न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। “ ब्राजील सहित दुनिया में सामाजिक-आर्थिक समस्याएं लालच का उप-उत्पाद हैं तथा नागरिकों हेतु गीता-आधारित नीडोनोमिक्स सिद्धांत को अपनाने की आवश्यकता हैं ।” ये शब्द प्रो. मदन मोहन गोयल पूर्व कुलपति जिन्हें नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है जो अर्थशास्त्र विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए ने कहे । वे आज ग्लोबल एडू लीडर्स फोरम (जीईएल) द्वारा “ब्राजील हेतु नीडोनॉमिक्स की प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। वेबिनार की अध्यक्षता डॉ बीट्रिज़ लूसिया साल्वाडोर बिज़ोटो वैश्विक समन्वयक जीईएल ने की। एस.के. सिंह संस्थापक एवं अध्यक्ष ने स्वागत भाषण दिया और प्रो. एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया। पैंथिया अध्यक्ष-जीईएल श्रीलंका ने अपनी उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई।
प्रो. गोयल का मानना है कि ब्राज़ील की चुनौतियों में उच्च मुद्रास्फीति, आय असमानता, और एक बड़ी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था शामिल है तथा सतत आर्थिक विकास हेतु अपने बुनियादी ढांचे और शिक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा I प्रो. गोयल ने ब्राजील में भविष्य हेतु नवाचार में निवेश के रूप में नीडोनोमिक्स विचारधारा को उचित ठहराया और बताया कि भारत समय 8 घंटे 30 मिनट समेत कई मायनों में ब्राजील से आगे है, दुनिया की 5वीं और 9वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं । प्रोफेसर गोयल ने बताया कि नीडोनॉमिक्स के ज्ञान के साथ भारत कई तरीकों से ब्राजील की अर्थव्यवस्था के उत्थान में सहायता और सहयोग कर सकता है I
प्रो. गोयल ने समझाया कि ब्राजीलियाई सहित वैश्विक नागरिकों को नीडोनॉमिक्स के सिद्धांत नीडो-कंजम्पशन, नीडो-सेविंग, नीडो -प्रोडक्शन, नीडो-इन्वेस्टमेंट, नीडो-डिस्ट्रीब्यूशन, परोपकारिता, नीडो-ट्रेड (निर्यात) करना शामिल है को अपनाना चाहिए I प्रो. गोयल ने कहा कि दूसरों की मदद हेतु नीडो -परोपकारिता के लिए हमें कुल खर्च से अधिक कमाने का प्रयास करना चाहिए और दूसरों को खुद की मदद करने का साधन बनना चाहिए I प्रो गोयल ने उपभोक्ता के अनुकूल होने हेतु अंतरराष्ट्रीय विपणन के एनएडब्ल्यू दृष्टिकोण (वस्तुओं और सेवाओं की आवश्यकता, सामर्थ्य और मूल्य) की व्याख्या की।
प्रो. गोयल का मानना है कि ब्राजील में भविष्य सुनिश्चित करने हेतु गीता और अनु-गीता से आध्यात्मिक इनपुट के साथ स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, क्रिया-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी ) और सिंपल मॉडल को अपनाना होगा । प्रो. गोयल ने कहा कि हमें उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों, व्यापारियों, नीति निर्माताओं और राजनेताओं के रूप में सभी हितधारकों के व्यवहार में बीमारी को संबोधित करना होगा ।प्रो. गोयल का मानना है कि हमें वैश्विक नागरिकों की नीडो-वेल्थ, नीडो-हेल्थ और नीडो-हैप्पीनेस हेतु नीडनोनॉमिक्स को अपनाना चाहिए जिसके लिए वर्तमान युग की सभी चुनौतियाँ और समस्याएँ आध्यात्मिक निर्देशित भौतिकवाद (एसजीएम) रणनीति का आह्वान करती हैं ।