कहा- देश के मेहनतकश मजदूरों के हितों की अनदेखी कर रही है सरकार
600 रुपये होनी चाहिए मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी, साल में 150 दिन मिले काम- दीपेंद्र हुड्डा
सभी मजदूरों को मिलने चाहिए बीपीएल कार्ड और 100-100 गज के मुफ्त प्लॉट- दीपेंद्र हुड्डा
न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़। सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज नियम 180ए के तहत मनरेगा मजदूरों की मांगों के मुद्दे पर चर्चा की मांग के लिए राज्यसभा में नोटिस दिया है। दीपेंद्र हुड्डा का कहना है कि केंद्र सरकार ने 2023-24 के बजट में मनरेगा के आवंटन में 12000 करोड रुपए की भारी कटौती की है। ऐसा करके सरकार ने सीधे करोड़ों मजदूरों की रोजी-रोटी पर हमला किया है। मजदूरों ने सांसद दीपेंद्र को ज्ञापन सौंपकर बताया कि यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई यह योजना 100 दिन के काम की गारंटी देती थी। लेकिन इसबार मजदूरों को 49 दिन ही काम मिल पाया। बढ़ती महंगाई के मुकाबले मनरेगा की दिहाड़ी भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
सांसद ने कहा कि यह देश के मजदूरों और उनके परिवारों के हित से जुड़ा अति महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विषय है। मजदूर रात-दिन कड़ी मेहनत करके देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है। किसी भी सरकार का यह दायित्व होता है कि बदले में वह मजदूरों के हितों की संरक्षक के रूप में काम करे। मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों में नहर निर्माण से लेकर गांव की गलियों जैसे मूलभूत विकास कार्य करते हैं। लेकिन सत्ता में आने के बाद से बीजेपी लगातार मनरेगा मजदूरों की अनदेखी कर रही है। ऐसे में इनके गरीब परिवारों को घोर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
इसलिए मजदूरों की मांग है कि मौजूदा परिस्थितियों और महंगाई को देखते हुए मनरेगा की दिहाड़ी ₹600 प्रतिदिन होनी चाहिए। साल में उन्हें कम से कम 150 दिन का काम मिलना चाहिए। कार्यस्थल पर मृत्यु होने पर परिजनों को 25 लाख मुआवजा मिलना चाहिए। सभी मजदूरों को बीपीएल सूची में शामिल किया जाना चाहिए। इनको कांग्रेस की हुड्डा सरकार के समय चलाई गई योजना के तहत 100-100 गज के मुफ्त रिहायशी प्लॉट मिलने चाहिए। मनरेगा मेट को मनरेगा पॉलिसी व मजदूरों को श्रम कल्याण बोर्ड से जोड़ना चाहिए। साथ ही मनरेगा मेट को कार्य ब्लॉक में आने-जाने पर टीए-डीए मिलना चाहिए।सासंद दीपेंद्र ने कहा कि मजदूरों की यह सभी मांगे पूरी तरह जायज हैं। इसलिए वह सदन के माध्यम से ग्रामीण विकास मंत्री के समक्ष देश के मनरेगा मजदूरों की मांगों को रखना चाहते हैं।