Sunday, November 24, 2024
Home haryana गुर्जर किसी को भी जाकर छेड़ सकते हैं, वे बोले राजपूत अभी जिंदा हैं… तमाम विवादों पर सिस्टम और बीमार मीडिया

गुर्जर किसी को भी जाकर छेड़ सकते हैं, वे बोले राजपूत अभी जिंदा हैं… तमाम विवादों पर सिस्टम और बीमार मीडिया

by Newz Dex
0 comment

जाट-सैनी विवाद,गुर्जर-राजपूत विवाद,सैनी-ब्राह्मण विवाद के पीछे नजर आए समाज में जहर घोलने वाले नेताओं के चेहरे

बीमार मीडिया को देश के ज्वलंत मुद्दों से अधिक सीमा हैदर की चिंता,बेशक मणिपुर या बंगाल में जो भी हुआ हो

1947 में विभाजन की विभीषिका झेलने वालों को अब तक दिया जा रहा पाकिस्तानी कह कर पीड़ा का दंश

लगातार सामने आते रहे हैं मुस्लिम समुदाय को बाहरी,सिखों की आतंकवादी कहने के घटनाक्रम

न्यूज डेक्स संवाददाता

चंडीगढ़। नोटबंदी,कोरोना महामारी,बेरोजगारी,अपराध,ठप होते धंधे,शिक्षा के गिरते स्तर की चिंता से ज्यादा जरूरी सीमा हैदर पर रोजाना छप रही रिपोर्ट है,बेशक मणिपुर या बंगाल में जो भी हुआ हो। बहरहाल मणिपुर पर हो रही बहस के बाद अब बंगाल भी ट्रेडिंग में है। देश के ज्वलंत मुद्दों से ज्यादा फोकस इस समय जाति,समुदाय और धर्म पर है। कहीं बताया जा रहा है कि एक नेता चंद्रशेखर पर पिछले दिनों हुए हमले के बाद दिल्ली नीली पढ़ गई। नीले से मतलब उनके ध्वज से है,जो नीला है। इस शोर के अलावा एक दिल्ली से सटे हरियाणा में राजपूत-गुर्जर विवाद का शोरगुल चल रहा है। इससे कई दिन पहले भाजपा का एक पूर्व सांसद राजकुमार सैनी भाजपा में सांसद रहते हुए जहां जाट समुदाय पर लगातार निशाना साध कर चर्चा में रहा,वहीं पिछले दिनों ब्राह्मण समाज और शिव भक्त कांवड़ियों पर बयानबाजी के बाद चर्चा में है। बेशक सैनी के यह बयान भाजपा से जुदा होने के बाद के हों,लेकिन समाज में वैर भाव और आपसी तनाव को जन्म दे रहे हैं,क्योंकि इसके बाद ब्राह्मण समाज भी आपा खोकर सैनी के अंदाज में जवाब दे चुका है। इन सबसे पहले मुस्लिम और सिखों समुदायों पर हुई टीका टिप्पणी एवं नृशंस एवं हिंसक घटनाओं को लेकर कई लोगों पर मामले दर्ज हो चुके हैं। वहीं भारत के विभाजन की विभीषिका को झेल कर नए मुल्क पाकिस्तान से आए हिंदू सिखों को किसी ने पाकिस्तानी कह कर पीड़ा का दंश दिया गया। ऊपर से चिंताजनक यह है कि बिगड़ते इन हालात में कौन और कैसे शर्म करें,यह व्हाट्स यूनिवर्सिटी और सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए बताया जा रहा है,यानी सिस्टम अब्बा,डब्बा और झब्बा की स्थिति में है।

समाज,संस्कृति,संस्कार और समरता का झंडा उठाने वाले चुप क्यों

हद यह है कि समाज, संस्कृति,संस्कार और समरसता का झंडा उठाकर चल रही भाजपा के हरियाणा में विधायक लीला राम ने तो यहां तक कह दिया है कि गुर्जरों को कोई नहीं छेड़ सकता, लेकिन गुर्जर किसी को भी जाकर छेड़ सकते हैं…कमाल का बयान है। मतलब हम तो क्या निकालें,देश में बहुत बड़ा प्रबुद्ध वर्ग बैठा है,तमाम मुद्दों के अलावा इस पर भी जुगाली कर सकता है। यानी मतलब सीधा है कि देश में कोई वर्ग है,जिसे कोई कुछ नहीं कह सकता,वे किसी को भी जाकर कुछ कह सकते हैं। कहने वाली शख्सियत ने जो कहा सो कहा,दुखद पहलू यह है कि देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों यह प्रतिक्रिया छपने के बाद समरसता का डंका पीटने वाले मुंह पर फैवीकोल का मजबूत जोड़ कैसे लगा कर बैठ सकते हैं। वो भी तब जब विवाद किसी जम सामान्य का नहीं,बल्कि किसी महापुरुष की जाति बताने को लेकर पनप रहा है।

योगी आदित्य नाथ ने निकाला था बीच का हल

जाहिर है विवाद प्रतिहार राजा मिहिर भोज की जाति पर उठ रहे विवाद से जुड़ा है। यह विवाद उत्तर प्रदेश में दिल्ली के निकट राजा मिहिर भोज की मूर्ति के अनावरण के समय भी पनपा था,लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस विवाद बीच का रास्ता निकाल कर शांत करा दिया था।यूपी के गुर्जर विधायक ने राजा मिहिर भोज के नाम के साथ गुर्जर शब्द का उल्लेख कराने का प्रयास किया था,इसके बाद राजपूत समाज और गुर्जर समुदाय के बीच बढ़ते तनाव को देख यूपी में मूर्ति का अनावरण करने से पहले राजा मिहिर भोज की क्षत्रिय राजपूत बिरादरी या गुर्जर बिरादरी बताने से पहले लिखा गया था हिंदू सम्राट राजा मिहिर भोज।

हरियाणा में गंभीरता से पहल क्यों नहीं हुई,यह सवाल उठ रहे हैं

भाजपा विधायक लीला राम गुर्जर और भाजपा के जिला कैथल प्रधान अशोक गुर्जर द्वारा भी कैथल में राजा मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया गया है,मगर यहां उनके नाम के आगे गुर्जर शब्द का इस्तेमाल किया है,इस पर राजपूत क्षत्रिय समाज को कड़ा एतराज था,इस पर उन्होंने आपत्ति भी जताई थी। इसके बावजूद मूर्ति का अनावरण हुआ, विरोध पनपा, प्रदर्शन हुए। राजपूत समाज द्वारा भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया। बताया गया कि राजपूत अभी जिंदा हैं और उनकी राजपूती भी जिंदा है। भाजपा से जुड़े कई नेता और पार्षद पार्टी प्रदेशाध्यक्ष को सामूहिक इस्तीफा दे भेज चुके हैं,जबकि दूसरे जिलों में भी राजपूत क्षत्रिय समाज के नेता अपनी बिरादरी के उन नेताओं पर इस्तीफा देने का दबाव बना रहे हैं,जो कि भाजपा या सरकार द्वारा दिए गए पदों पर विद्यमान हैं। वहीं भीतर से आवाज यही आ रही है कि चुप्पी और कार्रवाई के पीछे का सच वोटों का वो तराजू जिसमें तोल कर फैसला होता है कि चुप रहना है,कार्रवाई करनी है या बोलना है।

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00