मलमास को भगवान ने अपना नाम देकर बनाया पवित्र पुरुषोत्तम मास : स्वामी ज्ञानानंद
पुरुषोत्तम मास में भगवान की पूजा होती है विशेष फलदायक : स्वामी ज्ञानानंद
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा द्वारा पवित्र पुरुषोत्तम मास (श्रावण मास) में प्राचीन एवं ऐतिहासिक श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना एवं आरती का आयोजन किया गया। भगवान कालेश्वर महादेव की इस विशेष आरती में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुए जबकि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के पूर्व सदस्य विजय नरूला ने विशेष आरती में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का मंदिर परिसर में पहुंचने पर सभा द्वारा संचालित कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के वेदपाठी ब्रह्मचारियों ने मंत्रोच्चारण के साथ अभिनंदन किया।
सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा, प्रधान श्याम सुंदर तिवारी तथा प्रधान महासचिव रामपाल शर्मा के नेतृत्व में सभा के सदस्यों ने गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद का पुष्प गुच्छ व फूलमाला भेंट कर अभिनंदन किया। सभा के पदाधिकारियों ने गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद व विशिष्ट अतिथि विजय नरूला को अंग वस्त्र एवं प्रसाद भेंट कर सम्मानित किया। मंदिर परिसर में स्थित शिरड़ी साईं मंदिर में भी गीता मनीषी ने पूजा-अर्चना की और मंदिर के प्रबंधकों की ओर से स्वामी ज्ञानानंद को अंग वस्त्र व प्रसाद भेंट किया गया। विश्व कल्याण की कामना के साथ गीता मनीषी ने कालेश्वर महादेव की विशेष आरती उतारी और पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर कालेश्वर महादेव महिला संकीर्तन मंडली ने भी विशेष आरती और पूजा-अर्चना में भाग लिया। आरती के पश्चात अपने आशीर्वचन में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि प्रत्येक तीन वर्ष के पश्चात मलमास आता है और इस मलमास में समय का प्रदूषण बाहर निकलता है। इस वर्ष दो श्रावण हैं। मलमास के भगवान की शरण में जाने से यह पवित्र पुरुषोत्तम मास बन जाता है।
इसी प्रकार व्यक्ति के भगवान की शरण में जाने से उसके सभी पाप कर्म कट जाते हैं और वह पवित्र हो जाता है। भगवान कल्याणकारी हैं। उन्होंने मलमास को अपना नाम देकर पुरुषोत्तम मास बना दिया और यह सबसे पवित्र मास माना जाता है। पुरुषोत्तम मास में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। भगवान के दिए नाम पुरुषोत्तम मास में भगवान की पूजा-अर्चना करने का कई गुणा फल मिलता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को पुरुषोत्तम मास में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। यह मास विशेष फलदायक है और इस मास में पूजा का विशेष महत्व है। गीता मनीषी ने कहा कि श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा कुरुक्षेत्र की सबसे प्राचीन एवं प्रमुख धार्मिक संस्था है। यह सभा कुरुक्षेत्र में लगभग एक दर्जन से अधिक मंदिरों एवं पांच धर्मशालाओं का प्रबंधन सुचारू रूप से संभाल रही है और प्रत्येक धार्मिक आयोजन में बढ़-चढक़र भाग लेती है। इसी के साथ-साथ सभा द्वारा सनातन परम्परा को संजोए रखने के लिए कर्मकाण्ड का कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय भी चलाया जा रहा है जोकि अति सराहनीय कार्य है।