न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में ‘‘पत्रकारिता में राष्ट्रधर्म’’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पाञ्चजन्य के सम्पादक हितेश शंकर ने की। अतिथि वक्ता के रूप में डी.डी. न्यूज के वरिष्ठ सलाहकार सम्पादक प्रखर श्रीवास्तव, टी.वी.9 डिजिटल कन्सल्टेंट शिवेन्द्र कुमार सिंह, पाञ्चजन्य के कन्सल्टिंग एडीटर श्रीमती तृप्ति श्रीवास्तव एवं कार्यक्रम संरक्षक रत्नचंद सरदाना रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। प्रख्यात पत्रकार रोहित सरदाना की स्मृति में उनके जन्म दिवस पर आयोजित इस व्याख्यान में विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने अतिथियों का परिचय कराते हुए बताया कि रोहित सरदाना ने स्वच्छ एवं निर्भीक पत्रकारिता करके राष्ट्रधर्म निभाया। साधारण व्यक्तित्व होने के बाद भी मीडिया जगत में ऊंचाइयों तक पहुंचना उनकी दृढ़ संकल्पिता दर्शाता है।
इस अवसर पर सभी अतिथियों को शॉल एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर अभिनंदन एवं सम्मान किया गया। कार्यक्रम की भूमिका में डॉ. ऋषि गोयल ने कहा कि समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रभाव के जागरण के कार्य को सर्वाधिक वरीयता दी जानी चाहिए। रोहित सरदाना को राष्ट्रधर्म का बोध परिवार एवं विद्यालय से हुआ, यह उन्होंने बड़ी निकटता से देखा है। उन्होंने ‘वाद’ शब्द को लेकर कहा कि वाद में अपनी बात को ऊपर रखने की प्रतीति आती है वह चाहे तर्क से हो अथवा कुतर्क से। इसलिए ऐसे शब्दों से परहेज कर राष्ट्रभाव अथवा राष्ट्रधर्म का प्रयोग करना उचित है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हितेश शंकर ने कहा कि भारत में जब हम राष्ट्रीय सरोकारों की बात करते हैं तो पत्रकारिता की यात्रा कैसे शुरू हुई, भारत इस मामले में दुनिया में अनूठा देश है कि इस देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में जितने पत्रकार रहे, वे कुछ न कुछ एक-दो-तीन पत्र निकालते रहे। यानि पत्रकार का अर्थ ही था राष्ट्रीय सरोकार। उन्होंने पत्रकारिता में राष्ट्रधर्म में रोहित को रूपक के तौर बताते हुए कहा कि आप कहीं भी हैं, अगर आप में ऐसी प्रतिभा है तो आप रोहित हो, तब आप राष्ट्रीय सरोकार की बात कर सकते हो। राष्ट्रीय सरोकार की बात करनी है तो निश्चित ही आपको संकल्प की शक्ति, खुद को साबित करने की जिद्द, खुद को मनवाने का माद्दा अगर आप में है आप राष्ट्रीय सरोकार में फिट बैठते हो।
डी.डी. न्यूज के वरिष्ठ सलाहकार सम्पादक प्रखर श्रीवास्तव ने रोहित सरदाना के साथ बिताए पलों को साझा करते हुए कहा कि रोहित न केवल स्वयं अपितु लोगों को भी आगे बढ़ने को प्रेरित करते थे। वामपंथी विचारधारा को बदल कर ईको सिस्टम को ध्वस्त करने का श्रेय रोहित को ही जाता है। सोशल मीडिया के माध्यम से भी वे लोगों को जागरूक करते थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रधर्म में पत्रकारिता करनी है तो आपको तथ्य एवं तर्कों से लैस रहना होगा। रोहित में यही जिजीविषा थी कि वे स्वयं को तथ्यों से परिपूर्ण रखते थे।
टी.वी.9 डिजिटल कन्सल्टेंट शिवेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि रोहित के अंदर संकल्पशक्ति थी। उनके सवाल जवाब की गहरी रेखाएं होती थीं। टी.वी. शो में किसी भी गेस्ट के साथ राग-द्वेष नहीं होता था। यही उनकी कला थी कि उन्होंने बहस के अनेकों कार्यक्रमों में बड़ी प्रखरता से राष्ट्रधर्म को निभाया। पाञ्चजन्य की कन्सल्टिंग एडीटर श्रीमती तृप्ति श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता जगत में रोहित का न होना बहुत बड़ी क्षति है। पत्रकारिता करते हुए राष्ट्रधर्म निभाते हुए कभी भी पीछे न हटना, निर्भीक रहना, सच के साथ खड़े रहना यही रोहित की खूबी थी, जिसकी छाप स्वच्छ पत्रकारिता करने वालों के मन-मस्तिष्क पर आज भी पड़ी हुई है।
मंच संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राजेश चौहान ने कहा कि रोहित ने एक विशेष तरह के ‘वाद’ का जवाब अपने प्रतिवाद से दिया और एक नई परिपाटी गढ़ी, जिसका अनुसरण आज भी बहुत से पत्रकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी कह देना, किसी के जीवन मूल्यों, सांस्कृतिक मूल्यों को, धार्मिक आस्थाओं पर प्रहार करना कहां की पत्रकारिता है, उन तमाम चीजों को रोहित ने जवाब दिया। रोहित चिरकाल तक पत्रकारिता के इतिहास में दैदीप्यमान बन रहेंगे। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने आभार अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का समापन वन्दे मारतम् से हुआ। इस अवसर पर संस्थान के सचिव वासुदेव प्रजापति, डा. ऋषि गोयल, डॉ. हुकम सिंह, डॉ. पंकज शर्मा, कृष्ण कुमार भंडारी, नारायण सिंह, राजकुमारी, सुमन बाला, यश वधवा, अशोक रोशा, डॉ. संजीव धीमान, डॉ. ऋषिपाल मथाना सहित नगर के अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।