समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री ने इस घटनाक्रम के बाद एक्स पर की भाजपा और योगी सरकार की तीखी आलोचना
शर्मनाकः काफी गिड़गिड़ाने के बावजूद भाजपा के पूर्व सांसद को संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में बेड तक नहीं मिला
सदन के पटल पर सवर्ण आयोग के गठन की मांग की थी, इसी लिए काटा गया था भैरो प्रसाद मिश्रा का टिकट
पंकज तिवारी/ न्यूज डेक्स उत्तर प्रदेश
लखनऊ। अब शासन प्रशासन क्या करेगा इस जांच कमेटी की रिपोर्ट का जब तुरंत इलाज ना मिलने की वजह से एक मरीज की मौत हो गई। चौकाने वाली बात यह है कि यह मौत रोजाना की तरह अस्पतालों में धक्के खाने वाले किसी गरीब,असहाय या आम आदमी की नहीं हुई है,बल्कि देश और भारत के सबसे बड़े राज्य में सत्ता में बैठी भाजपा के एक पूर्व सांसद पुत्र की हुई है।अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी अस्पतालों में रोजाना समस्याओं से दो चार होने वाले वाले आमजन किन हालात से गुजरते होंगे। बहरहाल बता दें कि ताजा घटनाक्रम यूपी की राजधानी में स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ की है। इस बात से नाराज पूर्व सांसद ने धरना भी दिया था।बहरहाल पीजीआई के निदेशक ने जांच कमेटी गठित करके दोषी डाॅक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.लखनऊ पीजीआई का है। लखनऊ पीजीआई के डाक्टरों पर आरोप है कि किडनी पीड़ित एक मरीज का पिता घंटों तक अपने बेटे का इलाज शुरु कराने के लिए गुहार लगाता रहा,लेकिन उसकी एक ना सुनी और उसकी मौत हो गई।सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में इस अपेक्षा में मौत का शिकार हुए व्यक्ति के पिता का नाम है भैरो प्रसाद मिश्रा। जो कि चित्रकूट के रहने वाले हैं। भैरो प्रसाद मिश्रा 2014 में बांदा लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव जीत कर सांसद बने थे और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ संसद में देश के विकास में सहयोगी बने थे। मगर संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में पूर्व सांसद मिश्रा के पुत्र की मौत बेड तक नहीं मिला और बेड खाली ना होने की वजह से डेढ़ घंटे तक प्रकाश मिश्रा स्ट्रेचर पर ही रहा और उसकी वहीं मौत हो गई। उल्लेखनीय है कि सदन के पटल पर सवर्ण आयोग के गठन की मांग करने वाले भैरो प्रसाद मिश्रा का इसी वजह से 2014 में टिकट कटा था।
पुत्र के इलाज के लिए पीजीआई वार्ड में धरने पर भी बैठे थे भाजपा पूर्व सांसद
बताया गया है कि भैरो प्रसाद मिश्र के बेटे प्रकाश मिश्रा किडनी रोग से पीड़ित थे और उनका इलाज PGI में चल रहा था। भाजपा के पूर्व सांसद मिश्रा का आरोप है कि पीजीआई के डॉक्टरों की लापरवाही से उनके पुत्र की मौत हो गई,क्योंकि वह रात को लगातार डॉक्टरों से गुहार लगाते रहे, लेकिन डॉक्टरों ने उनके प्रकाश मिश्रा को हाथ तक नहीं लगाया। इसके बाद विरोध स्वरुप वह पीजीआई में ही धरने पर भी बैठे थे और इसकी सूचना मिलने पर निदेशक और चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर वहां पहुंचे थे,लेकिन उससे पहले उनके पुत्र की मौत हो चुकी थी। इन्होंने उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर पूर्व सांसद को उनके पुत्र का शव पीजीआई से घर भिजवाने की व्यवस्था भी कराई।
इस पूरे प्रकरण के बाद पीजीआई प्रशासन हरकत में आया और तत्काल प्रभाव से जांच कमेटी गठित
प्राप्त सूचना अनुसार पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है,जिसे 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपनी होगी ।जांच कमेटी में डा. संजय राज, डा.डीके पालीवाल एवं डा. आरके सिंह शामिल हैं। इस संदर्भ में आदेश जारी होते कमेटी ने जांच पड़ताल शुरु कर दी है। संभवतः इस मामले को तूल पकड़ता देख दिखावी तौर पर कुछेक पर गाज गिर सकती है। मगर बड़ा सवाल यह है कि देश के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को लेकर चिकित्सीय व्यवस्था में कितना सुधार होगा।
पूर्व सीएम अखिलेश यादव का तंज
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घटनाक्रम पर भाजपा के साथ योगी सरकार की एक्स पर खिंचाई करते हुए लिखा है- ‘बात किसी विशेष व्यक्ति को इलाज न मिल पाने की वजह से दम तोड़ देने की नहीं है, हर एक सामान्य नागरिक के जीवन के मूल्य की भी है। जब उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के पूर्व सांसद के पुत्र तक को इलाज नहीं मिल पा रहा है, तो आम जनता के बारे में क्या कहना… आशा करते है दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार से लौटने के बाद उत्तर प्रदेश के भाजपाई मंत्रीगण इस पर कड़ा संज्ञान लेंगे, क्योंकि अभी तो उनके लिए चुनाव किसी के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है।