साहित्य के क्षेत्र में डा. जय भगवान सिंगला का निरंतर चल रहा है सृजन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। धर्मनगरी के प्रेरणा वृद्धाश्रम एवं प्रेरणा संस्था के संस्थापक डा. जय भगवान सिंगला समाज सेवा के साथ साथ साहित्य के क्षेत्र में भी अपना सृजन कार्य कर रहे हैं। डा. सिंगला अभी तक 40 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं। अब उनकी नई पुस्तक गुदगुदाती यादें का लोकार्पण हिंदी उत्सव एवं अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार साहित्य सम्मान समारोह में हुआ। साहित्यकारों के बीच डा. सिंगला को एक अति विशिष्ट पहचान भी है। अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार साहित्य सम्मान समारोह में 60 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया जिन में डा. जय भगवान सिंगला भी शामिल रहे।
इस अवसर पर निर्मला स्मृति साहित्य समिति के संस्थापक अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार एवं अनुवादक डा. अशोक मंगलेश ने कहा कि डा. जय भगवान की सभी पुस्तकें अति रोचक होने के साथ-साथ बहुत समाज उपयोगी भी हैं। डा. सिंगला की सभी पुस्तकें समाज का एक साक्षात दर्पण हैं। जहां इन में आधुनिकता का समावेश है वहीं हमारी प्राचीन परंपराओं का भी विशेष तौर पर वर्णन है। गुदगुदाती यादें पुस्तक के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह पुस्तक कालेज के समय की स्मृतियों को लेकर लिखी गई है। जिसमें 57 कविताएं हैं और सभी कविताएं पढ़ने वाले को आनंद विभोर कर देती हैं। उन्होंने कहा कि डा. सिंगला की अब तक 37 पुस्तकें आ चुकी हैं।
इस अवसर पर डा. सिंगला ने मंच से अपने उद्बोधन में कहा कि चाहे आज डिजिटल मीडिया का जमाना आ गया है लेकिन पुस्तकों के महत्व को कदापि भी कम करके नहीं आंका जा सकता है। पुस्तक ज्ञान का भंडार है और समाज के सभी वर्गों के लिए उपयोगी हैं। जहां डिजिटल मीडिया केवल आज के युवाओं के लिए है वहीं पुस्तकें हमारे सभी पीढ़ियों के लिए उपयोगी है। इस अवसर पर सिंगला परिवार की ओर से अपनी पूज्य माता की स्मृति में एक उच्च साहित्यकार को माता अशर्फी देवी स्मृति सम्मान दिया गया। इस सम्मान को प्राप्त करते हुए शकुंतला काजल ने कहा कि मैं यह सम्मान पाकर अभिभूत हूं। देश-विदेश से 60 प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति से इस साहित्यिक समारोह की शोभा को बढ़ाया।
इस समारोह में प्रोफेसर पूर्ण चंद टंडन निदेशक भारतीय अनुवाद परिषद नई दिल्ली अध्यक्ष के रूप में और डा. करुणा शंकर उपाध्याय मुंबई मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. दीपक पांडे सहायक निदेशक केंद्रीय हिंदी निदेशालय, संरक्षक प्रोफेसर नरेश मिश्रा, रोहतक से सूर पुरस्कार विजेता डा. मधु कांत, वीरपाल यादव, डा. नवीन चंद्र मेरठ, डा. विजय दत्त शर्मा, डा. प्रभाकरण, डा. आरती लोकेश, रोहित यादव इत्यादि भी मौजूद रहे।