भारत वापस लाया जाएगा छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख
छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1659 में इसी वाघ नख (हथियार) से बीजापुर सल्तनत के जनरल अफजल खान को उतारा था मौत के घाट
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। हिंदुस्तान में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यभिषेक के 350 साल पूरे होने का जश्न मनाने की तैयारियां चल रही हैं और इस बीच बड़ी खबर है कि छत्रपति शिवाजी महाराजे के वाघ नख को ब्रिटिश संग्रहालय से भारत वापस लाने के लिए समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो गए हैं। दरअसल ब्रिटिश सरकार से अपील की थी कि 2-3 माह में वाघ नख को भारत भेजा जाए, लेकिन ब्रिटिश संग्रहालय ने पूरी प्रक्रिया में वक्त लगने की बात कही है। इन प्रयासों के पीछे राज्यभिषेक के 350 वर्ष पूरे होने पर महाराष्ट्र में कई जगहों पर आयोजित कार्यक्रमों की रुपरेखा और इस अवसर पर वाघ नख को प्रदर्शित करने के उत्साह को बताया जा रहा है। बहरहाल भारत की ओर से महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
इधर महाराजे के वाघ नख को भारत वापस लाने की सूचनाओं से छत्रपति शिवाजी के प्रति सम्मान और आस्था रखने वालों में खासा उत्साह है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस तैयारी पर खुशी जताई है। शिंदे ने इस विषय पर किए गए तमाम प्रयासों के लिए महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को दिया और कहा कि 15 अप्रैल 2023 को महाराष्ट्र सरकार ने विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम को पत्र लिखकर वाघ नख लौटाने की मांग की थी। वहीं मुंबई में मौजूद ब्रिटेन के डिप्टी हाई कमिश्नर एलन गमेल से पूरे विषय पर बात की थी,जिसके बाद यह प्रयास सफल हुए और वाघ नख भारत वापस लाने के समझौते ज्ञापन पर विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम के निदेशक ट्रिस्टम हंट और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान लंदन में भारतीय मूल के लोगों ने इस पर खुशी जताई।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1659 में इसी वाघ नख (हथियार) से बीजापुर सल्तनत के जनरल आततायी अफजल खान को मौत के घाट उतारा था। हिंदवी साम्राज्य के सपने के साथ छत्रपति शिवाजी महाराजे ने अपनी शासन व्यवस्था के दौरान प्रजा की सुरक्षा और शांति के लिए अनेक कार्य किए। महाराष्ट्र में आज भी छत्रपति शिवाजी महाराजे की एक महान राजा से बढ़कर भगवान की तरह पूजा होती है।
छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुए 350 वर्ष होने जा रहे है। उनका राज्यभिषेक 6 जून 1674 को महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में हुआ था।उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया था इस कारण से 4 अक्टूबर 1674 को दूसरी बार शिवाजी ने छत्रपति की उपाधि ग्रहण की थी। दो बार हुए इस समारोह में लगभग 50 लाख रुपये खर्च हुए थे और इसी समारोह में हिंदवी स्वराज की स्थापना का उद्घोष हुआ था।