प्रो.गोयल को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए योगदान देने पर मिला यह पुरस्कार
एनडी हिंदुस्तान संवाददाता
कुरुक्षेत्र। “ हमें वैश्विक नागरिकता की नीडो-वेल्थ, नीडो-हेल्थ और नीडो-हैप्पीनेस हेतु नीडनोनॉमिक्स को अपनाना चाहिए ।” ये शब्द पूर्व कुलपति प्रो. मदन मोहन गोयल ने कहे। उन्हे नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक के रूप में भी जाना जाता है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अर्थ शास्त्र विभाग से सेवानिवृत्त डा.गोयल आज इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंस, बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी द्वारा 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2023 के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रो.गोयल को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट अनुसंधान योगदान के लिए प्रोफेसर जे.के.मेहता अकादमिक उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रो. गोयल ने समझाया कि हमें नीडोनॉमिक्स के सिद्धांत को नीडो-कंजम्पशन, नीडो-सेविंग, नीडो -प्रोडक्शन, नीडो-इन्वेस्टमेंट, नीडो-डिस्ट्रीब्यूशन, परोपकारिता, नीडो-ट्रेड फॉर ग्लोकलाइजेशन (सोचना वैश्विक स्तर पर और स्थानीय रूप से कार्य करना) शामिल है को अपनाना चाहिए I प्रो. गोयल ने कहा कि दूसरों की मदद हेतु नीडो -परोपकारिता (एनएसएस के मैं नहीं बल्कि आप) के लिए हमें कुल खर्च से अधिक कमाने का प्रयास करना चाहिए और दूसरों को खुद की मदद करने का साधन बनना चाहिए I
प्रो. गोयल ने उपभोक्ता के अनुकूल होने के लिए अंतरराष्ट्रीय विपणन के एनएडब्ल्यू दृष्टिकोण (वस्तुओं और सेवाओं की आवश्यकता, सामर्थ्य और मूल्य) की व्याख्या की।प्रो. गोयल का मानना है कि 2047 तक स्वर्णिम भारत सुनिश्चित करने हेतु गीता और अनु-गीता से आध्यात्मिक इनपुट के साथ स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, क्रिया-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी ) और सिंपल मॉडल को अपनाना होगा ।
प्रो. गोयल ने कहा कि हमें उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों, व्यापारियों, नीति निर्माताओं और राजनेताओं के रूप में सभी हितधारकों के व्यवहार में बीमारी को संबोधित करना होगा।प्रो. गोयल का मानना है कि वर्तमान युग की सभी चुनौतियां और समस्याएं के लिए आध्यात्मिक निर्देशित भौतिकवाद (एसजीएम) रणनीति का आह्वान करती हैं ।