न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली,7 दिसंबर। राष्ट्रीय किसान परिषद ने भारत बंद के फैसले का समर्थन करते हुए किसानों की मांगों को जायज ठहराया है। इसी के साथ परिषद ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को तत्काल प्रभाव से रद करने की मांग की है। समर्थन की घोषणा करते हुए पूर्व इनकम टेक्स कमिशनर एवं परिषद अखिल भारतीय महामंत्री सुरेश सिंह ने कहा कि देश में सूखा अतिवृष्टि और फसल के उचित दाम ना मिलने से किसान पहले से आर्थिक बोझ में दबा था,वहीं बार बार बढ़ी कीमतों से जनता त्रस्त थी,अब केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों से तो किसान और सामान्य जनता की कमर ही तोड़ डाली है। किसान ही नहीं,इस कानून से देश के छोटे व्यापारी, किराना दुकानदार, मध्य वर्गीय परिवार,फसल के छोटे ट्रांसपोर्टर, खेती के औजार बेचने वाले,दुरुस्त करने वाले और खाद, बीज की छोटी बड़ी दुकानों सभी पर संकट मंडरा रहा है।
उन्होंने ने कहा कि किसानों के भारत बंद को देश के कई प्रमुख राजनीतिक संगठनों का समर्थन मिल चुका है। कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर किसान एकजुट हैं। किसानों का आरोप है कि ये कानून दिखने में तो किसान हितैषी लगते हैं, लेकिन इनके अमल में आने से किसानों का अपनी जमीनों से अधिकार छिन जाएगा। उनकी अब तक की सबसे बड़ी ताकत बना एमएसपी भी केवल कागजों पर बनकर रह जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इन कानूनों में निजी क्षेत्र को खुले बाजार में अपनी मनमानी कीमतों पर किसानों से फसलों की खरीद की छूट दे दी है। इससे पहले तो किसान ज्यादा कीमत की लालच में खुले बाजार में फसलों को बेचेगा, लेकिन इससे एपीएमसी मंडियों की आवश्यकता नहीं रह जाएगी। धीरे-धीरे इसे बंद कर दिया जाएगा। जब किसानों के सामने एपीएमसी मंडियां खत्म हो जाएंगी, तब प्राइवेट कंपनियां अपनी मनचाही कीमतों पर खरीद करेंगी जिससे किसानों को भारी घाटा होगा।
इस स्थिति में न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात केवल कागजों पर बनकर रह जाएगी। एपीएमसी मंडियों के न होने से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा और किसान कंपनियों की कीमत पर फसलों की खरीद के लिए मजबूर होगा। किसान नेता ने कहा कि इसी प्रकार कानून में कांट्रैक्ट फार्मिंग का जो प्रस्ताव किया गया है, उससे किसानों का अपनी जमीनों पर वास्तविक हक खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इन कानूनों को तत्काल वापस लेना चाहिए।