Friday, November 22, 2024
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कोविड मेडिसन डिस्ट्रीब्यूटर में इंजीनियरों की अहम भूमिका होगी : प्रो. त्रिपाठी

by Newz Dex
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यूआईईटी संस्थान में कार्यशाला का दूसरा दिन सम्पन्न

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र 1, दिसंबर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआईईटी संस्थान के मैकेनिकल विभाग द्वारा एचवीएसी विषय पर कार्यशाला में दूसरे दिन विश्वविद्यालय के डीन इंजीनियरिंग एवं टेक्नेलॉजी, संस्थान के निदेशक प्रो. सीसी त्रिपाठी ने एचवीएसी तकनीक के बारे में बताते हुए कहा कि आज पूरा विश्व कोविड-19 की मेडिसिन की ओर देख रहा है परंतु इस मेडिसन के डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम में सबसे ज्यादा भूमिका इंजीनियरों की होगी क्योंकि यह मेडिसन चिल्ड से भी ज्यादा फ्रोजन तरीके से रख  रखाव के साथ एक दूसरे स्थान पहुंचानी होगी। इसके लिए -8 डिग्री सेल्सियस से लेकर -12 डिग्री सेल्सियस के तापमान के गोदाम और यंत्रों की आवश्यकता होगी। इंजीनियरों द्वारा मेडिसिन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में मेडिसन का तापमान बनाए रखने के लिए इस प्रकार के यंत्र इससे जुड़ी तकनीक का तकनीक का इस्तेमाल कर अधिक से अधिक प्रभावी तरीके से तैयार  करना होगा।

प्रो. त्रिपाठी ने यह भी बताया की आजकल भी मेट्रो मॉल व अन्य इस प्रकार के जन-सुविधाओं से सम्बन्धित जहां पर सेंट्रल एयर कंडीशनिंग है वहां पर अच्छी प्रकार से वेंटीलेशन ना होने के कारण इनको अभी तक बंद किया गया है क्योंकि अच्छी प्रकार से वेंटिलेशन के ना होने के कारण कोरोना वायरस ज्यादा प्रभावित करता है। इसलिए इन ईमारतों का निर्माण करते समय प्रॉपर वेंटीलेशन का होना बहुत जरूरी है।

प्रो. त्रिपाठी ने यह भी बताया कि जो रिमोट एरिया हैं वहां पर ठंड ज्यादा बढ़ जाती है और वहां हीटिंग पूर्ण मात्रा में नहीं मिल पाती एचवीएसी तकनीक के साथ बड़ी मात्रा में सम्बन्धित जगह हीटिंग देकर वहां पर कार्य करने वाले व्यक्तियों की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
चितकारा विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रतीक ने विषय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशन में प्रयोग होने वाली तकनीक के विभिन्न प्रकार के उत्पाद के बारे में विस्तार से चर्चा की। वही कुशाग्र जुनेजा ने भी विषय के बारे में अपना वक्तव्य रखा और बताया कि बड़ी-बड़ी ईमारतों में एयर कंडीशन के प्रयोग को प्रभावी तरीके से लगाने के लिए इस तकनीक का अहम योगदान होता है।

उन्होंने बताया कि अगर इस तकनीक को प्रभावी ढंग से प्रयोग में लाया जाए तो ऊर्जा की खपत भी कम होगी। इस अवसर पर कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अनुराधा, सहसंयोजक रविंद्र चौधरी, डॉ. उपेन्द्र ढुल, डॉ. संजय काजल, डॉ. सुनील ढींगड़ा, डॉ. सुनील नैन, डॉ. विशाल अहलावत, विकास, मयंक और जशनदीप आदि उपस्थित थे

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