मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा सनातन धर्म की वैश्विक प्रासंगिकता विषय पर धर्म संवाद कार्यक्रम संपन्न।
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र । सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीनतम धर्म है, जो पूरी दुनिया में फैला हुआ था जिसके साक्ष्य आज भी अनेक देशो में मिलते है। सनातन धर्म से ही सारे धर्मो का उद्गम हुआ है।ऋषियों ने पहले से सत्य को देखा है उनको पता है की सनातन एक सत्य के मार्ग पर चलने वाला धर्म है।वेदो में ईश्वर के जन्म को लेकर यह कहा गया है की ना ही इसने कभी जन्म लिया है और ना ही इसकी कभी मृत्यु हुई है अर्थात इसका कभी अंत नहीं हो सकता है। ईश्वर को अलग नाम से तो बुलाया गया है परन्तु यह एक ही अवतार है और भगवान एक ही है। यह विचार बंगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा, मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध धर्मचार्य के श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी संदीपेंद्र जी महाराज ने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा सनातन धर्म की वैश्विक प्रासंगिकता विषय पर आयोजित धर्म संवाद कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। कार्यकम का शुभारम्भ भारतमाता के चित्र से माल्यार्पण, पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी संदीपेंद्र जी महाराज एवं मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने संयुक्त रूप से किया।श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी संदीपेंद्र जी महाराज का मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर पहुँचने पर ब्रम्हचारियों ने शंख ध्वनि एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भारतीय परम्परा से अद्भुत स्वागत किया। श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी संदीपेंद्र जी महाराज ने कहा भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति और सभ्यता का इतिहास हजारो साल पुराना है, सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म की पहचान रही है। अनेक आक्रमण और दमनकारी नीति द्वारा, धर्म परिवर्तन के दबाव तथा लाखो मंदिर तोड़े जाने के कारण इसकी साख कुछ प्रभावित हुई । जिसका मुख्य कारण एकता न होना था, लेकिन आज पुनः सनातन धर्म और संस्कृति की पहचान पूरी दुनिया में हो रही है। संसार के सभी धर्म, संप्रदाय एवं मत मतांतरों की उत्पत्ति सनातन धर्म से हुई है। सनातन धर्म, शांति का प्रतीक यह और सनातन सभी प्राणियों के प्रति प्रेम की भावना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा.
श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा सत्यम् शिवम् सुंदरम् सनातन की बुनियाद है, ऋग्वेद के अनुसार जो सदा के लिए सत्य है यानी शाश्वत है वही सनातन है। ईश्वर, आत्मा और मोक्ष सत्य है, इसलिए इस मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म है और सत्य भी है। यह सत्य अनादिकाल से चल रहा है, जिसका अंत नहीं होगा। जिनका न प्रारंभ है और न अंत है उस सत्य को ही सनातन कहते हैं और यही सनातन धर्म का सत्य है।सनातन ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्म महाआकाश है तो आत्मा घटाकाश। आत्मा का मोक्ष परायण हो जाना ही ब्रह्म में लीन हो जाना है इसीलिए कहते हैं कि ब्रह्म सत्य है जगत मिथ्या यही सनातन सत्य है। और इस शाश्वत सत्य को जानने या मानने वाला ही सनातनी कहलाता है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा सनातन धर्म में प्रकृति के प्रति अपार प्रेम और आस्था है साथ ही इन आस्थाओ के पीछे अनेक सिद्धांत भी छिपे हुए जो की आज की वैज्ञनिक तकनीकी को चुनौती देती है।विश्व में यह एक मात्रा ऐसा धर्म है, जिससे विज्ञान की दुनिया से बराबरी में तौला जाता है।विश्वभर में सनातन धर्म की महानता की ख्याति पहले से ही है जो अपनी विनम्रता और उदारता के लिए जाना जाता है। आज सनातन धर्म के जीवन मूल्यों की आवश्यकता सम्पूर्ण विश्व को एक आदर्श एवं श्रेष्ठ विश्व का निर्माण सनातन के मानवीय मूल्यों को आत्मसात करके ही हो सकता है । आश्रम परिसर मे श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी संदीपेंद्र जी महाराज ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी संदीपेंद्र जी महाराज को स्मृति स्वरुप भगवान आदि गुरु शंकराचार्य का चित्र स्मृति एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन आश्रम के सदस्य कपिल मदान ने किया। आभार ज्ञापन संदीप मोदगिल ने किया। कार्यक्रम में आचार्य नरेश कौशिक, समाजसेवी राणा जसवीर सिंह, कपिल शर्मा, गुरप्रित सिंह सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओ के प्रतिनिधि सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांतिपाठ से हुआ।