी माह बाढ़ ने कहर भरपाया, उनकी लोकसभा क्षेत्र में जहां किसानों की सारी फसल तबाह हो गई वहीं आमजन के घरों में भी कई-कई फीट पानी भर गया है। इस विषय का गंभीरता के साथ समाधान किया जाना चाहिए। इस समस्या का समाधान सरस्वती नदी को चौड़ा करने से ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पवित्र सरस्वती नदी को पुर्ण जीवित करने के लिए हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड का गठन किया है। इस बोर्ड की योजना है कि आदिबद्री में एक डैम और उसके निकट एक जलाशय बनाकर उसे अन्य नदियों के साथ जोड़ा जाए ताकि इस प्रकार की आपदा के समय पानी का संचय किया जा सके और अत्याधिक पानी को अन्य नदियों में शामिल किया जा सके।
सांसद ने कहा कि इसके लिए सरस्वती नदी की सम्पूर्ण निशानदेही करवाकर चौड़ा किया जाना जरूरी है। इसके साथ ही पिपली से लेकर पिहोवा तक धार्मिक दृष्टि से सरस्वती नदी का सौंदर्यीकरण करना भी बहुत जरूरी है। इस नदी के साथ देश के लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भावनाएं जुड़ी हुई है। जल के प्रबंधन से संबंधित जो 3 डैम रेणुका, क्षाहु और लखवार निर्माणाधीन है उनका निर्माण कार्य भी जल्द से जल्द पूरा करवाया जाए। इस कार्य से जहां हमें भूजल भरण में मदद मिलेगी वहीं दूसरी ओर इस तरह की प्राकृतिक आपदा से आमजन के जान माल की सुरक्षा भी हो सकेगी। उन्होंने केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शिखावत से नदी पुन उद्घार योजना बनाकर केन्द्रीय वित्तिय सहायता के लिए प्रबंध करे क्योंकि यह कार्य केन्द्र की सहायता के बिना संभव नहीं है।