Sunday, November 24, 2024
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डॉ. सुमन कुमार डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज यूटी ने किया ट्राइसिटी पेरिनेटोलॉजी मीट का उद्‌घाटन

by Newz Dex
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जेनेटिक्स डिफेक्ट से बचने के लिए नजदीकी रिश्तेदार आपस में शादी न करें व थैलासीमिया माइनर की जांच करवाएं

डॉ सुमन ने कहा कि समय के साथ-साथ एडवांसमेंट मेडिकल फील्ड की जरूरत है वह ऐसे कार्यक्रम डॉक्टर को ज्ञानवर्धन में लाभदायक होते हैं।

डॉ नीरज पूर्व प्रेसिडेंट आई एम ए चंडीगढ़ व डायरेक्टर मदरहुड चैतन्य अस्पताल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में ही हम सब मिलकर जेनेटिक्स ,फीटल मेडिसिन व हाई रेसोल्यूशन अल्ट्रासाउंड   के बारे में मिलकर मंथन कर सकते हैं ।

100 में से लगभग एक या दो बच्चों को होता है जेनेटिक डीफैक्ट्स , लेकिन सभी जेनेटिक डिफेक्ट प्रेगनेंसी को टर्मिनेट करने की आवश्यकता नहीं होती है – डॉ हरप्रीत

न्यूज डेक्स संवाददाता

चंडीगढ़। ऑब्सटेट्रिक्स व नियोनेटोलॉजी के क्षेत्र में लेटेस्ट एडवांसमेंट , हाई रिस्क प्रेगनेंसी, प्रीमेच्योर बर्थ व जेनेटिक्स पर मंथन के लिए उत्तर भारत के लगभग 100 स्पेशलिस्ट एकत्र हुए  होटल  मैरियट में मौका था ट्राइसिटी  पेरिनेटोलॉजी  मीट का , मदरहुड के  डॉ नीरज कुमार डॉक्टर पूनम कुमार  डॉक्टर हरप्रीत व डॉ पल्लव गुप्ता की विशेष उपस्थिति रही । डॉ हरप्रीत ने बताया कि यदि किसी फैमिली में जेनेटिक्स की हिस्ट्री हो तो उन्हें प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले ही विशेषज्ञ से काउंसलिंग के लिए मिल लेना चाहिए। अल्ट्रासाउंड का प्रेगनेंसी में विशेष महत्व है डॉ हरप्रीत ने बताया कि जैसे ही  प्रेगनेंसी का पता लगे तो पहले अल्ट्रासाउंड तभी हो जाना चाहिए और 20 हफ्ते से पहले पहले जेनेटिक्स की स्क्रीनिंग भी हो जानी चाहिए ताकि कोई भी बर्थ डिफेक्ट छूट न जाये ।

जेनेटिक डिफेक्ट के  डाइग्नोस्टिक के लिए 

प्रेग्नेंसी प्लान से पहले मिलें स्पेशलिस्ट को

प्रेगनेंसी का पता लगता ही करवा कंफर्मेटरी अल्ट्रासाउंड

11 से 14 हफ्तों में फिर से 

19 से 20 हफ्तों में फिर से 

एंटी स्कैन तीसरे महीने के आखिरी चरण में

 गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां

प्रेग्नेंट महिलाओं को तो डॉक्टर से ज्यादा नसीहतें परिवार वाले देते हैं. अनुभव से सीखी दादी परदादी की बातें कई बार काम की होती हैं लेकिन हर नसीहत को मानने की जरूरत नहीं या फिर अल्ट्रासाउंड के काफी साइड इफेक्ट होते है। गर्भावस्था में सटीक जांच के लिए नॉन-इनवोसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (एनआईपीटी) भी आवश्यक है  जो शिशु के जन्म से काफी पहले डाउन सिंड्रोम जैसी असामान्य क्रोमोसोम संबंधी गड़बड़ियों का पता लगाने का प्रभावी, सटीक और सुरक्षित तरीका साबित होगा।

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