*उन्नत भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक प्रो.वीरेंद्र के विजय ने दी योजना की जानकारी
* उन्नत भारत अभियान योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीणांचल में उच्च गुणवत्तापरक शिक्षा की सुविधा से पिछड़े गांवों को विकास की अग्रिम पंक्ति लाना
*ग्रामीणांचल में रहने वाले लोगों के कौशल को अभियान से मिलेगा बढ़ावा
* कम से कम गांवों का समूह तैयार उन्हें उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ जोड़ना
* कोरोनाकाल में एक करोड़ प्रवासी मजदूरों ने किया पलायन, हालत से लेना होगा सबक
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली,23 नवंबर। भारत की आजादी के 70 साल बाद महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज और रामराज्य की अवधारणा को मूर्त रुप देने की पहल उन्नत भारत अभियान योजना के तहत हुई है। इस कार्य में देश के2500 से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षक और छात्र महत्वपूर्ण योगदान देंगे। अभियान में देशभर अति पिछड़े एवं पिछड़े गांवों में स्किल मैपिंग के बाद ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्नत भारत अभियान की योजनाओं को इसलिये भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है,क्योंकि भारत का उच्चशिक्षा प्राप्त वर्ग अपनी संस्कृति,परंपराओं और भारतीय शिक्षा दीक्षा से दूर होकर पाश्चात्य परिवेश में रच बस चुका है। कौशल एवं नवाचार के साथ इन्हें अपनी जड़ों से कैसे जोड़ कर रखा जाए,यह बड़ा मिशन उन्नत भारत अभियान ने अपने हाथों में लिया है। गांवों में तेजी से शहरों की ओर पलायन करने होड़ पर रोकने और ग्रामीणांचल में रोजगार के बेहतर अवसर कैसे प्राप्त होंगे,इस दिशा में क्रांतिकारी कदम उन्नत भारत योजना के तहत उठाये जा रहे हैं। ग्रामीणांचल के लोगों के कौशल का लाभ भारत निर्माण में हो,पिछड़े हुए गांवों को मुख्यधारा की लाने और इन्हें पेशेवर बनाने की मुहिम उन्नत भारत अभियान योजना का लक्ष्य है।
ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (आईआईटी) दिल्ली के प्रोफेसर वीरेंद्र के विजय उन्नत भारत अभियान योजना के राष्ट्रीय संयोजक हैं। उन्होंने बताया कि अभियान की शुरुआत नवंबर 2014 में हुई थी और पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा करने के उपरांत यह योजना अगले चरण में निरंतर सफलता की ओर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि आईआईटी दिल्ली में एचओडी रहते हुए उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट में प्रमुखता से इस बात पर चिंता जताई गई थी कि अगले डेढ़ दशक में भारत की शहरी आबादी को शुद्ध वातावरण,आवासीय सुविधाएं,भोजन,पानी की आपूर्ति में कई तरह की विकट समस्याओं को सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट में यह भी चिंता जताई गई थी कि इशकी वजह से गांवों से शहरों की ओर और छोटे नगरों से महानगरों की ओर पलायन करने वालों को इन तमाम मुश्किलात की वजह से वापिस अपने गांव घरों की लौटने पर विवश होना पड़ेगा।
प्रोफेसर वीरेंद्र के विजय का कहना है कि कोरोना की वजह से ये हालात 15 पहले ही पैदा हो गये। कोरोनाकाल में महानगरों और छोटे शहरों में कामधंधे की तलाश में रह रहे करीब एक करोड़ लोगों को अपने घरों की ओर लौटने यहां तक पैदल जाना पड़ा। कोरोनाकाल में इतनी बड़ी संख्या में पलायन की बड़ी वजह से भी रही,क्योंकि उनके पास ना काम था,ना रहने को अच्छी जगह और ना ही रोजगार। प्रोफेसर वीरेंद्र का मानना है कि अब जो गांवों में पहुंच गये हैं,उनमें से अधिकांश लोग शहरों की ओर लौटने वाले नहीं है,क्योंकि वे अपनी कार्यकुशलता के दम पर गांव में रहकर ही कामधंधे के विकसित करने के प्रयासों में जुटें है।
