आस्था की प्रतीक इन 3 जन्मस्थलियों का एक्यूआई ग्राफ और गीता जन्मस्थली प्राचीन 48 कोस कुरुक्षेत्र के चिंताजनक हालात
एक्यूआई ग्राफ में कुरुक्षेत्र 317,श्री राम जन्मस्थली अयोध्या जी का 119, भगवान श्रीकृष्णकी जन्मस्थली मथुरा का है 159
बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी (बनारस) का 80, जबकि गुरु साहिबान की नगरी श्री अमृतसर साहिब का 200
अब सोच लें कुरुक्षेत्र की आब ओ हवा को संवारने के लिए हमने,आपने और हमारे सिस्टम ने कितनी जिम्मेदारी से काम किया
प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अध्योध्या जी का एक्यूआई ग्राफ भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा जी और कर्मस्थली कुरुक्षेत्र से काफी बेहतर
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की व्यवस्था का जिम्मा संभालने वालों पर नहीं दिख रहा कर्म का संदेश देने वाली गीताजी का असर
किसानों के कट रहे हैं चालान,अधिकारियों की नाक तले सरकारी भूमि पर दिखता है बदइंतजाम
केडीबी ग्राउंड,परिषद क्षेत्र,केयू परिसर में कई जगह रोजाना कचरे में लगा दी जाती है आग
कुरुक्षेत्र,मथुरा और अयोध्या जी के अलावा दुनिया के 50 शहरों का एक्यूआई ग्राफ और सबसे ज्यादा चिंताजनक है भारत के हालात
हे राम,हे कृष्ण… अगर यही हाल रहा तो विश्वमानचित्र नहीं,बल्कि विश्व के एक्यूआई के ग्राफ में चिंताजनक स्थिति में ही दिखेगा दिव्य कुरुक्षेत्र
इन हालात में सुधार के लिए धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र के धर्मगुरुओं को आना होगा आगे,निभानी होगी अहम भूमिका
केवल आयोजनों और आश्रमों की श्रृंखला बढ़ाने और ब्रांडिंग तक सीमित ना रहें,दिव्य कुरुक्षेत्र बनाने में देना होगा भरपूर योगदान
राजेश शांडिल्य/ एनडी हिंदुस्तान
चंडीगढ़।पूरे भारत में इस समय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को लेकर चिंता जताई जा रही है। और क्यों ना हो,जब दुनिया के 141 देशों के इंडेक्स में भारत पांचवें प्रदूषित देशों की श्रृंखला में अड़ कर खड़ा हो। यह स्थिति बेहद खतरनाक है। विशेषकर अक्तूबर नवंबर के दौरान पिछले वर्षों से लगातार यह हालात पैदा होते हैं।यानी फेस्टिवल सीजन के दौरान एक तरफ त्योहारी महीनों का उत्साह होता है और दूसरी तरफ यह परिस्थितियां अच्छे खासे माहौल को स्वास्थ्य कारणों से भयावह बना रही है।
वहीं शासन,प्रशासन और शीर्ष अदालतों के फरमान अभी तक इन हालातों पर अंकुश लगाने में नाकाफी सिद्ध हुए हैं। पिछले वर्षों में भी भारत केवल जुलाई अगस्त को छोड़ अन्य महीनों में रेड और येलो जोन में ही दिखा है भारत। देश उत्तर प्रदेश का जिला गाजियाबाद वर्ल्ड एक्यूआई इंडेक्स में शीर्ष प्रदूषित क्षेत्रों में टाप पर है,जबकि इससे सटी भारत की राजधानी दिल्ली दूसरे और नोएडा तीसरे स्थान पर है। अब रही बात हरे भरे हरियाली वाले हरियाणा की, तो यहां के फरीदाबाद,सोनीपत,हिसार और कैथल जैसे जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 से 550 के बीच है।यानी यहां हालात अधिक खतरे के निशान से काफी ऊपर हैं।
