न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़। हरियाणवी संस्कृति के साधक एवं मूर्धन्य लेखक सेवा सिंह रापडिय़ा की नव-प्रकाशित कृति ‘कोरोना: ठप्प जीवन और एकाकीपन’ का लोकार्पण आज यहां पार्टी कार्यालय में एक प्रेसवार्ता के दौरान इनेलो विधायक चौधरी अभय सिंह चौटाला ने किया। अभय चौटाला ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि सेवा सिंह समर्पण भाव से साहित्य संस्कृति की सेवा में रत हैं। इस कृति में मजदूरों/महिलाओं/डॉक्टरों आदि के रोचक विवरण प्रस्तुत किए गए हैं। एक वो समय (1947) था जब विभाजन के दौरान जनमानस ‘इधर से उधर’ जा रहे थे और एक ये वैश्विक महामारी कोरोना विषाणु का समय (2020) था जब प्रवासी/मजदूर अपने पैतृक घरों, अपने राज्यों तक पहुंचने के लिए परिजनों समेत लू से तपती सडक़ों पर निकल पड़े थे। ये भी सत्य है अगर लॉकडाउन (सब बंद), कोरोना प्रकोप के दौरान पैदल चलने की प्रतियोगिता होती तो लाजिमी इसमें मजदूर ही जीतता। लेखक पहले भी हरियाणवी भाषा में ‘हरियाणा मखौल’ नामक पुस्तक जगत को दे चुके हैं।
इनेलो नेता ने कहा कि देश-दुनिया की महिलाओं ने जल-थल-नभ में बहादुरी और काबिलियत की मिसाल तो पेश की ही हैं लेकिन लॉकडाउन/कोरोनाकाल में इन्हें समझना और भी सरल कर दिया है। लॉकडाउन के दौरान महिलाओं ने विकराल तपते दर्दीले रास्तों को नापते करते हुए पति का साथ नहीं छोड़ा और कई माओं ने तो भूख-प्यास को बच्चों के पास फटकने तक नहीं दिया और खुद ने अपने प्राणों तक को न्यौछावर कर दिया। इन माओं को दुखता तो बहुत होगा कि कैसे इन्होंने इस विपदा में अपने बच्चों को धूप में तपाना पड़ा।