Friday, November 22, 2024
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वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए 600 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च

by Newz Dex
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पराली प्रबंधन के लिए किसानों को 14500 रुपये प्रति एकड़ तक प्रोत्साहन राशि दे रही हरियाणा सरकारः उपायुक्त

पराली प्रबंधन में पंजाब और दिल्ली को पीछे छोड़ आगे निकला हरियाणा

पराली जलाने वालों पर होने लगी दंडात्मक कार्रवाई

न्यूज डेक्स संवाददाता

रोहतक। राज्य की मनोहर सरकार ने पराली प्रबंधन प्रणाली 2023 को अमली जामा पहनाकर पंजाब, दिल्ली समेत उन सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। जिन्हें पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने हवा प्रदूषित करने को लेकर फटकार लगाई थी। पराली प्रबंधन के उपाय करने के लिए प्रदेश सरकार ने अपने खजाने के दरवाजे किसानों के लिए खोल दिये हैं। सरकार किसानों को अलग अलग मदों में कुल 14500 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दे रही है। इसके अंतर्गत मेरा पानी, मेरी विरासत अभियान के तहत फसल विविधीकरण के लिए किसानों को दी जाने वाली 7000 रुपये प्रति एकड़ की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि के अतिरिक्त प्रदेश सरकार बीज से धान की बुआई के लिए 4000 रुपये प्रति एकड़ की राशि भी शामिल है।यह जानकारी उपायुक्त अजय कुमार ने दी है।

उपायुक्त ने बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की ओर से जारी आंकड़ों में 2022 की तुलना में 2023 में हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 39 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि पंजाब में सिर्फ 35 प्रतिशत की कमी आई है। यूपी एनसीआर में तो 49 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सरकार ने इस दिशा में और भी कई कदम उठाए हैं। आगामी 30 नवंबर तक हरियाणा के एनसीआर क्षेत्रों में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने अलग-अलग मदों में 600 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की है। पराली नहीं जलाने वाले किसानों को सरकार की ओर से 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान भी किया गया है।

उन्होंने बताया कि मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत सरकार पहले से ही साल 2020 से धान की जगह अन्य फसल उगाने के लिए प्रति एकड़ 7000 रुपये की सब्सिडी किसानों को दे रही है। इस मद में सरकार अब तक 786 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इस साल किसानों से 5.5 लाख रुपये जुर्माने के साथ 2256 चालान जारी किए गए और खेतों में आग से संबंधित सिर्फ 72 प्राथमिकी ही दर्ज की गई। राज्य में इस समय पराली प्रबंधन करने वाली 80,000 से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें काम कर रही हैं। इसे बढ़ावा देने के लिए मशीनों की खरीद पर सरकार 65 फीसदी तक की सब्सिडी भी दे रही है। 
अजय कुमार के मुताबिक पराली की गांठें बनाने पर किसानों को 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दे रही है।

अगर किसान पराली की गांठें करनाल और पानीपत के इथेनॉल प्लांट में ले जाता है तो उसे 2000 रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन दिया जाता है और अगर कोई किसान पराली को गौशालाओं में ले जाता है तो उसे 1500 रुपये का प्रोत्साहन दिया जाता है। पिछले महीने 11 अक्टूबर को चंडीगढ़ में मनोहर कैबिनेट ने पराली एक्स सीटू प्रबंधन नीति हरियाणा 2023 को मंजूरी दी है। इसके मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों में कमी लाने, टिकाऊ ऊर्जा के लिए धान की पराली का उपयोग करने और 2027 तक फसल अवशेष जलाने की प्रक्रिया को खत्म किया जाना है। इस नीति के क्रियान्वयन से तात्कालिक तौर पर पराली जलाने में कमी होने के साथ ही वायु गुणवत्ता के साथ मिट्टी की ऊर्वरा क्षमता में भी सुधार हो।

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