कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा का सफरनामा
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 24 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा का आज 57वां जन्मदिवस है। 25 नवम्बर 1963 को संयुक्त पंजाब के सोलन में (आज हिमाचल प्रदेश) सोमवार के दिन चमन लाल (पिता) एवं कैलाशवंती (माता) के घर प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने जन्म लिया। उनकी स्कूली शिक्षा पानीपत, हरियाणा में हुई। उनके पिता चमन लाल पानीपत में स्टेशन मास्टर के पद पर कार्यरत थे। उनकी माता कैलाशवंती एक कुशल गृहिणी व समाजसेवी महिला थी।
शिक्षा
प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने अपनी पांचवी तक की शिक्षा रेलवे स्कूल पानीपत व छठी से 10वीं तक जैन हाई स्कूल पानीपत तथा 11वीं की पढ़ाई आर्य सीनियर सैकेंडरी स्कूल, पानीपत से की। प्रो. सोमनाथ हर कक्षा में अव्वल दर्जे के विद्यार्थी रहे। इन्हांने सन् 1979 में 10वीं कक्षा में पूरे हरियाणा बोर्ड में 10वां स्थान व सन् 1980 में हायर सैकेंडरी में पूरे प्रदेश में चौथा स्थान प्राप्त किया था। सन् 1985 में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र (अब एन.आई.टी.) से बीएससी सिविल इंजीनियरिंग में आनर्स के साथ स्नातक किया। इसके पश्चात् इन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कालेज से 1987 में हाइवेएज में डिस्टिंक्शन के साथ स्नात्तकोत्तर किया। उच्च शिक्षा के लिए इनमें एक अलग ही ललक थी। सन् 2004 में आईआईटी रूडकी से प्रख्यात वैज्ञानिक
डॉ. सतीश चन्द्रा (आजकल निदेशक सेन्ट्रल रोड रिसर्च संस्थान, नई दिल्ली) एवं प्रो. आरके बंसल के निर्देशन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र से पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की।
परिवार एवं देशप्रेम की भावना
प्रो. सोमनाथ की स्कूल के दिनों से ही राष्ट्र सेवा व डिफेंस फोर्सेस में रूचि रही है। देशप्रेम की भावना उनको घर से व माता-पिता की प्रेरणा से मिली। उनकें संयुक्त परिवार व भाई-बहनों के कारण उनमें सामाजिकता का भाव बचपन से ही था। प्रोफेसर सोमनाथ के परिवार में उनकी 87 वर्षीय माता कैलाशवन्ती, पत्नी डॉ. ममता सचदेवा व दो सुपुत्र हार्दिक व हर्षित है। डॉ. ममता सचदेवा वनस्पति शास्त्र में स्नातकोत्तर (गोल्ड मेडलिस्ट) एवं पीएचडी है। शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं देने के बाद वे समाज-सेवा के क्षेत्र में कार्यरत है। प्रो. सोमनाथ के बडे पुत्र हार्दिक उच्च शिक्षा के बाद मल्टी-नेशनल कम्पनी में कार्यरत है। छोटे पुत्र हर्षित ने दसवीं की परीक्षा में कुरुक्षेत्र जिले में टॉप किया है।
अध्यापन कार्यकाल, कार्यकुशलता एवं तकनीकी दक्षता
स्कूल में शिक्षकों की प्रेरणा एवं एनसीसी के कारण प्रो. सोमनाथ में अनुशासन बचपन से ही था। वे अपने माता-पिता, शिक्षकों एवं पीएच.डी सुपरवाइजर्स को अपनी प्रेरणा एवं सफलता का प्रतीक मानते हैं। उनके इन्हीं गुणों के कारण शिक्षा उपरान्त ही इनका चयन सर्विस सिलेक्शन कमीशन द्वारा आर्मी इंजीनियर्स एवं इंजीनियरिंग सर्विसिज़ एक्जाम, यूपीएससी द्वारा बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन और आल इंडिया रेडियों कंस्ट्रक्शन विंग में हुआ। इनका सपना शिक्षा के क्षेत्र से जुड़कर अलग मुकाम हासिल करने का था। इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी शुरूआत पंजाब इंजीनियरिंग कालेज से शिक्षक के रूप में की। इसके पश्चात् सन् 1987 सें प्रो. सोमनाथ सचदेवा एनआईटी (पहले रीजनल इंजीनियरिंग कालेज) मेंं शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अपने सेवाकाल में शिक्षा, शोध, प्रशासन, कंसलटैंसी एवं समाज सेवा के क्षेत्र में इनका सराहनीय योगदान रहा। प्रो. सोमनाथ सचदेवा ट्रांसर्पोटेशन के क्षेत्र में मुख्य कंसलटेंट के रूप में जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में हरियाणा के राज्य तकनीकी समन्वयक के रूप में सेवाएं देते हुए लगभग 2000 करोड़ रूपये की लागत की ग्रामीण सड़कों को मजबूत एवं चौड़ा करने में इनकी विशेष भूमिका रही। लगभग राज्य की हर शोध एवं विकास परियोजनाओं में इनकी तकनीकी
दक्षता का विशेष योगदान रहता है।
पिछले 33 वर्षो के अध्यापन में प्रो. सोमनाथ चीफ वार्डन, प्रेजीडेंट स्टूडेंट क्लब, कंट्रोलर एक्जाम, एनसीसी आफिसर (कैप्टन), विभागाध्यक्ष सिविल इंजीनियरिंग विभाग, सीनेट मेम्बर जैसे प्रशासनिक पदों पर रहे। कुरुक्षेत्र के प्रति अथाह प्रेम के कारण ही इन्होंने पंजाब टैक्निकल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट डीन का पद भी ठुकरा दिया।
भविष्य की योजनाएं
प्रो. सोमनाथ सचदेवा की साधना एवं शिक्षा-क्षेत्र के प्रति समर्पण के कारण ही एक सामान्य पृष्ठभूमि से आकर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति के पद को सुशोभित कर रहे हैं। प्रो. सोमनाथ सचदेवा का सपना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आह्वान पर नई शिक्षा नीति को विश्वविद्यालय में जल्द से जल्द लागू करके उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श संस्थान के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर मान्यता दिलवाने का है। इसके लिए कुलाधिपति सत्यदेव नारायण आर्य के निर्देशन में उनके लक्ष्यों में एनआईआरएफ रैंकिंग, ग्लोबल एक्सीलैंस, ज्ञान आधारित शिक्षा, कौशल विकास एवं एटीट्यूड बिल्डिंग प्रमुख है। प्रो. सोमनाथ सचदेवा आने वाली युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बिन्दु के रूप में कार्य कर रहे हैं।