इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एके गुप्ता व उपाध्यक्ष धुमन सिंह ने किया सरस्वती जलाशयों का निरीक्षण
सरस्वती जलाशयों के भव्य स्वरुप को देखकर गद्-गद् हुए पूर्व वैज्ञानिक एके गुप्ता
भूजल को रिचार्ज करने में काफी सहायक सिद्ध हो रहे है सरस्वती जलाशय
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। भारतीय स्पेस रिसर्च सेंटर (इसरो) के सेवानिवृत वैज्ञानिक एवं हरियाणा सरस्वती विकास बोर्ड की तकनीकी कमेटी के सदस्य एके गुप्ता ने कहा कि सरस्वती नदी के तट पर बने सरस्वती जलाशयों के बारे में पहले उन्होंने सुना था, लेकिन अब इन सरस्वती जलाशयों का भव्य स्वरूप अपनी आंखों के सामने देखकर उनका मन गद्-गद् हो रहा है और वह अपने आपको काफी आनंदित महसूस कर रहे है। इसरो के सेवानिवृत वैज्ञानिक एके गुप्ता शनिवार को गांव बिहोली और मरचेहड़ी में सरस्वती नदी के तट पर बनाए गए भव्य सरस्वती जलाशयों का निरीक्षण करने के उपरांत बातचीत कर रहे थे। इससे पहले सेवानिवृत वैज्ञानिक एके गुप्ता, हरियाणा सरस्वती विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच, अधीक्षण अभियंता अरविंद कौशिक ने गांव बिहोली व मरचेहड़ी में सरस्वती नदी के तट पर बनाए गए सरस्वती जलाशयों का निरीक्षण किया। इस दौरान बरसात के बीच में सेवानिवृत वैज्ञानिक एके गुप्ता व उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने सरस्वती जलाशय के जल से आचमन कर मां सरस्वती को नमन किया। इसके उपरांत उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने वैज्ञानिक एके गुप्ता को सरस्वती जलाशयों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।
वैज्ञानिक एके गुप्ता ने कहा कि हरियाणा सरस्वती विकास बोर्ड सरस्वती नदी को धरातल पर फिर से अविरल बहने और भूमिगत पानी को रिचार्ज करने के लिए काफी अच्छा काम कर रहे है। बोर्ड द्वारा सरस्वती नदी व इसके तट पर बने तीर्थों का सौंदर्यीकरण करके एक सराहनीय कार्य किया जा रहा है। बोर्ड के यह प्रयास सफल रहेंगे और आने वाले 4-5 सालों में हम सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर बहता हुआ देखेंगे। सरस्वती बोर्ड के यह प्रयास केवल धरोहर व पर्यटन को विकसित करने के लिए नहीं है, अपितु इससे किसानों व भूमि से जुड़े लोगों को काफी फायदा होगा। सरस्वती नदी के फिर से धरातल पर बहने से इस क्षेत्र की डार्क जोन की समस्या का समाधान होगा, भूमिगत जलस्तर को ओर अधिक रिचार्ज किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि बरसात के पानी को व्यर्थ में बहने से बचाने के लिए सरस्वती नदी के तट पर बनाए गए सरस्वती जलाशय काफी शानदार प्रोजेक्ट है। इससे बरसात के पानी को एकत्रित करके उसका बाद में सदुपयोग किया जा सकता है। इससे क्षेत्र को बाढ़ की समस्या से भी निजात मिलती है। उन्होंने कहा कि वह देश में अन्य नदियों के किनारों पर इस तरह की जलाशय बनाने की केंद्र व राज्य सरकार से अपील करेंगे ताकि बरसात के पानी को एकत्रित किया जा सके। सरस्वती बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह ने वैज्ञानिक एके गुप्ता को जानकारी देते हुए कहा कि बोर्ड द्वारा जलाशयों के निर्माण के साथ-साथ उनका रख-रखाव व सौंदर्यीकरण का कार्य भी किया जा रहा है। इस मानसून के सीजन में भारी बरसात के समय सरस्वती नदी वरदान बनकर सामने आई और इसके माध्यम से बरसात के दौरान बाढ़ के पानी की निकासी का कार्य बखुबी किया गया।