शिव तत्व में शिवतत्व और शक्तितत्व दोनो का अंतर्भाव होता है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। शिव आरम्भ, अंत और मध्य इन तीनो का ही प्रारंभिक केंद्र बिंदु है। शिव तत्व सृष्टि को वो रहस्य है, जो प्रकृति और पुरुष के अंतर को मिटाकर उसकी एकरूपता को स्थापित करता है। शिव ही ब्रह्मा के रूप मे सृष्टि का निर्माण, विष्णु के रूप मे रूप मे उसमे जीवन का संचार, और शंकर के रूप मे इस सृष्टि का अंत करते है। इसीलिये शास्त्रों मे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का एक रूप मे प्रगट होना ही शिव कहा गया है, इसलिये शिव को जानने के बाद कुछ भी जानना शेष नहीं रहता है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संयोजक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित शिव संवाद कार्यक्रम मे व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ शिव स्तुति से हुआ। कार्यक्रम की मातृभूमि सेवा मिशन की मध्यप्रदेश इकाई के संरक्षक मुन्ना लाल गुप्ता ने की और संयोजक अशोक शर्मा विशिष्ट अतिथि रहे। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने गया शिवतत्व में शिवतत्व और शक्तितत्व दोनो का अंतर्भाव होता है। परमशिव प्रकाशविमर्शमय है। इसी प्रकाशरूप को शिवतत्व और विमर्शरूप को शक्तितत्व कहते हैं। यही विश्व की सृष्टि, स्थिति और संहार के रूप में प्रकट होती है। बिना शक्ति के शिव को अपने प्रकाश रूप का ज्ञान नहीं होता।
जब शिव ही अपने अंत:स्थित अर्थतत्व को बाहर निकालने के लिये उन्मुख होते है, तब उनका बाहरी रूप ही शक्ति कहलाता है। यह दुनिया सिर्फ भौतिकता तक ही सीमित है। हमारे देखने, सुनने और स्पर्श करने की शक्तियां यहां तक मन भी सिर्फ भौतिक चीज़ों को ही समझ सकता है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा शिव का अर्थ है, जो नहीं है। जो नहीं है, वो शून्य है ।आधुनिक विज्ञान मानता है कि इस पूरी संरचना को इंसान के तर्कों पर खरा उतरना होगा, लेकिन जीवन को देखने का यह एक बेहद सीमित तरीका है। क्योकि यह संपूर्ण सृष्टि मानव बुद्धि के तर्कों पर कभी भी खरी नहीं उतर सकती। हमारा दिमाग इस सृष्टि में तो फिट हो सकता है, परन्तु यह सृष्टि हमारे दिमाग में कभी भी फिट नहीं हो सकती। संसार में तीन प्रकार के कार्य निरंतर चलते रहते हैं उत्पत्ति, पालन और संहार। इन्हीं तीन भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए इन्हे तीन नाम दे दिए गए हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश। विष्णु सतगुणमूर्ति हैं, ब्रह्मा रजोगुणमूर्ति और शिव तामसगुणमूर्ति हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुन्ना लाल गुप्ता ने गया मातृभूमि सेवा मिशन शिव ज्ञान को आत्मसात कर जीव सेवा कर रहा है। आज आवश्यकता है शिव तत्व वो समझकर राष्ट्र एवं समाज के प्रति अपने दायित्व के निर्वाह करने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अशोक शर्मा ने कहा शिव परम शक्ति है। कार्यक्रम वो मातृभूमि सेवा मिशन मध्यप्रदेश के उपाध्यक्ष एवं शिक्षाविद् रामहेत शर्मा और देहरादून के संयोजक दिनेश छारी ने भी सम्बोधित किया। मातृभूमि सेवा मिशन की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा डा. श्रीप्रकाश मिश्र वो अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम मे मिशन के सदस्य, विद्यार्थी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।