Friday, November 22, 2024
Home haryana वह देश नष्ट हो जाते हैं जो अपने इतिहास और सांस्कृतिक मूल्यों को भुला देते हैंःडॉ. प्रीतम सिंह

वह देश नष्ट हो जाते हैं जो अपने इतिहास और सांस्कृतिक मूल्यों को भुला देते हैंःडॉ. प्रीतम सिंह

by Newz Dex
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आयुष विवि में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर अखंड भारत संकल्प कार्यक्रम का आयोजन

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में सोमवार को विभाजन विभीषिका दिवस पर अखंड भारत संकल्प कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान जी ने की। कुलसचिव डॉ. नरेश भार्गव ने उपस्थित गणमान्यों का परिचय व पुष्पगुच्छ के साथ स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए अखंड भारत के मानचित्र के समक्ष 21 दीप जलाकर किया गया। मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. भीम राव अम्बेडकर स्टडी सेंटर के उप-निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने कहा कि वह देश नष्ट हो जाते हैं जो अपने इतिहास और सांस्कृतिक मूल्यों को भुला देते हैं। इसलिए समय अनुसार वर्तमान पीढ़ी को राष्ट्रीय महत्व के विषयों की जानकारी देना बहुत जरूरी है। 14 अगस्त यानी आज के दिन विश्व पटल पर ऐसे देश का उद्भव हुआ, जो एक अलग प्रकार की मानसिकता रखता है। भारत देश की अनूठी संस्कृति है और यह दुनिया की सबसे पुरानी और महानतम सभ्यताओं में से एक है, जिसकी सीमाएं हिन्दुकुश पर्वत से लेकर हिन्द महासागर तक फैली हुई थी। मगर एक विशेष तरह की मानसिकता से ग्रसित लोगों ने भारत के विरूद्ध एक षड़यंत्र रचा और विश्वभर में भारत को सांप-सपेरों, जातिवाद और धार्मिक अंधविश्वास से ग्रस्त देश के रूप में प्रचारित किया गया। जबकि सनातन सत्य कुछ ओर है हमारे संतों और महापुरुषों ने सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया की कामना की है। ऐसी दृष्टि भारत ही दे सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत देश का 421 वर्ष का पराक्रम और संघर्षों का इतिहास रहा है जिसमें अनेकों लड़ाइयां लड़ी गई। 14 अगस्त का दिन उस मानसिकता को स्मरण करने का दिन है जब लाखों की संख्या में हमारे मृत भाइयों-बहनों को लाहौर से ट्रेन में भरकर भेजा गया। हमारी माताओं और बहनों की अस्मत लूटी गई। इस संघर्ष के लंबे कालखंड में अनेक महापुरुषों ने अपने प्राणों की आहुति दी। उस दिन को भुलाया नहीं जा सकता। अंग्रेजों ने भारत देश में 225 वर्ष के अपने राज में 90 वर्षों तक एकछत्र शासन किया। फूट डालो राज करो की नीति पर देशवासियों को आपस में लड़वाया, यहां के इतिहास और ज्ञान के भंडार को योजनाबद्ध तरीके से नष्ट किया गया। बावजूद इसके आज भारत विश्व के गिने-चुने देशों में अपना नाम दर्ज करा चुका है। नेता या राजनीतिक पार्टियां देश व समाज के लिए कुछ करेंगी ऐसी मानसिकता जकड़न को तोड़ने होगा। अपने अस्तित्व के लिए खुद खड़ा होना होगा। इसके लिए इतिहास से सबक लेकर आगे बढ़ें।

वहीं इस अवसर कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि खालसा पंथ में पांचवे गुरु तक सभी ने अध्यात्म व भक्ति मार्ग के माध्यम से देश-समाज में धर्म व संस्कृति की अलख जगाई। मगर जरूरत आन पड़ने पर गुरुओं द्वारा धर्म रक्षार्थ हथियार भी उठाए गए। इसलिए राष्ट्रीय अस्मिता और अस्तित्व को बचाने के लिए खुद खड़ा होना पड़ेगा। सीमाओं पर ही नहीं आज आंतरिक तौर पर भी भारत देश के विरुद्ध अनेकों षड़यंत्र चल रहे हैं। इसलिए हरदम एक प्रहरी की भांति सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज 14 अगस्त के दिन अखंड भारत का पूजन कर हमने जाना की भारत की सीमा कहां तक फैली हुई थी। दुनिया भर के देशों में विश्व शान्ति के लिए भारत से एक आशा जगी है। आंतरिक सुरक्षा और शांति के लिए सजगता बहुत जरूरी है। कार्यक्रम के अंत में छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. दीप्ति पराशर ने अतिथियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेज डॉ. विदुषी त्यागी, निदेशक छात्र कल्याण डॉ. रवि राज, डॉ. आशीष मेहता, डॉ. पीसी मंगल, डॉ. जेके पांडा व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। 

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