पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा,राम नाम के साबुन से जो,मन का मेल छुड़ाएगा…
वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य की फेसबुक वाल से
कुरुक्षेत्र। मैले कुचैले कपड़े पहने दो बच्चे कुरुक्षेत्र के एडिशनल डिप्टी कमिशनर अखिल पिलानी (आईएएस) के साथ सौफे पर आकर उनके साथ बैठ गए। मंगलवार देर शाम को यह घटनाक्रम दो दिवसीय वामन द्वादशी मेले में आयोजित राजा बलि पर आधारित नाटिका के दौरान वीवीआईपी दीर्घा का है।इस दौरान एडीसी के साथ वाले सौफे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती,थानेसर के विधायक सुभाष सुधा, केडीबी मानद सचिव उपेंद्र सिंघल और बोर्ड के मेंबर बैठे हुए थे। दरअसर नाटिका की शानदार प्रस्त्तुति चंडीगढ़ के कलाकारों द्वारा दी जा रही थी। सभी इस नाटक प्रस्तुति पर टकटकी लगाए देख रहे थे,लेकिन इसी बीच दो बच्चे चिराग और विशाल वीवीआईपी दीर्घा में आ गए।
यहां हरियाणा मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती, उनके साथ बैठे थानेसर के विधायक सुभाष सुधा,कुरुक्षेत्र जिला के एडिशनल डिप्टी कमिशनर एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर अखिल पिलानी,केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल और मेंबर साहिबान सहित मेला के मुख्य आयोजक श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के पदाधिकारी बैठे हुए थे। इन बच्चों को देखते ही ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के अध्यक्ष ने इन्हें वीवीआईपी से दूर ले जाने का प्रयास किया,लेकिन बच्चे टस से मस नहीं हो रहे थे।
इन दोनों नन्हें बच्चों की नजर एडिशनल डिप्टी कमिशनर के साथ बैठने के लिए सोफे पर टिकी हुई थी और वे वहां बगैर डरे बिंदास होकर बैठे। हालांकि इन्हें वहां से फिर हटाने का प्रयास किया,लेकिन एडीसी और एक केडीबी मेंबर कैप्टन परमजीत सिंह ने इन बच्चों को वहीं एडीसी के साथ सौफे पर बैठा दिया। यह दृश्य देख एडीसी अखिल पिलानी मुस्कुराते हुए अपने मोबाइल में मशगूल हो गए और बच्चे कार्यक्रम के अंत तक उन्हीं के साथ सौफे पर बैठे रहे। अमूमन इस तरह के वीवीआईपी के पास बैठना तो दूर पास खड़े होने तक नहीं दिया जाता,लेकिन यहां दृश्य थोड़ा जुदा था और इस दौरान मीडिया के कैमरे भी यहां नहीं थे।
पत्रकारिता के लंबे सफर में अनगिनत कार्यक्रम कवर किए,मगर इस तरह के दृश्य बहुत कम दिखाई दिए। फिर याद आई वो पंक्तियां …पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा,राम नाम के साबुन से जो,मन का मेल छुड़ाएगा, निर्मल मन के दर्पण में वह,राम का दर्शन पायेगा,राम नाम के साबुन से….कार्यक्रम के अंत में जब इन मैले कुचैले कपड़े पहने बच्चों से इनके नाम पूछे तो इनमें से एक ने बताया चिराग तो दूसरे ने बताया विशाल।
इन्होंने बताया कि वह दोनों सगे भाई हैं और उनके पिता मजदूरी करते हैं। वह कहां रहते हैं ? इस सवाल पर इन्होंने सन्निहत सरोवर के एक छोर की ओर इशारा करते हुए बताया कि वह वहां रहते हैं,यानी सरोवर के किनारे झुग्गी में। वे दोनों सोफे पर क्यों बैठना चाह रहे थे,इस पर वे कुछ नहीं बोले,लेकिन अधिकारियों के बीच बैठ कर नाटक के आनंद का संतोष इनके चेहरों पर साफ झलक रहा था। ईश्वर की कृपा हुई तो शायद यह आगे चल कर इनकी यही जिद किसी बेहतर मुकाम की ओर लेकर जाए। हालांकि इससे पहले आज इन बच्चों की इच्छा एक अधिकारी के विनम्र व्यवहार की वजह से पूरी जरुर हो गई और वीवीआईपी के बीच बैठकर इन्होंने वामन भगवान और राजा बलि पर आधारित नाटिका को देखा और वीवीआईपी के संग प्रस्तुति देख, उन्हीं की तरह करतल ध्वनि भी की।