आरती के साथ वामन पुराण कथा का हुआ समापन
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र ।
वामन द्वादशी मेला के उपलक्ष्य में सन्निहित सरोवर पर श्री ब्राह्मण एवम तीर्थोद्घार सभा द्वारा आयोजित वामन पुराण कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से बोलते हुए कथावाचक शुकदेव आचार्य ने कहा कि राजा बलि ने कुरुक्षेत्र की भूमि पर ही यज्ञ आयोजित किया था। इस यज्ञ में राजा बलि का अहंकार तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने बोने ब्राह्मण (वामन भगवान) का रूप धारण करके उससे दीक्षा मांगी। राजा बलि ने इस ब्राह्मण को कुछ भी मांगने को कहा तो वामन भगवान ने केवल तीन कदम भूमि मांगी। जब राजा बलि तीन कदम भूमि दान देने का संकल्प कर रहे थे तो शुक्राचार्य ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन बलि ने कहा की वह संकल्प दे चुके हैं। जिस पर वामन भगवान ने पहले कदम में सारी पृथ्वी और दूसरे कदम में सारा ब्रह्मांड नाप दिया जिस पर राजा बलि उनके चरणों में पड़ गया। वामन भगवान ने तीसरा कदम पूरा करने के लिए कहा तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। जिस पर वामन भगवान ने तीसरा कदम रखकर उसका कल्याण कर दिया।
शुकदेव आचार्य ने कहा कि वामन का दूसरा नाम त्रिविक्रम है। तीनों लोको में उनसे विक्रम कोई नही है। भगवान विष्णु ने वामन के रूप में अवतार कुरुक्षेत्र की भूमि में ही लिया था। कुरुक्षेत्र की भूमि का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि वामन पुराण में कुरुक्षेत्र के 365 तीर्थों का वर्णन मिलता है। उन्होंने कहा की ब्राह्मणों की उत्पत्ति ब्रह्मा की भूमि कुरुक्षेत्र में ही हुई है। इसका उल्लेख वामन पुराण में ही मिलता है। उन्होंने बताया की भगवान विष्णु ने अदिति के गर्भ से वामन के रूप में अवतार लिया था।
इस अवसर पर शुकदेव आचार्य ने श्रीमन नारायण नारायण भजन गाकर पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया और कहा कि वामन पुराण की कथा अर्थ और सम्मान देने वाली है और व्याधि का नाश करती है। सबसे पहले पोलत्स्य ऋषि ने नारद जी को वामन पुराण की कथा सुनाई। कथा के समापन अवसर पर दूसरे दिन के यजमान मनमोहन शर्मा को सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा तथा प्रधान श्याम सुंदर तिवाड़ी ने वामन भगवान का चित्र और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। आरती के पश्चात वामन भगवान की कथा का समापन हुआ।