न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 25 नवंबर। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा ऑनलाइन संस्कृति ज्ञान परीक्षा के पंजीकरण का शुभारंभ आज किया गया। कार्यक्रम का ऑनलाइन संचालन संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने किया। उन्होंने अतिथि परिचय कराते हुए बताया कि इस कार्यक्रम में देशभर से संस्कृति बोध परियोजनाा के प्रांत एवं क्षेत्र प्रमुख उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि संस्कृति ज्ञान परीक्षा ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी शुरू की गई है, जिसका पंजीकरण आज से प्रारंभ हो गया है। भावी पीढ़ी भारतीय संस्कृति को और अच्छे से जान सके, इस हेतु कोरोनाकाल में ऑनलाइन परीक्षा मील का पत्थर साबित होगी।
इस अवसर पर विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री श्रीराम आरावकर, अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव, जे.एम. काशीपति, संगठन मंत्री, डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी, अध्यक्ष, वि.भा.सं.शि. संस्थान, संस्थान के सचिव अवनीश भटनागर, संस्कृति बोध परियोजना के राष्ट्रीय संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित, यतीन्द्र कुमार शर्मा, सहसंगठन मंत्री, गोविन्द चंद्र महंत, सहसंगठन मंत्री, वासुदेव प्रजापति, सह-सचिव, कोषाध्यक्ष पंकज शर्मा उपस्थित रहे।
विषय की प्रस्तावना रखते हुए अवनीश भटनागर ने कहा कि संस्कृति बोध परियोजना विद्या भारती के वैचारिक अधिष्ठान का लोकव्यापीकरण है। संस्थान जन-जन तक भारत की इस कालजयी संस्कृति को पहंुचाना चाहते हैं। यह ऑनलाइन संस्कृति ज्ञान परीक्षा संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम है। संस्कृति और संस्कार ही विद्या भारती के विद्यालयों का वैशिष्ट्य है। विद्या भारती विद्यालयों के वैशिष्ट्य को समाज तक पहुंचाना जाए, इसलिए संस्कृति ज्ञान परीक्षा की व्यवस्था को परीक्षा संचालन या आयोजन तक सीमित न रखते हुए व्यापक दृष्टि से प्रचार करते हैं। यह कार्य कोई कार्यक्रम नहीं है वरन् बहुत बड़ा कार्य है, जिससे देश की अगली पीढ़ी को इस देश की पावन संस्कृति के प्रति गौरव भाव जागरण करने के योग्य सक्षम बना सकें।
उन्होंने कोरोनाकाल में आपदा में से अवसर ढूंढने को ऑनलाइन संस्कृति ज्ञान परीक्षा को एक बड़ा अवसर बताते हुए कहा कि इस परीक्षा में अधिकतर विद्या भारती के विद्यालय ही प्रतिभागिता करते थे, अब अन्य विद्यालय एवं पूर्व छात्र व अभिभावक भी ऑनलाइन परीक्षा देकर इसमें भाग ले सकते हैं। कार्यक्रम के मुख्यातिथि श्रीराम आरावकर ने कहा कि आज जबकि संपूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति को स्वीकार कर रहा है, ऐसे में संस्कृति का ज्ञान विद्या भारती के छात्रों, अध्यापकों व अभिभावकों के अतिरिक्त समाज के अन्य वर्ग को भी होना चाहिए।
इस हेतु संस्थान संस्कृति बोध परियोजना के माध्यम से समाज में विभिन्न आयामों के माध्यम से जागरूक करने में लगा है। ऐसा ही आयाम है संस्कृति ज्ञान परीक्षा। वर्तमान कोरोनाकाल में विद्यार्थी श्रेष्ठ परम्परा से वंचित न हों, इसलिए संस्कृति ज्ञान परीक्षा को ऑनलाइन भी आयोजित किया जा रहा है, जिसका शुभारंभ आज हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारी श्रेष्ठ संस्कृति का हम अध्ययन करें, स्वयं ही उसका मूल्यांकन करें और उसे अपने आचरण में उतारें। यही इस संपूर्ण कार्य का उद्देश्य है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डी. रामकृष्ण राव ने कहा कि हमारी संस्कृति विशिष्ट है, श्रेष्ठ है, उदार है, सत्य सिद्ध है और लोक कल्याणार्थ है। हमारे ऋषि मुनियों ने साधना करके यह संस्कृति विकसित की है, उसका हम पालन कर रहे हैं। संस्कार प्रदान करना और संस्कृति को ठीक से प्रसारित करना हमारा दायित्व है। सदियों से चले आ रहे नैतिक मूल्यों को आगे लाने में असफल हो गए और संवर्द्धन, पोषण और प्रसारण करते हुए सदियों से हमारे ऋषि-मुनियों ने जो कोशिश की, उसे हमने नकार दिया तो छात्रों में अच्छे संस्कार लाने की आवश्यकता उत्पन्न हुई।
विद्या भारती ने इस अभियान को हाथों में लिया और सभी विद्यालयों में मूल्यवर्द्धन हो, संस्कृति निष्ठा बढ़े, जिसके लिए संस्कृति बोध परियोजना के अंतर्गत संस्कृति ज्ञान परीक्षा के माध्यम से छात्र स्तर पर संस्कार उत्पन्न करने का कार्य किया। वर्तमान कोरोनाकाल में इस परीक्षा को ऑनलाइन किया जा रहा है, जिसके माध्यम से छात्र घर बैठे ही परीक्षा से जुड़ पाएंगे। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र से हुआ।