केडीबी में आरक्षित वर्ग,रोड़,अहलुवालिया,ब्राह्मण,जाट,सैनी,गुर्जर, सिख सामुदाय से 1-1 और पंजाबी खत्री सामुदाय से दो सदस्य बने
राजपूत क्षत्रिय समाज के किसी व्यक्ति को पिछली बार की तरह इस बार नहीं मिला गैर सरकारी सदस्यों की सूची में स्थान
इस बार सूची में पंजाबी खत्री समुदाय को देना पड़ा बलिदान,पिछली बार 3 मेंबर थे सूची में,इस बार 2,मानद सचिव पद भी अग्रवाल समुदाय की झोली में
2017 से जून 2023 तक पंजाबी खत्री सामुदाय की झोली में था मानद सचिव का पद
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हम से बढ़ कर तीर्थ पुरोहित कौन है भाजपा में… गुरुदेव की कृपा हम पर भी करा दो।यह दावा क्यों किया गया,किसने किया,किसके समक्ष किया,इससे बड़ा सवाल यह है कि यह दावा किस चाहत से किया। दरअसल हाल ही में हरियाणा सरकार ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के गैर सरकारी सदस्यों की सूची जारी की है। इस सूची में 10 नाम शामिल है। एक नाम ब्राह्मण समाज के प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति का भी है। मगर टीस यह है कि ब्राह्मण समाज का यह व्यक्ति तीर्थ पुरोहित नहीं है,जबकि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अस्तित्व में आने से पहले कुरुक्षेत्र के 48 कोस में स्थित महाभारतकाल से भी पुराने तीर्थों का जिम्मा तीर्थ पुरोहितों कंधों पर था। तीर्थ पुरोहित समाज की मानें तो बोर्ड के चेयरमैन से लेकर उपाध्यक्ष और अब तक बनाए गए तीनों मानद सचिवों के अलावा अन्य लगभग सभी सरकारी सदस्य वे हैं,जिनका संबंध तीर्थ पुरोहित समाज से नहीं। यदि शासन प्रशासन इस बात पर गौर करता और तीर्थ पुरोहित समाज के किसी आवश्यक व्यक्ति को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के गैर सरकारी सदस्यों की सूची में शामिल रखता तो यह और भी बेहतर होता।
इनका कहना है कि मुख्य तीर्थ धर्मनगरी कुरुक्षेत्र और पिहोवा तो दूर 48 कोस क्षेत्र के किसी भी ऐसे तीर्थ पुरोहित को बोर्ड के गैर सरकारी सदस्यों की सूची में शामिल नहीं किया गया,जिसे तीर्थ परंपरा और इससे संबंधित विस्तार से जानकारी हो। जिस दिन से यह सूची जारी हुई है,तीर्थ पुरोहितों की यह टीस रह रह कर बाहर आ रही है। बताना लाजिमी होगा कि आरक्षित वर्ग,रोड़,अहलुवालिया,ब्राह्मण,जाट,,सैनी,गुर्जर और सिख समुदाय से एक-एक तथा पंजाबी खत्री सामुदाय से दो सदस्यों को लिया गया है और अग्रवाल सामुदाय के व्यक्ति को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का मानद सचिव जून 2023 में ही बनाया जा चुका है।
केडीबी के 10 गैर सरकारी सदस्यों में बेशक पंजाबी खत्री समुदाय से दो सदस्य बनाए गए हों और राजपूत क्षत्रिय सामुदाय अछूता रहा हो, लेकिन एक तरह से पहली बार केडीबी के सदस्यों की सूची जारी करने से पहले कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के तय 10 गैर सरकारी सदस्यों में अधिक से अधिक संख्या में जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास किया गया। हालांकि पिछली सूची में 10 में से तीन गैर सदस्य पंजाबी खत्री सामुदाय के बनाए गए थे और चौथे केडीबी के मानद सचिव भी पंजाबी खत्री सामुदाय के ही थे। मगर इस बार यानी 2023 में केडीबी के इस नए ढांचे में पंजाबी सामुदाय को बड़ा बलिदान देना पड़ा है,क्योंकि 2017 से जहां लगातार पंजाबी खत्री समुदाय के व्यक्ति अपनी कर्तव्यनिष्ठ और समर्पण के साथ कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का मानद सचिव का पदभार संभाल रहे थे,वहीं 2023 में जारी सूची में अचानक बदलाव को गैर जरूरी बताया जा रहा है।
एक रोचक पहलू यह है कि ब्राह्मण समाज के एक व्यक्ति को जहां बोर्ड के गैर सरकारी सदस्यों की सूची में स्थान मिला है,लेकिन इसके बावजूद पुरजोर आवाज इसलिए उठाई जा रही कि केडीबी के गैर सरकारी इन सदस्यों में एक भी तीर्थ पुरोहित और तीर्थ परंपरा की समझ रखने वाला व्यक्ति नहीं है। कुरुक्षेत्र की अग्रणी संस्था श्री ब्राह्मण एवं तीर्थ पुरोहित सभा द्वारा तो यह आवाज उठा दी गई,मगर क्षत्रिय राजपूत सभा के एक व्यक्ति का नाम जहां पिछले सदस्यों की सूची में शामिल था,वहीं इस बार क्षत्रिय राजपूत समाज से किसी भी व्यक्ति को प्रतिनिधित्व नहीं देने से राजपूत क्षत्रिय समाज भी दबी आवाज में सही अपनी टीस बयां कर रहा है। क्षत्रिय राजपूत समाज के अनुसार कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के कंधों पर कुरुक्षेत्र सहित पांच जिलों में शामिल कैथल,जींद,करनाल और पानीपत के प्राचीन और पौराणिक तीर्थों के जीर्णोद्धार और संरक्षण का जिम्मा है,लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इन पांच जिलों में अनेक पौराणिक तीर्थ हैं,जो कि राजपूत क्षत्रिय बाहुल दर्जनभर से ज्यादा गांवों में है। इससे इतर चर्चा इस बात की हो रही है कि सोशल मीडिया पर दो लाइनें तैर रही है,जिस पर किसी ने चुटकी भी ली है। यह चुटकी उस व्यक्ति को लेकर ली जा रही है,जिसने कहा कि हम से बढ़ कर तीर्थ पुरोहित कौन है भाजपा में… गुरुदेव की कृपा हम पर भी करा दो।