बोर्ड में पनप रहे भ्रष्टाचार पर लगे अंकुश, मजदूरों को मिले राहत
आशा वर्कर्स 28 अगस्त को करेगी विधानसभा का घेराव
न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ। ट्रेड यूनियन सीटू के अधीन संयुक्त निर्माण मजदूर मोर्चा, हरियाणा ने निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड में पनप रहे भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं। यूनियन नेताओं का आरोप है कि मजदूरों के कल्याण के उद्देश्य गठित इस बोर्ड में दिनोंदिन बढ़े रहे भ्रष्टाचार के चलते मजदूर वर्ग अपने हितों से वंचित है और निरंतर शोषित हो रहे हैं। शनिवार को चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान सीटू के प्रदेश अध्यक्ष सुखबीर सिंह और महासचिव राममेहर सिंह, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष धर्मबीर लौहान, महासचिव कृष्ण नैन, एटक के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह और महासचिव विनोद दडोली सहित अन्य यूनियन लीडरों ने बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुये कहा है कि प्रदेश में निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड का गठन 2005 में हुआ था और अभी तक 18 साल बीत जाने के बावजूद भी आधे मजदूर पंजीकृत नहीं हुये हैं।
यूनियन लीडरों का तर्क था कि प्रदेश भर में 22 लाख से अधिक निर्माण मजदूर है। यदि मनरेगा को जोड़ दिया जाये तो यह गणना लगभग तीस लाख हो सकती है। बोर्ड में मजदूरों के उत्थान के लिये जमा लगभग 4500 करोड़ रुपये के बावजूद भी सरकार मजदूरों को उनको दी जाने वाली सुविधाओं से वंचित रख रही है।
उनका आरोप है कि मजदूरों की फैमिली आईडी का लाभ मजदूर वर्ग को नहीं मिल रहा है। बोर्ड के अधिकारी व कर्मचारी गलत ओब्जेशन (आपत्ति) लगाकर मजदूरों को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रख रह हैं। उन्होंनें आरोप जड़े कि इसके साथ साथ बोर्ड के कर्मचारी फैमिली आईडी कार्ड में छेड़छाड़ करके भ्रष्ट तरीके से अपनों को लाभ दे रहे हैं। सभी ने रोष जताया कि बोर्ड सीधे तौर पर भ्रष्टाचार का केन्द्र बन चुका है जिसका सीधा खमियाजा मजदूर वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। उन्होनें कहा कि यह घोटाला उजागर होने के बावजूद भी बोर्ड कार्यवाही करने की बजाय अपने कर्मचारियों को बचाने में लगी हुई है।
यूनियन लीडरों ने यह भी आरोप लगाये कि प्रदेश भर में रोजाना बड़े बड़े कार्यक्षेत्रों पर मजदूर काल का ग्रास बन रहे हैं। अधिकतर साईटों का रजिस्ट्रेशन नहीं है जिससे की मजदूरों में असुरक्षा का आलम नजर आता है। उनकी मांग थी कि निर्माण साईटों पर सेक्योरिटी रजिस्ट्रेशन का कड़़ाई से पालन हो ताकि मजदूर वर्ग अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सके।
यूनियन लीडरों ने बताया कि राज्य भर में कई जिलों में बोर्ड के अधिकारियों व कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं जिसके कारण मजदूर अपनी बात नहीं रख पाते है। कई जिलों में कल्याणकारी अधिकारियों की आईडी फंक्शनल नहीं है जिससे मजदूरों को अपनी शिकायतें व्यक्त करने का मौका नहीं मिलता और वे बदहाली में अपना जीवन यापन करने में मजबूर हैं।
यूनियन लीडरों ने चेताया कि ऐसी परिस्थितियों में मजदूर वर्ग ऐसी अव्याव्स्था के विरोध में एक बड़े आंदोलन का मन बना चुके हैं जिसमें प्रदेश के समस्त मजदूर भागीदारी बनेंगें। इससे पूर्व यूनियन लीडर हरियाणा विधान सभा मे ं विपक्ष पाटियों के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और किरण चौधरी से मिलकर पूरी स्थिति से अवगत करवाया। नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिलाया कि वे सदन में इस मुद्दे प्रति सवाल उठायेंगें और मजदूर वर्ग को हर संभव सहायता प्रदान करवाने के लिये प्रदेश सरकार पर दवाब बनायेंगें।
प्रदेश की आशा वर्कर्स 28 अगस्त को करेगी विधान सभा का घेराव
चंडीगढ़, प्रदेश में सीटू के अधीन लगभग बीस हजार हड़ताली आशा वर्कर्स ने भी अपने आंदोलन की अवधि 29 अगस्त तक बढ़ा दी है। आशा वर्कर्स यूनियन की प्रदेश महासचिव सुनीता और कोषाध्यक्ष ने पत्रकारों को बताया कि उनकी साथी बहनें प्रदेश की लगभग दो करोड़ की आबादी को स्वास्थ्य की हर संभव सेवायें देने में प्रयासरत है परन्तु सरकार उनकी आय में बढ़ोतरी नहीं कर रही है जिससे की उनका जीवन यापन करना ओर भी कठिन होता जा रहा है। उनका आरोप था कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा गत कई वर्षो से उनकी मांगो को अनसुना कर रही है फिर भी आशा वर्कर्स बहनें दृढ़सकल्प से अपने कार्यो को अंजाम दे रही है। इनकी मांगों में इनकी बहनो को कर्मचारी का दर्जा मिलने के साथ साथ न्यूनतम वेतन 26000 करते हुये ईएसआई पीएफ की श्रेणी में शामिल किया जाये। इसके साथ रिटायरमेंट की उम्र 65 साल की जाये और योग्यता के आधार पर पदोन्नति की जाये।