वर्तमान में धर्म का बाजार गर्म है।इस बात को अधिकांश लोग स्वीकार कर सकते हैं कि धर्म से संबंधित बात लोगों को जल्दी समझ आ रही है,यानी संबंधित विषय का संचार करंट की तरह होता। लिहाजा इस रिपोर्ट में हमने देश की तीन प्रमुख जन्मस्थलियों के एक्यूआई ग्राफ पर नजर डाली। इनमें कर्म का संदेश देने गीता जी जन्मस्थली कुरुक्षेत्र के हालात पर नजर डाली। वैसे भी अगले माह दिसंबर-2023 में भारत देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुरुक्षेत्र गीता महोत्सव 7 से 24 दिसंबर तक मनाने जा रहा है। यानी दुनियाभर से लोग इस महोत्सव में पहुंचेंगे। तो जरूरी बनता है कि कुरुक्षेत्र कितना तैयार है और स्वागत के लिए आयोजकों की कितनी तैयारी है। इसी के साथ हमने भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या जी और भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मधुरा जी के एक्यूआई ग्राफ पर नजर डाली, तो इनके मुकाबले कुरुक्षेत्र यानी गीता जन्मस्थली कुरुक्षेत्र के हालात काफी चिंताजनक नजर आए। ये हालात उस धर्मक्षेत्र के हैं,जहां सात साल पहले गीता जयंती के अवसर पर दिव्य कुरुक्षेत्र अभियान की शुरुआत हुई थी और उसके कुछ माह बाद इस अभियान को विस्तार देते हुए दो राज्यों को गवर्नर,धर्मगुरुओं और राजनेताओंकी मौजूदगी में दिव्य कुरुक्षेत्र का नारा गूंजा था। इसके बावजूद कितना दिव्य हुआ कुरुक्षेत्र यह एक्यूआई ग्राफ बेहतर ढंग से बता रहा है।
बताते चलें कि इस समय कुरुक्षेत्र का एक्यूआई 317 है,जबकि भगवान श्री राम जन्मस्थली अयोध्या जी का 119 और भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा का 159 है। वहीं बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी (बनारस) का 80, जबकि गुरु साहिबान की नगरी अमृतसर साहिब का 200 है। इन प्रमुख धर्मस्थलों में वाराणसी यानी जिस क्षेत्र से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा सदस्य हैं,उसकी स्थिति उक्त धर्मस्थलों में सबसे बेहतर है,जबकि वायु गुणवत्ता सूचकांक के हिसाब से अयोध्या जी और मथुरा भले मानकों पर खरे ना उतरते हों,लेकिन अन्य प्रदूषित शहरों से थोड़े ठीक स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।
चौकाने वाली स्थिति यह है कि महाभारत कालीन 48 कोस की परिधि में फैले कुरुक्षेत्र के हालात और भी बदतर हैं।इस प्राचीन कुरुक्षेत्र में हरियाणा राज्य के वर्तमान पांच जिलों में कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, करनाल और पानीपत हैं, जहां महाभारतकालीन तीर्थ आज भी विराजमान हैं। वायु गुणवत्ता सूचकांक ग्राफ के लिहाज से कुरुक्षेत्र में जहां 317 है,वहीं जिला कैथल का 500,सीएम सिटी करनाल जिला का 334,पानीपत का 443 और जींद का 476 है। हां इनमें अगर संतोष करना है तो कुरुक्षेत्र का शासन प्रशासन कर सकता है और पीठ थपथपा सकता है,क्योंकि यहां भले स्थिति खतरे में हो,मगर सीएम सिटी करनाल के अलावा कैथल,पानीपत और जींद से तो काफी बेहतर है।इसके बावजूद खुल कर कचरे में आग लगाने पर रोक के मामले में व्यवस्था फिसड्डी दिखाई देती है।
