अन्य तीर्थों का जल ब्रह्मसरोवर में समायोजित करने का फैसला तीर्थ राज के महत्व को कम करने वाला : जय नारायण शर्मा
तीर्थों संबंधी कोई भी फैसला करने से पहले विद्वान ब्राह्मणों से परामर्श करे केडीबी : पवन पहलवान
बोर्ड में धर्मज्ञाता विद्वान लोगों को दिया जाए स्थान : नरेंद्र निंदी
सभा के प्रधान श्याम सुंदर तिवारी ने बोर्ड के इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे धर्म विरोधी बताया
केडीबी ने अन्य तीर्थां का जल ब्रह्मसरोवर में समायोजित करने का निर्णय वापिस नहीं लिया तो प्रमुख साधु संतों के मार्ग दर्शन में बनाई जाएगी आगामी रणनीति, तीनो ब्राह्मण सभाओं ने लिया फैसला
संयुक्त प्रस्ताव पारित कर बोर्ड के इस फैसले की कड़ी निंदा की गई बैठक में
श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के सन्निहित सरोवर स्थित मुख्यालय में सभा के प्रधान श्याम सुंदर तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र की तीन प्रमुख धार्मिक संस्थाओं श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा, हरियाणा ब्राह्मण धर्मशाला एवं छात्रावास तथा अखिल भारतीय सारस्वत ब्राह्मण सभा ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा 48 कोस की भूमि के 164 तीर्थों का जल गीता जयंती के अवसर पर ब्रह्मसरोवर में समायोजित करने के फैसले का विरोध जताते हुए बोर्ड से अपील की है कि वे अपने इस फैसले पर पुर्नविचार करे। क्योंकि ब्रह्मसरोवर को तीर्थ राज माना गया है और अन्य तीर्थों का जल तीर्थ राज में समायोजित करने का फैसला ब्रह्मसरोवर के महत्व को कम करने वाला है। तीनो संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने इस फैसले को वापिस नही लिया तो धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के प्रमुख संत महात्माओं और अन्य धार्मिक संस्थाओं को लामबद्ध करके इस फैसले को वापिस लेने के लिए आगामी रणनीति बनाई जाएगी।
श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के सन्निहित सरोवर स्थित मुख्यालय में सभा के प्रधान श्याम सुंदर तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में हरियाणा ब्राह्मण धर्मशाला एवं छात्रावास के सरंक्षक पवन शर्मा पहलवान, अखिल भारतीय सारस्वत ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद नरेंद्र शर्मा निंदी ने सयुंक्त रूप से कहा कि केडीबी का यह फैसला तुगलकी फैसला है। ब्रह्मसरोवर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी और इसे तीर्थराज माना गया है। तीर्थ राज में अन्य सरोवरों का जल लाकर समायोजित करना शास्त्रों के अनुरूप नही है। तीर्थ राज ब्रह्मसरोवर का जल तो श्रद्धालु अपने अपने घरों में ले जाते हैं। बोर्ड का यह फैसला तीर्थ राज के महत्व को कम आंकने वाला है। तीनो ब्राह्मण नेताओं ने कहा कि इस मामले को लेकर सभी प्रबुद्ध संत महात्माओं और अन्य धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं से भी संपर्क किया जाएगा और केडीबी को यह शास्त्र विरोधी फैसला लेने के लिए मजबूर किया जाएगा। इस बैठक में श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा, सभा के पूर्व प्रधान एवं प्रमुख तीर्थ पुरोहित प.पवन शर्मा पोनी, प्रधान महासचिव रामपाल शर्मा, प्रवीण गौत्तम, सुशील पुजारी, राजीव अच्चू स्वामी, सुखदेव गौत्तम, सुरेंद्र जोशी, अरूण गौड़ सहित अनेक तीर्थ पुरोहितों ने भाग लिया। बैठक में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर केडीबी के इस फैसले की निंदा की गई और बोर्ड से मांग की गई कि वह तीर्थ राज ब्रह्मसरोवर के महत्व का कम करने वाले इस फैसले का तुरंत वापिस ले।
बोर्ड का काम तीर्थों का विकास करवाना : पहलवान
हरियाणा ब्राह्मण धर्मशाला एवं छात्रावास के सरंक्षक एवं हरियाणा ब्राह्मण सभा के प्रदेशाध्यक्ष पंडित पवन शर्मा पहलवान ने कहा कि केडीबी का कार्य तीर्थों का विकास करवाना है। यह काम तो केडीबी सही ढंग से नही निभा रहा। सन्निहित सरोवर की दुर्दशा है, गंदगी की भरमार है। 48 कोस के अनेक तीर्थों का विकास करवाया जाना जरूरी है। बोर्ड को चाहिए कि वह नई परंपराएं शुरु करने की बजाए तीर्थों का विकास करवाए। उन्होने कहा कि उन्होने कहा कि केडीबी को तीर्थों संबंधी कोई भी फैसला लेने से पहले विद्वान ब्राह्मणों से परामर्श करना चाहिए।
तीर्थ राज अपने आप में सक्षम : जयनारायण शर्मा
श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के मुख्य सलाहकार एवं केडीबी के पूर्व सदस्य जयनारायण शर्मा एडवाकेट ने कहा कि मीडिया के माध्यम से पता चला है कि गीता जयंती के अवसर पर 48 कोस के 164 तीर्थों का जल लोकर तीर्थ राज ब्रह्मसरोवर में डाला जाएगा। उन्होने कहा कि ब्रह्मसरोवर तीर्थ राज अपने आप में सक्षम है। इस तीर्थ में अन्य तीर्थों का जल लाकर डालना शास्त्र और धर्म के विरूद्ध है। ब्रह्मसरोवर की स्थापना शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी ने की थी इसलिए शास्त्रों में इस तीर्थराज माना गया है। तीर्थ राज में अन्य सरोवरों का जल लाकर समायोजित करना तो ऐसी बात हुई कि जैसे गंगा जी में कोई व्यक्ति अन्य तीर्थ का जल भरकर डाल दे। उन्होने बोर्ड से अपील की कि वह अपने फैसले पर पुर्नविचार करे। उन्होने कहा कि 48 कोस के तीर्थों से लाई जाने वाली मिट्टी से भगवान कृष्ण की मूर्ति बनाने की जो योजना है, उसमें ही इन तीर्थो के जल का प्रयोग किया जाना उचित रहेगा। इस जल को ब्रह्मसरोवर में समायोजित करना उचित नही है। सभा के प्रधान श्याम सुंदर तिवारी ने बोर्ड के इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे धर्म विरोधी बताया।
धर्म के ज्ञाताओं का स्थान दिया जाए केडीबी में : निंदी
अखिल भारतीय सारस्वत ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा निंदी ने भी केडीबी के इस फैसले पर विरोध जताते हुए कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में उन लोगों को केडीबी में सदस्य बनाया जाता है जिन्हे धर्म और शास्त्र का कोई ज्ञान नही। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को धर्म और शास्त्र का ज्ञान हो ऐसे लोगों को ही केडीबी में रखा जाए।