प्रोफेसर वीरेंद्र का कहना है कि इनमें ज्यादातर लोग पेशेवर और कड़ी मेहनत करने वाले लोग शामिल थे। उन्हें विश्वास है कि उन्नत भारत अभियान गांवों रहने वाले इन लोगों के कौशल में और गुणवत्ता पैदा करने का साथ उन्हें अपनी भी भूमि पर ही नवाचार के लिये प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि भारत को आजादी मिलने से अब तक जितनी भी टेक्नोलाजी विकसित हुई,उसका इस्तेमाल ग्रामीणों के कौशल के लिये उपयोग होगा। उन्होंने कहा कि 14 वीं 15 वीं शताब्दी तक भारत एक देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। ब्रिटेन,फ्रांस,पुर्तगाल जैसे अन्य कई देश कारोबार करने का सपना लेकर यहां आए थे। बाद में इन्हीं विदेशी ताकतों ने भारत को गुलाम बनाकर इसके संस्कार,शिक्षा,संस्कृति और मूल ढांचे पर चोट की। इन वजहों से अब तक जो देश को भारी क्षति पहुंची है। उसे उन्नत भारत अभियान योजना के जरिये पटरी पर लाने के प्रयास है।
प्रोफेसर वीरेंद्र ने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे कि असली भारत गांव में बसता है। उन्होंने ही ग्राम स्वराज और रामराज्य की सोच को देश की जनता के समक्ष रखा था। उन्होंने बताया कि इस अभियान का आधार हमारी शिक्षण संस्थाओं में उच्चशिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र हैं,क्योंकि अभियान से देश के महाविद्यालय,विश्वविद्यालय,तकनीकी संस्थान जुड़े हैं। जब अभियान शुरु किया था उस समय थोड़े से कालेज थे। विस्तार से इस योजना की जानकारी देते हुए प्रोफेसर ने बताया कि भारत सरकार द्वारा गांवों का विकास करने के लिए उन्नत भारत अभियान योजना की शुरुआत 11 नवंबर 2014 को की गई थी।
जैसा की बताया है कि इस अभियान का लक्ष्य ग्रामीणांचल में उच्च शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर और उनके कार्य कौशल को बढ़ावा देना है। इस महत्वाकांक्षी योजना के जरिये उन गांवों को प्राथमिकता देना है,जोकि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी पिछड़ी श्रेणी में शुमार हैं। आईआईटी दिल्ली के प्रयासों से समंवित इस योजना के माध्यम से गांवों में समूह तैयार करके उन्हें शिक्षा संस्थानों के साथ जोड़ा जा रहा है।साथ ही इन गांवों को आर्थिक और सामाजिक सहायता भी प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि जो लोग इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं,वे उन्नत भारत अभियान योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर केवल व्यक्तिगत ही नहीं,बल्कि राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकते हैं। इसके लिये अनिवार्य है कि आवेदक को अपनी पात्रता की जांच करे।
उन्होंने बताया कि उन्नत भारत अभियान सफलतापूर्वक 25 अप्रैल 2018 को दूसरे चरण में पहुंच चुका है। इस अभियान के दूसरे चरण का शुभारंभ मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा किया गया था। इस योजना के दूसरे चरण में देश भर के 750 उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र गांवों को गोद ले रहे हैं। इस महत्वपूर्ण कारज में कालेज और विश्वविद्यालय के छात्रों का विशेष योगदान रहेगा,क्योंकि इस उन्नत भारत अभियान की सफलता के आधार यही छात्र हैं।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत देश की 748 शैक्षणिक संस्थाएं सेवारत हैं। इनमे 143 संस्थाएं फेज -1 में और 605 संस्थाए भाग लेगी, जिसमे से 313 टेक्निकल संस्थाए और 292 नॉन टेक्निकल संस्थाओं की विशेष भूमिका होगी। विशेषतौर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित उपरोक्त सभी उच्च शिक्षण संस्थानों और योजना के तहत सभी सस्थानों को कहा है कि वे पिछड़ी हुई ग्राम पंचायतों और गांवों में अपनी श्रेष्ठ भूमिका के माध्यम से ग्रामीणांचल के ज्ञान एवं विशेषज्ञता कुशलता बढ़ावा देते हुए उन समस्याओं को दूर करें,जिससे इन क्षेत्रों का पिछड़ापन दूर हो।