न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 30 जुलाई। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का अर्थशास्त्र विभाग सबसे पुराने विभागों में से एक है जिसकी स्थापना 1961 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. विकास मिश्रा ने की थी। डाॅ. मिश्रा लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में नोबल लॉरेट आर्थर लुईस के डॉक्टरेट छात्र थे। विभाग को अकादमिक उत्कृष्टता और छात्र-केंद्रित बौद्धिक विकास को बढ़ावा देने की शानदार संस्कृति विरासत में मिली है। सक्षम शिक्षकों, विभाग के पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब और आईटी सक्षम संगोष्ठी कक्ष से सुसज्जित विभाग ने उच्च शिक्षण के लिए ऐसा वातावरण तैयार किया है, जो छात्रों को विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करने और उनके सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करता है। विभागाध्यक्ष प्रो. नीरा वर्मा ने बताया कि आज चूंकि प्रौद्योगिकी, सामाजिक प्रक्रियाओं, राजनीति, नए उभरते वैश्विक व्यवस्था और जलवायु परिवर्तन में परिवर्तन के जवाब में आर्थिक वातावरण तेजी से बदल रहा है, इसलिए किसी भी विकसित एवं विकासशील देश के विकास को जानने के लिए वहां के अर्थशास्त्र की जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि आज के दौर में अर्थव्यवस्था और समाज की बदलती जरूरतों के अनुसार ही पाठ्यक्रमों को लगातार मजबूत बनाया जा रहा है।
एमए अर्थशास्त्र और एमए बिजनेस इकोनॉमिक्स दोनों पाठ्यक्रमों के लिए 2020-2021 वर्ष के लिए प्रवेश प्रक्रिया प्रत्येक कार्यक्रम में 60 सीटों के साथ शुरू की गई है। दाखिले के लिए इच्छुक आवेदक 7 अगस्त, 2020 आवेदन कर सकते हैं। अर्थशास्त्र विभाग वर्तमान में तीन पाठ्यक्रम प्रदान करता है एमए अर्थशास्त्र और एमए बिजनेस इकोनॉमिक्स और पीएचडी कार्यक्रम। मास्टर्स प्रोग्राम के तहत व्यावसायिक करियर में छात्र अपना सुनहरा भविष्य निर्धारित कर सकते हैं। आज शिक्षण और अनुसंधान से लेकर नौकरशाही, बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्रों को देखते हुए इस विषय की महत्ता का अनुमान लगाया जा सकता है। अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व छात्रों में कुलपति, भारत और विदेशों में सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, आईएसएस, आईपीएस, आईआरएस व आईईएस अधिकारी, बैंकिंग और बीमा पेशेवर, वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी, व्यवसाय सलाहकार, वित्तीय विश्लेषक शामिल हैं।
हर तरह की अर्थव्यवस्था के लिए अर्थशास्त्र की जानकारी जरूरी: प्रो. नीरा वर्मा
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