आर्यन/न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 31 जुलाई। गीता ज्ञान संस्थानम् में आयोजित दिव्य गीता सत्संग में गीता कृष्ण में कृष्ण गीता में यात्रा को आगे बढ़ाते हुए व्यास पीठ से अमृत वर्षा करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कृष्ण नाम की मिठास अद्भुत है। कृष्ण ही साक्षात आनंद है। भौतिकवाद के सुख के बाद दु:ख आता है और मानव तनाव का शिकार होता है। इसका समाधान, श्रीमद्भगद गीता में है और आनंद में है और आनंद केवल कृष्ण में है। आनंद को स्थायी रुप से पाने के लिये कृष्ण को अपने साथ रखें। जब कृष्ण साथी बन जाएगा तो अद्भुत आनंद की प्राप्ति होगी। प्रार्थना के विषय में स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि प्रार्थना केवल मात्र एक शब्द नहीं है,बल्कि भीतर का भाव है। प्रार्थना में विश्वास होना चाहिये,संशय नहीं हो। विश्वास के साथ की गई प्रार्थना हमेशा आनंद दिलाती है। स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार पूतना तथा अन्य राक्षस द्वापर में आए थे,आज भी उसी प्रकार से भटकाने के लिये बाहरी भौतिकवाद मानव को भटकाने का प्रयास करते हैं,लेकिन मनुष्य को चक्कर में ना पड़कर कृष्ण साथी रखकर आनंद की अनुभूति करनी चाहिये। भगवान कृष्ण को खुशी के मौके पर कभी नहीं भूलना चाहिये,क्योंकि खुशी के क्षण प्रभु कृष्णजी की कृपा से ही आते हैं। कृष्ण और आनंद दो नहीं है,कृष्ण ही आनंद है और आनंद ही कृष्ण है। संसार सुख तो दे सकता है,लेकिन आनंद नहीं दे सकता। गीता को भगवान श्रीकृष्ण की वाणी बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि गीता चिंतन करके ही आनंद की प्राप्ति की जा सकती है।