Sunday, November 24, 2024
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एकता द्वारा राग रंग उत्सव:कलाकारों ने बिखेरे लोक कला के विविध रंग

by Newz Dex
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न्यूज डेक्स संवाददाता

रोहतक। भारतीय कला संस्कृति के प्रति समर्पित इलाहाबाद की चर्चित संस्था एकता द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत लोक रात रंग उत्सव का भव्य आयोजन आज आई .एम.ए. ऑडिटोरियम, रोहतक, (हरियाणा) में किया गया। इसमें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित नाटक लाल पद्मधर का मंचन एवं लोक नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति की गई। समारोह में वरिष्ठ कलाकार एवं डॉक्टर हरीश वशिष्ट मुख्य अतिथि के रूप में तथा फिल्म यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक एवं विख्यात रंगकर्मी विभांशु वैभव विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे।

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित लोक राग रंग उत्सव में एकता संस्था की दोनों ही प्रस्तुतियां प्रभावशाली थी। पहली प्रस्तुति अजीत दुबे द्वारा लिखित नाटक लाल पदमधर का मंचन युवा रंगकर्मी पंकज गौड़ के निर्देशन में किया गया। नाटक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित था। नाटक में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा भारतीयों पर की जा रही बर्बरता, अत्याचार एवं भारतीय सेनाओं के संघर्ष को बहुत ही मार्मिक रूप से दर्शाने का प्रयास किया गया। 1942 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा देते हुए भारतीय सैनिकों में जोश भरते हुए अंग्रेजी सैनिकों पर हमला बोलने का आवाहन किया गया था। इस घटना को मुख्य रूप से नाटक में दिखाया गया। कहानी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के युवा छात्र नेता लाल पद्मधर के इर्द-गिर्द घूमती है। अगस्त क्रांति मैदान से अंग्रेजों को भारत छोड़ने को कहा जाता है।

इस दौरान शक्तिशाली आंदोलन में भारतीय आंदोलनकारी अंग्रेजी सैनिकों को खदेड़ने का प्रयास करते हैं तो दूसरी तरफ अंग्रेजी सैनिक ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर देते हैं। इधर इलाहाबाद में आंदोलन का मोर्चा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संभालते हैं। छात्रों का नेतृत्व युवा छात्र नेता लाल पद्मधर करते हैं। लाल पद्मधर के नेतृत्व में छात्रों का हुजूम जिला कचहरी की और कूच करता है। अंग्रेजी सैनिकों के लाख रोकने की कोशिश के बाद भी आंदोलनकारी छात्र रुकने की बजाय आगे बढ़ते जा रहे थे। अंग्रेजी सैनिक जब खुद को कमजोर महसूस करने लगे तो उन्होंने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। सभी छात्र जहां थे वहीं लेट जाते हैं किंतु लाल पदमधर हाथ में तिरंगा लिए तटस्थ खड़े रहते हैं क्योंकि वह लेटते तो तिरंगा झुक जाता आखिरकार उसी समय अंग्रेजों की गोली उनको लगती है और वह वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं। यहीं पर नाटक का अंत होता है। इस मार्मिक दृश्य को देखकर दर्शक भाव विभोर हो जाते हैं। 

सभी कलाकारों ने अपने प्रभावपूर्ण अभिनय से पूरे समय दर्शकों को नाटक से बांधे रखा। लाल पद्मधर की भूमिका में श्वेतांग मिश्रा,  नयनतारा की भूमिका में प्रगति रावत, मां की भूमिका में शीला, सूत्रधार की भूमिका में शुभम सिंह की प्रभावपूर्ण भूमिका थी। आरिश जमील, हरशलराज, शुभेंदु कुमार, यश मिश्रा, अभिषेक सिंह ठाकुर, शरद कुशवाहा, विक्रांत केसरवानी ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया। संगीत परिकल्पना रोहित यादव, प्रकाश व्यवस्था अभिषेक गिरी  गीतकार कुमार विकास, मंच सामग्री प्रियांशु कुशवाहा, शरद यादव, रूप सजा शीला एवं प्रगति रावत का  था। नाटक के लेखक अजीत दुबे थे। सह निर्देशन रोहित यादव ने किया। नाट्य परिकल्पना एवं निर्देशन पंकज गौड़ ने किया। 

सुरेंद्र सिंह के निर्देशन में हरियाणा के लोक नृत्य कलाकारों ने हरियाणवी नृत्य के साथ देश के अन्य प्रांतों के लोक नृत्य से उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। देशभक्ति के गीतों पर किए गए लोक नृत्य ने लोगों को अत्यधिक प्रभावित किया। हरियाणा के कलाकारों ने तीज त्यौहारों, विशेष अवसरों पर गाए जाने वाले गीतों पर भी मनोहारी लोक नृत्य की प्रस्तुतियां दी। नृत्य कलाकार थे अनूप कुमार, राममेहर, सिद्धार्थ, खुशी, नेहा, महक, तनु, अंजू, दिव्या, टीना।

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