गोबर देने में मनाही करने वालों पर होगी कार्रवाई- विनोद नेहरा, उप निगमायुक्त
डेयरी संचालक जल्द शैड निर्माण पूरा कर डेयरी करें शिफ्ट, अन्यथा होगी सील- उप निगमायुक्त
न्यूज डेक्स संवाददाता
करनाल। नगर निगम ने शहर में मौजूद पशु डेयरियों से निकलने वाले गोबर पर पूरी तरह से रोक लगाने की तैयारी कर ली है। जब तक सभी डेयरियां पिंगली स्थित डेयरी कॉम्पलैक्स स्थल पर स्थानांतरित नहीं होंगी, तब तक डेयरियों से निकलने वाले गोबर को निगम खुद उठवाकर उसका निस्तारण करवाएगा। इसके लिए डेयरी मालिक को शुल्क देना होगा, लेकिन गोबर उठाकर उसका शुल्क वसूल करने की कार्रवाई ज्यादा दिन तक स्वीकार्य नहीं रहेगी। डेयरी मालिक को जितनी जल्दी हो, अपनी डेयरी शहर से बाहर शिफ्ट करनी पड़ेगी।
शुक्रवार को उप निगम आयुक्त विनोद नेहरा ने इस संबंध में डेयरी संचालकों के साथ की गई एक मीटिंग में जानकारी देते बताया कि निगम की सेनीटेशन टीम द्वारा जोन 3 लाईनपार क्षेत्र में डेयरियों का सर्वे किया जा चुका है, आगामी सप्ताह से गोबर उठान कार्य शुरू होगा। अन्य जोन में भी डेयरियों का जल्द सर्वे कर गोबर उठान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो डेयरी संचालक गोबर देने में आनाकानी/मनाही करेगा, उसके खिलाफ चालान या सील करने जैसी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने बताया कि निजी डेयरियों से निकलने वाले गोबर के नुकसान ही नुकसान हैं। यह सीवर लाईनो की स्व-सफाई क्षमता को कम करके सीवरेज प्रणाली को अवरूद्घ कर देता है। इससे सीवरेज का पानी न केवल सडक़ों पर बह जाता है, बल्कि दुर्गंध भी आती है, जिससे बीमारियां फैलती हैं। गोबर से सीवर लाईनो में मिथेन गैस भी उत्पन्न होती है, जो सीवर लाईनो की रख-रखाव करने वाले कर्मचारियों के जीवन के लिए खतरा पैदा करती है। इन चीजों को देखते सरकार की ओर से एक पॉलिसी बनाई गई है, जिसमें पशु मालिकों द्वारा मवेशियों के गोबर के अवैध और अनुचित निपटान पर अंकुश लगाने की बात कही गई है। पॉलिसी में हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत ऐसा करने वालों के लिए कानूनी प्रावधान हैं, जिसमें आई.पी.सी. की धारा 188 के तहत सजा का प्रावधान हैं, जिसमें 6 महीने तक की कैद या जुर्माना, या दोनो हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि सभी गोबर उत्पादकों को उसके सुरक्षित और वैज्ञानिक निपटान की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए या तो वे, बायोगैस संयंत्र स्थापित करें या खाद तैयार करें। सभी गोबर उत्पादकों को पशु संख्या के अनुसार अपनी डेयरियां नगर निगम/नगर पालिका में पंजीकृत करवानी होंगी। गोबर उत्पादकों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इसमें 4 मवेशियों तक छोटे गोबर उत्पादक, 4 से अधिक और 25 मवेशियों तक के गोबर उत्पादक तथा 25 से अधिक मवेशियों वाली डेयरियां शामिल हैं। डेयरियों से निकलने वाले गोबर को नगर निगम उठवाएगा, जिसके लिए मासिक दरें फिक्स रहेंगी। इनमें छोटे पशु के लिए 150 रुपये महीना प्रति पशु, मध्यम आयु या आकार के पशु के लिए 200 रुपये महीना तथा बड़े पशु के लिए 250 रुपये महीना देना होगा। उन्होंने बताया कि नगर निगम की ओर से दरें लागू कर दी गई हैं। डेयरी संचालकों की ओर से बताए गए समय अनुसार रोजाना प्रात: व सांय, दोनो समय गोबर उठवाया जाएगा।
पिंगली स्थित डेयरी शिफ्टिंग स्थल पर डेयरियों की मौजूदा स्थिति पर भी मीटिंग में मंथन किया गया। उप निगम आयुक्त ने बताया कि जिन डेयरी संचालकों को प्लॉट अलॉट हो चुके हैं, लेकिन डेयरी शैडों के निर्माण का काम शुरू नहीं किया है, उन्हें 3 महीने का समय दिया गया है। मीटिंग में मौजूद सफाई निरीक्षक ऊषा रानी को उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे सभी डेयरी मालिकों को नोटिस जारी करें, जिन्होंने अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि नोटिस के बाद भी जो डेयरी निर्माण शुरू नहीं करते, उनकी डेयरियां सील कर दी जाएं।
पिंगली स्थल पर यह है डेयरियों को स्थिति- उप निगमायुक्त ने बताया कि पिंगली स्थित डेयरी शिफ्टिंग स्थल पर 12 डेयरियां शिफ्ट हो चुकी हैं। 22 डेयरियां ऐसी हैं, जिनके पशु शैड मुकम्मल हैं। मिटïï्टी भरपाई का काम 62 डेयरियों में कर दिया गया है। डेयरी कॉम्पलैक्स की एंट्री पर स्लाईडिंग गेट भी लगाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि पिंगली स्थल पर कुल 231 डेयरी प्लॉट हैं, 136 प्लॉटों का ड्रा निकाला जा चुका है, 95 अभी खाली हैं। प्लॉट लेने के इच्छुक डेयरी संचालकों की ओर से नगर निगम में 11 नए आवेदन आए हैं। अंतिम ड्रा बीती 26 अप्रैल 2023 को किया गया था, जिसमें 29 प्लॉट थे। इन सभी को अलॉटमेंट लेटर जारी किए जा चुके हैं। अलॉटमेंट लेटर जारी होने के बाद ऐसे डेयरी संचालकों को कैटल शैड बनाने होंगे, अन्यथा उन पर सख्ताई की जाएगी।