Friday, November 22, 2024
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भावांतर भरपाई की आड़ में किया गया एक और घोटाला: अभय सिंह चौटाला

by Newz Dex
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इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भाजपा गठबंधन सरकार पर जड़े दो बड़े गंभीर आरोप

मुख्यमंत्री ने कृषि मेले को चुनावी अखाड़ा बनाते हुए मेले की बदली तारीख: अभय सिंह चौटाला

कहा – ‘मेरी फसल-मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर प्रदेश के कई किसानों की जमीन दूसरे लोगों के नाम पर दर्ज कराई और ‘भावांतर भरपाई’ द्वारा रूपए उनके खातों में जमा करके करोड़ों रूपए का घोटाला किया गया ह

झज्जर जिला के किसानों ने इसकी शिकायत जिला कृषि अधिकारी को की, जो जांच के बाद सही पाई गई, जिसकी रिपोर्ट मीडिया में भी छपी है

हर साल की तरह इस बार भी 13-14 सितंबर को किसान मेला आयोजित होना था, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी सुविधा के अनुसार 8, 9 और 10 अक्तूबर कर दी जिसके कारण किसानों को बहुत नुकसान हुआ है 

भाजपा-जजपा की किसान विरोधी नीयत के कारण इस कृषि मेले को समय पर न करवा कर जानबूझ कर आगे टाला गया और सबसे बड़ी बात यह कि रबी की फसल बोने के लिए किसानों को बीज भी उपलब्ध नहीं करवाया गया

न्यूज डेक्स संवाददाता

चंडीगढ़। इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भाजपा-जजपा सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की सरकार में अब तक हुए घोटालों में एक घोटाला और जुड़ गया है। किसानों को उसकी फसलों की कीमत के लिए दी जाने वाली भावांतर भरपाई की आड़ में एक और घोटाला सामने आया है। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर प्रदेश के कई किसानों की जमीन दूसरे लोगों के नाम पर दर्ज कराई और भावांतर भरपाई द्वारा रूपए उनके खातों में जमा करके करोड़ों रूपए का घोटाला किया गया है।

झज्जर जिला के किसानों ने इसकी शिकायत जिला कृषि अधिकारी को की, जो जांच के बाद इसे सही पाई गई, जिसकी रिपोर्ट मीडिया में भी छपी है। सरकार ने 2 साल में भावान्तर भरपाई में 1700 करोड़ रुपए किसानों के नाम पर खातों में डाले हैं, लेकिन कई किसानों को तो यह पता ही नहीं है कि उनकी जमीन पर किसके खाते में पैसे डाले गए हैं। यह हालात प्रदेश के सभी जिलों में है अकेले हिसार जिले में कई हजार एकड़ में बाजरे की फसल का नूंह और चंडीगढ़ के लोगों के नाम रजिस्ट्रेशन है।

इनेलो नेता ने मुख्यमंत्री द्वारा किसान मेले को राजनीतिक प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल करने का दूसरा आरोप जड़ते हुए कहा कि हर साल की तरह इस बार भी 13-14 सितंबर को किसान मेला आयोजित होना था, लेकिन मुख्यमंत्री ने कृषि मेले को चुनावी अखाड़ा बनाते हुए मेले की तारीख अपनी सुविधा के अनुसार 8, 9 और 10 अक्तूबर कर दी जिसके कारण किसानों को बहुत नुकसान हुआ है। किसानों की बर्बाद हो चुकी खरीफ फसल के कारण खेत को खाली करके रबी फसल समय पर बोने के लिए समय पर बीज की जरूरत थी क्योंकि फसल-चक्र मौसम और समय के अनुसार निर्धारित होता है, लेकिन भाजपा-जजपा की किसान विरोधी नीयत के कारण इस कृषि मेले को समय पर न करवा कर जानबूझ कर आगे टाला गया और सबसे बड़ी बात यह कि रबी की फसल बोने के लिए किसानों को बीज भी उपलब्ध नहीं करवाया गया।

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