न्यूज डेक्स संवाददाता
नारनौल। भारत मां के गौरव एवं सनातन संस्कृति के प्रहरी हिंदू हृदय सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के राज्य अभिषेक दिवस पर हिंदू सनातन संस्कृति की रक्षा के संकल्प के साथ राजकीय महाविद्यालय नारनौल के ऑडिटोरियम में आयोजित संगोष्ठी में भारत माता की जय और वंदे मातरम के उद्घोष के साथ उनके अदम्मय साहस,वीरता और पराक्रम को नमन किया गया।संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मनी प्रकाश ने कहा सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य का महान व्यक्तित्व हमेशा अजर अमर रहेगा। विशेष आमंत्रित सतीश कुमार ने कहा हेमू की शौर्य गाथाएं हमेशा देश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज रहेगी। उन्होंने ने कहा सनातन संस्कृति को जिंदा रखने में हेमचंद्र विक्रमादित्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।देवदत्त शर्मा ने कहा हेमू की वीरता युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति और देशभक्ति के लिए प्रेरित करती रहेगी।
कार्यक्रम के संयोजक पर्यावरणविद् डॉ.आर.के.जांगड़ा विश्वकर्मा, सदस्य,स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा सरकार एसटीएफ ने कहा सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की शौर्य गाथा आने वाली युवा पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी। सम्राट हेमचंद्र की याद में डाक टिकट जारी करने पर पीएम मोदी और केंद्रीय राज्य मंत्री देबू सिंह चौहान का आभार व्यक्त किया गया। संगोष्ठी में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का भी रेवाड़ी और पानीपत जिलों में सम्राट हेमू की यादों को चिरस्थाई बनाने हेतु स्मारक बनाने की घोषणा हेतु आभार व्यक्त किया गया। पीएम मोदी की राष्ट्रवादी सोच की बदौलत महान योद्धाओं,गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों की शौर्य गाथाएं लिखने का कार्य जारी है।देश के इतिहास के पन्नों में क्रूर शासको का महिमामंडन अधिक किया गया है जबकि सम्राट हेमू जैसे योद्धाओं को इतिहास में जगह नहीं दी गई।वह वीरता,राजनीति कौशल और राजनीतिक दूर दृष्टि वाले व्यक्तित्व की धनी थे।
हेमू का जन्म 1501 में अलवर जिले के माछेरी गांव में हुआ और गोला बारूद के व्यापार करने हेतु 1516 में रेवाड़ी आगमन हुआ।उन्होंने भारत की सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए अंतिम समय तक कार्यरत रहे। सम्राट हेमू कर्मभूमि से ही सैनिक कौशल में निपुण थे।शोधार्थियों के अनुसार सम्राट हेमू पूर्णदास पुरोहित के पुत्र थे और उनकी जागीरदारी माछेड़ी,अलवर से नारनौल तक थी।उनका नारनौल से विशेष लगाव के कारण आगमन होता रहता था। पानीपत की दूसरी लड़ाई के नायक साधारण परिवार में जन्म लेकर भारत को गौरवान्वित करने में विशेष योगदान रहा। पानीपत की दूसरी लड़ाई के महानायक नें 6 अक्टूबर 1556 को अकबर की फोजों को हराकर दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य पहले हिंदू राजा थे। 7 अक्टूबर 1556 को उनके राज्य अभिषेक हुआ था। पानीपत की दूसरी लड़ाई के महानायक हेमू ने काबुल से कन्याकुमारी तक अखंड भारत का संकल्प लिया था। उन्होंने उद्घोष किया था कि “काबुल जितना है,वह हमारा है”। उन्होंने आदिल शाह सूरी के जनरल और वजीर पद पर रहते हुए 22 युद्ध लड़े और उन सभी में विजय रहे।
पानीपत की दूसरी लड़ाई के बाद हेमचंद्र विक्रमादित्य को अकबर के सेनापति बैरम खान ने धर्म परिवर्तन करने पर जान बख्श ने की बात कही थी।उन्होंने गर्व के साथ हिंदू धर्म को ही श्रेष्ठ बताया लेकिन तब तक उनका सिर कलम कर दिया गया। हेमू के आदर्शों को आगे बढ़ाने की कड़ी में कहा सनातन संस्कृति वैदिक परंपरा है और देश को विश्व गुरु बनाने हेतु हमें सनातन संस्कृति की परंपराओं का अनुपालन करना आवश्यक है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक नें राम कथा में पहुंचकर घरों के साथ खुद को हिंदू कहा था। स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा था कि वें हिंदू है। हिंदू धर्म और सनातन के सिद्धांत आकाश से भी अधिक व्यापक है।सत्य,प्रेम और करुणा ही हिंदू धर्म का सार है इसलिए इसमें समरसता,सामंजस्य व सद्भाव है।संगोष्ठी में सम्राट हेमू की यादों को चिरस्थाई बनाने हेतु “ग्रीन नारनौल – क्लीन नारनौल” वसुंधरा, पर्यावरण व जल संरक्षण अभियान के तहत पौधारोपण नहीं किया गया। इस अवसर पर मनी प्रकाश सतीश कुमार देवदत्त शर्मा, रॉबिन,अमित,विवेक,कौशल,भूपेंद्र,साहिल,विशाल, राजकुमार,राजेश शर्मा,अरुण सिंह,अमन कुमार,सूरज विजय,अशोक कुमार,विनय सिंह,अमित शर्मा आदि अनेक गणमान्य उपस्थित थे।