बात जब धर्मक्षेत्र की हो रही है तो,इसके प्रति धर्मगुरुओं और धर्म स्थलों के संचालकों और विशेष रुप से आस्था रखने वालों की जिम्मेदारी लाजिमी हो जाती है। हमें यकीन है की इसकी चिंता अपने स्तर पर खुद धर्मगुरुओं को भी होगी।मगर इन हालात में जरुरी भी बनता है कि धर्मनगरी की आबो ओ हवा में सुधार के लिए धर्मगुरु अब महाराज के सिंहासन से ग्राउंड जीरो तक अपने शिष्यों और फालोअर और पूरे नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए उदाहरण पेश करें,तो धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से यह संदेश गीता के उपदेश की तरह जन जन तक पहुंचेगा और कुरुक्षेत्र की मिसाल भी दी जाएगी,वरना जो बिगड़े हालात हैं,वे तो सबके सामने पहले से हैं ही।
अब आवश्यकता है अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2023 शुरु होने से पहले धर्मनगरी के वे तमाम इलाके चिह्नित हों , जहां गदंगी,कचरे के अंबार हैं, प्रदूषण के स्त्रोत और कचरे में आग लगाकर इसका निपटान करने की प्रक्रिया पर अंकुश लगाने के लिए कदम बढ़ाया जाए।स्थानीय नागरिक भी यह मानते हैं कि केवल आश्रमों और महज गतिविधियों की श्रृंखला बढ़ाने और इनकी ब्रांडिंग करने से ही धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का भला होने वाला नहीं है।हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि धर्मगुरु समाज हित और कुरुक्षेत्र के विकास में अपनी भूमिका निभा रहे है। भारत में इस तरह के कई मठ,मंदिर,आश्रम,डेरे और संत,महात्मा हैं,जिन्होंने धर्म प्रचार के साथ साथ जल,जीवन, पर्यावरण और स्वच्छता के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित कर अपने सेवा कार्यों को निरंतर जनहित में समर्पित रखा हैं।फिलहाल धर्मक्षेत्र इस मामले में कुछ पिछड़ा दिख रहा है।यह कटु सत्य सब जानते हैं कि धर्मनगरी के विकास और स्वच्छता का पैमाना चुनिंदा सरकारी,प्राईवेट,प्रमुख धर्मस्थलों और आश्रमों की दीवारों के भीतर का नहीं है। अब देखना यह है कि अगले दिनों में कोई धर्मगुरु,सामाजिक संगठन कुरुक्षेत्र की आब ओ हवा को लेकर झंडा उठाएगा और ग्राउंड जीरो पर उतरेगा या नहीं,या अगले वर्षों में स्थिति गंभीर और गंभीर की ओर ही बढ़ेगी।
बहरहाल दुनिया 141 देशों के वायु गुणवत्ता सूचकांक में गाजियाबाद नंबर एक और दिल्ली दूसरे नंबर पर है
गाजियाबाद भारत
638
नई दिल्ली, भारत
607
सफ़ंतु घोरघे, रोमानिया
605
नोएडा, भारत
602
फ़रीदाबाद, भारत
550
सोनीपत, भारत
540
हिसार, भारत
502
सिरसा, भारत
498
गुड़गांव, भारत
463
रोहतक, भारत
430
हापुड, भारत
422
अलवर, भारत
401
भिवाड़ी, भारत
396
लाहौर, पाकिस्तान
379
मेरठ, भारत
359
अबोहर, भारत
344
पानीपत, भारत
327
भिवानी, भारत
326
करनाल, भारत
319
अलीगढ, भारत
311
बुलन्दशहर, भारत
309
इंगराज बाज़ार, भारत
305
पेशावर, पाकिस्तान
304
ढोलका, भारत
304
राजमहल, भारत
302
बरेहरा, भारत
302
जयपुर, भारत
299
मलौट, भारत
294
मंहदीपुर, भारत
290
लुधियाना, भारत
289
जालंधर, भारत
287
मनौस, ब्राज़ील
285
मुजफ्फरनगर, भारत
284
कोटा, भारत
281
सूरत, भारत
281
खेम करण, भारत
280
ग्वालियर, भारत
276
अमृतसर, भारत
276
कैराना, भारत
268
ज़ाबोल, ईरान
267
अंकलेश्वर, भारत
266
लुआन, चीन
258
बालुरघाट, भारत
257
फ़तेहपुर, भारत
257
भीलवाड़ा, भारत
253
कुइजू, चीन
251
सिलवासा, भारत
250
आगरा, भारत
247
दमन, भारत
247
ओरछा, भारत
243