इस छुट्टी के मायने कुछ और होते हैं जनाब,शायद छुट्टी घोषित करने वालों को इसका अंदाजा नहीं होगा
लोग व्रत रखते हैं, पर्व के पूरे विधि विधान में दिन ही नहीं,आधी रात तक गुजर जाती है और आप छुट्टी को…
हरियाणा में कई प्रमुख धर्मगुरु हैं,विद्वान कर्मकांडी ब्राह्मण हैं,तीर्थों पर पर्वों का कलेंडर तैयार करने वाला विकास बोर्ड है,सरकार के पास गीता मनीषी हैं,प्रमुख आस्था के केंद्र हैं,फिर भी इनसे नहीं ली जाती जानकारी
क्या अधिकारी के क्लेंडर की तारीख पर पेन रखने से तय हो जाता भारतीय धर्म संस्कृति के प्रमुख पर्व का दिन
वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य की फेसबुक वाल से
कुरुक्षेत्र। आजादी के बाद अगर किसी राजनीतिक दल को सबसे ज्यादा सनातन परंपराओं की चिंता है तो वह भाजपा। भाजपा का धर्म संस्कृति, भारत की अनमोल विरासत,उत्सवों और पर्वों पर फोकस रहता है।निसंदेह इन विषयों पर चिंता करने में कोई बुराई नहीं,बल्कि इस पर तो गर्व भी किया जा सकता है। चिंताजनक पहलू यह है कि इस तरह के विषयों पर फोकस के बावजूद भाजपा सरकार में अधिकारियों की लापरवाही से पर्वों की रौनक, उत्साह और आनंद फीका पड़ रहा है। बता दें कि राज्य सरकार के कलेंडर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का अवकाश 6 सितंबर 2023 घोषित किया गया था,जबकि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा और देश भर में 7 सितंबर को जन्माष्टमी पर्व मनाया जा रहा है।
इस महत्वपूर्ण पर्व पर सरकारी छुट्टी 6 सितंबर होने के कारण असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई थी। वहीं अपने घरों में इस उत्सव को मनाने वाले लोगों के अलावा जन्माष्टमी पर कार्यक्रम आयोजित करने वाली संस्थाओं ने भी शैड्यूल उसी तरीके से तैयार कर लिया था,लेकिन सारे किए कराए पर दूसरा झटका आज दुपहर बाद तब लगा जब सरकार की ओर से 6 सितंबर की छुट्टी रद्द कर 7 सितंबर की छुट्टी का फरमान जारी हो गया। अब लोग सवाल यह उठा रहे हैं कि यह छुट्टी कौन विशेषज्ञ तैयार करता है। यह कोई भी कलेंडर पर पेन रख कर बता देता है कि इस तिथि को होगा पर्व।
हरियाणा में पहले से ही कई बड़े धर्मगुरु हैं,ज्योतिषाचार्य,कर्मकांडी ब्राह्मण हैं और अब तो राज्य के पास अपने एक गीता मनीषी भी हैं, गीता ज्ञान संस्थानम में गीता रिसर्च सेंटर है,जयराम जैसी संस्था में गीता शोध केंद्र है,बताते हैं कि यहां कई विद्वान शोध करते हैं। पांच जिलों में प्रमुख तीर्थों का संरक्षण और मुख्य उत्सवों का कलेंडर तैयार करने वाला कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड है।इसके बावजूद श्री कृष्ण जन्माष्टमी जैसे प्रमुख पर्व की छुट्टी में इस तरह की लापरवाही चिंताजनक है। अब इसी वजह से कई अनेक जगहों पर दो दो श्री कृष्ण जन्माष्टमी आयोजित की जाएगी।
महत्वपूर्ण सवाल यह उठ रहा है कि सरकार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जैसे मुख्य पर्वों की वार्षिक कलेंडर में छुट्टी की घोषणा से पहले गीता मनीषी,प्रमुख धर्मगुरुओं,विद्वानों और आस्था के प्रमुख केंद्रों या इन मामलों के विशेषज्ञों से राय क्यों नहीं लेती।यह भी नहीं है कि पिछली सरकारों में इस तरह की लापरवाही नहीं हुई,पहले भी कई मर्तबा हुई,मगर मौजूदा सरकार भाजपा की है और पर्वों पर गर्व करने वाले राजनीतिक दल से इस तरह की उम्मीद नहीं की जाती।