अध्यात्म से कला का निकटतम सम्बंध हैः संजय भसीन
हरियाणा कला परिषद द्वारा गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित 20 दिवसीय बांसुरी कार्यशाला का हुआ समापन
स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने बाँसुरी वादन कार्यशाला के प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट देकर किया सम्मानित
तुषार/न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा कला परिषद द्वारा गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित 20 दिवसीय बांसुरी वादन कार्यशाला का शनिवार को समापन हो गया। कार्यशाला में प्रशिक्षक डॉ मनीश कुकरेजा ने 20 विद्यार्थियों को बांसुरी वादन के गुर सिखाए। समापन अवसर पर गीता मनीषी परमपूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज विशेष तौर पर मौजूद रहे। कार्यक्रम में हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन बतौर मुख्यातिथि के तौर पर मौजूद रहे व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संगीत विभाग की प्रोफेसर व डीन स्टूडेंट वेलफेयर शुचिस्मिता विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रही।
स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने विद्यार्थियों को बांसुरी सिखाने के प्रयास के लिए डा. मनीश कुकरेजा की सराहना करते हुए कहा कि यदि लक्ष्य सच्चा, भाव अच्छा व विश्वास पक्का हो तो सफलता निश्चित ही मिलती है। इसी प्रकार डा. मनीश कुकरेजा सच्चे लक्ष्य व अच्छे भाव से बांसुरी वादन में कार्य कर रहे है जोकि सराहनीय है। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि बांसुरी की तान में अलग की सम्मोहन है जिसकी धुन अपनी ओर खींच लेती है। बांसुरी की तान व गीता में सीधा संबंध है। उन्होेंने कार्यशाला में बांसुरी सीखने वाले विद्यार्थियों से आह्वान किया कि लक्ष्य को निर्धारण कर ही आगे बढ़ो। यदि लक्ष्य को निर्धारण कर आगे बढ़ोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 20 दिवसीय कार्यशाला में विद्यार्थियों ने जो सीखा वह सराहनीय है लेकिन यह अभी शुरुआत है। विद्यार्थियों को निरंतर अभ्यास करना चाहिए। 20 दिवसीय बाँसुरी वादन कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम में डा. मनीश कुकरेजा व विद्यार्थियों ने बांसुरी की धुन पर भजन की सुंदर प्रस्तुति दी। वही कुरुक्षेत्र के सुप्रसिद्ध गायक अमरजीत ने भी भगवान कृष्ण के सुंदर भजन प्रस्तुत कर सभी का मन मोहा। मुख्यातिथि संजय भसीन ने कहा कि प्रदेश की मनोहर सरकार द्वारा कला की ओर विशेष तौर पर ध्यान दिया जा रहा है। हरियाणा कला परिषद लुप्त होती जा रही कलाओं को बढ़ाने का प्रयत्न कर रही है। विश्वविद्यालयों व विद्यालयों में निरंतर कार्यशालाएं लगाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि बांसुरी का भगवान श्रीकृष्ण से संबंध है। उन्होंने बांसुरी कला को बढ़ाने के लिए डा. मनीश कुकरेजा का आभार जताया। वही विशिष्ट अतिथि शुचिस्मिता ने कहा कि बांसुरी जैसी कलाएं गुरु के सानिन्ध्य में ही संभव है। उन्होंने स्वामी ज्ञानानंद जी से अनुरोध किया कि वे गीता ज्ञान संस्थानम में इस प्रकार की कार्यशालाएं लगाने की स्वीकृति प्रदान करें ताकि कला के क्षेत्र को आगे बढ़ाया जा सके। प्रशिक्षक डॉ मनीश कुकरेजा ने कहा कि उनके गुरु उस्ताद डॉ मुजतबा हुसैन जो कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध बाँसुरी वादक हैं जी का सपना है कि बांसुरी वादन कुरुक्षेत्र की हर गली-गली में गुंजे तथा इस परिकल्पना को पूर्ण करने हेतु वे डॉ कुकरेजा के सहयोग से निरन्तर प्रयास रत हैं तथा इसी कड़ी में बाँसुरी वादन की यह तीसरी कार्यशाला कुरुक्षेत्र में आयोजित की गयी । कुरुक्षेत्र गीता और भगवान श्रीकृष्ण की नगरी है। बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय वाद्य है।
इस अवसर पर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने अतिथियों को स्मृति चिह्न व कार्यशाला प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रमुख धर्मपाल जी व गीता ज्ञान संस्थान के आचार्य देवेंद्र, आचार्य वेद प्रकाश मिश्रा, सुलोचना बत्रा, के. के. कौशल राजकीय विद्यालय के प्राचार्य डॉ सचिन्द्र कुमार व प्रसिद्ध गायक स.अमरजीत सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे।