Friday, November 22, 2024
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विश्व में शांति और मंगल कामना के लिए एनआइटी निदेशक डा. बीवी रमणा रेड्डी ने कालेश्वर महादेव की पूजा कर उतारी आरती

by Newz Dex
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ब्राह्मण समाज ने एनआइटी निदेशक डा. बीवी रमणा रेड्डी को दिया आशीर्वाद

श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा ने अंगवस्त्र भेंट कर किया सम्मानित

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा द्वारा पुरषोत्तम मास श्रावण के अंतिम सोमवार की रात्रि को श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में विशेष आरती व पूजा का आयोजन किया गया। श्री कालेश्वर महादेव की विशेष आरती में एनआइटी निदेशक डा. बीवी रमणा रेड्डी उनकी धर्मपत्नी कविता रेड्डी मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुए। मंदिर परिसर में पहुंचने पर सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा, प्रधान श्याम सुंदर तिवारी, प्रधान महासचिव रामपाल शर्मा व सभा के सदस्यों ने अतिथियों का फूल माला व पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। सभा द्वारा संचालित कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के वेदपाठी ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चारण के बीच डा. बीवी रमणा रेड्डी को आशीर्वाद दिया। आरती के बाद सभा के पदाधिकारियों ने मुख्यातिथि डा. रमणा रेड्डी को अंगवस्त्र व प्रसाद भेंट कर सम्मानित किया। डा. बीवी रमणा रेड्डी ने परिसर में स्थित शिरडी सार्इं मंदिर में भी पूजा की। मंदिर के प्रधान डा. विजय शर्मा ने डा. बीवी रमणा को अंग वस्त्र व प्रसाद भेंट किया।

डा. बीवी रमणा रेड्डी ने विश्व में शांति और मंगलकामना के साथ कालेश्वर महादेव की आरती की और पूजा अर्चना की। कालेश्वर महिला मंडल की ओर से संकीर्तन किया गया और भारी संख्या में सभा के सदस्यों व महिला मंडल ने कालेश्वर महादेव की आरती में भाग लिया। डा. बीवी रमणा ने श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा का आभार जताया। उन्होंने कहा कि भगवान कालेश्वर जी की पूजा करके उन्हें जो आनंद की प्राप्ति हुई वह शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा ने डा. बीवी रमणा रेड्डी और उनकी पत्नी को कालेश्वर महादेव की धार्मिक महत्ता बताते हुए कहा कि यहां शिवलिंग बिना नंदी के विराजत हैं। देश भर में यह अद्वितीय मंदिर है। कथा के अनुसार यहां से जब लंकापति रावण का उड़नखटोला गुजर रहा था तो वह डगमगा गया। रावण ने इस तीर्थ पर बैठकर भगवान शिव की तपस्या की तब भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए। जब भगवान शिव रावण को वरदान देने लगे तो रावण ने कहा कि इसका कोई साक्षी नहीं होना चाहिए। तब भगवान शिव ने नंदी को अपने से दूर किया था। 

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