न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़। मनप्रीत सिंह, जो हरियाणा सुपीरियर जुडिशल सर्विस (एच.एस.जे.एस.) कैडर के हैं एवं प्रदेश की न्यायिक सेवा में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज) के रैंक में हैं, वह जिला अम्बाला की फैमिली कोर्ट (कुटुंब न्यायालय) के नए जज अर्थात एडिशनल प्रिंसिपल जज होंगे। वह गत साढ़े तीन वर्ष से चंडीगढ़ स्थित हरियाणा, पंजाब एवं चंडीगढ़ में स्थित अधीनस्थ अदालतों में स्टाफ की भर्ती हेतु स्थापित केंद्रीकृत भर्ती सोसाइटी में बतौर मेंबर-सेक्रेटरी तैनात है।
शहर निवासी और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस विषय पर आधिकारिक जानकारी एकत्रित कर बताया कि बीते कल 31 जुलाई 2023 को अम्बाला फैमिली कोर्ट में गत सवा वर्ष से तैनात प्रिंसिपल जज गुरविंदर कौर इसी माह 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर न्यायिक सेवा से रिटायर हो गयी हैं। वह इस वर्ष 1 मई, 2023 से अम्बाला फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज जबकि अप्रैल, 2022 से 30 अप्रैल, 2023 तक इसी फैमिली कोर्ट में बतौर एडिशनल प्रिंसिपल जज तैनात रहीं थीं।
बहरहाल, हालांकि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा मनप्रीत सिंह के अम्बाला फैमिली कोर्ट में बतौर एडिशनल प्रिंसिपल जज तैनात करने सम्बन्धी आदेश तीन माह पूर्व 25 अप्रैल 2023 को ही जारी कर दिए गए थे परन्तु उस आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि वह आदेश 1 अगस्त 2023 से प्रभावी होंगे। जज मनप्रीत सिंह जो मूलत: पंजाब राज्य से हैं, वह करीब साढ़े 15 वर्ष पूर्व मार्च, 2008 में हरियाणा सिविल सर्विस (जुडिशल ब्रांच ) में चयनित होकर सर्वप्रथम सिविल जज (जूनियर डिवीज़न ) कम ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए थे।साढ़े तीन वर्ष पूर्व जनवरी, 2020 में प्रोमोट होकर वह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बने थे। उनकी शैक्षणिक योग्यता बी.ई. (केमिकल ) और एल.एल.एम. है।
हेमंत ने आगे बताया कि जहां तक अंबाला जिले का विषय है, तो यहां आज से 11 वर्ष पूर्व वर्ष 2012 में पहली बार फैमिली कोर्ट की स्थापना की गई थी। फैमिली कोर्ट स्थापित होने के बाद हिंदू विवाह कानून, 1955 के अंतर्गत सारे मामले जैसे पति-पत्नी में तलाक़(डिवोर्स) के केस, हिंदू कानूनों और सीआरपीसी की धारा 125 में गुजारा भत्ता, कुटुंब (परिवार) में उत्तराधिकार आदि मामले सीधे फैमिली कोर्ट के क्षेत्राधिकार में ही आते हैं. गत वर्षो में अम्बाला में समय समय पर दो फैमिली कोर्ट भी रही है।
हेमंत ने गत काफी समय से यूटी चंडीगढ़ में भी फैमिली कोर्ट स्थापित करवाने के लिए चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर (प्रशासक) बनवारी लाल पुरोहित, उनके एडवाइजर, चंडीगढ़ के गृह सचिव एवं चंडीगढ़ के डिस्ट्रिक्ट एवं सेंशंस जज एवं हाईकार्ट के रजिस्ट्रार जनरल एवं केंद्रीय कानून मंत्री और उनके मंत्रालय के पदाधिकारियों से मामला उठा रखा है। हालांकि आज तक इस पर कार्रवाई लंबित है। हेमंत का तर्क है कि आज से साढ़े आठ वर्ष पूर्व फरवरी, 2015 में केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन जारी कर 16 फरवरी 2015 की तारीख से संघ राज्य क्षेत्र ( यूटी) चंडीगढ़ में फैमिली कोर्ट कानून लागू कर दिया था, परंतु आज तक यूटी चंडीगढ़ में एक भी फैमिली कोर्ट नहीं स्थापित की गई है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हाईकोर्ट भी इस संबंध में यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के गृह एवं न्याय विभाग को एक दर्जन से ऊपर पत्र लिख चुका है।