न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र । धर्मजीवी कॉलेज के छात्र-छात्राओ और अध्यापकों ने एड्स जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत बगथला गांव के साईं मोहल्ले में एक रैली निकाली । जिसमें वहां के लोगों को ऐडस के प्रति जागरूक किया गया और बताया गया कि उनको स्पर्श करने से और उनके साथ खाने से एड्स नहीं फैलता। भावी अध्यापकों ने लोगों को समझाया कि बीमार से घृणा करो बीमारी से नहीं । इसके साथ ही विकलांगता दिवस के अवसर पर धर्मजीवी बी एड कॉलेज के स्टूडेंट्स और टीचर्स ने सार्थक श्रवण बाधित स्कूल का दौरा किया। भावी अध्यापकों को जीवन की हर परिस्थितियों का सामना करने के लिए करने के लिए श्रवण बाधित बच्चों से मिलवाया । कक्षा में कुछ ऐसे बालक भी होते हैं जिनको कम सुनाई देता है या फिर ये अधिक ऊंचा सुनते हैं। इन बालकों को सामान्य बालकों के साथ शिक्षा दी जानी चाहिए।
अध्यापक को इन बालकों के श्रवण-दोष के स्तर का पूरा ज्ञान होना चाहिए तथा उसी के अनुसार उनको शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। इसी उद्देश्य से भावी अध्यापकों ने साइन लैंग्वेज सीखी और बच्चों को किस तरह से किस शिक्षण विधि से पढ़ना है यह सब उन्होंने वहां पर सीखा। ये छात्रों को स्कूल और समुदाय में आत्मनिर्भरता और सफलता प्राप्त करने के लिए मदद करेगा एक विशेष भाषा अर्थात सांकेतिक भाषा सीखकर अक्षम बच्चों को सुनने में मदद कर सकते हैं । एक अध्यापक ही उनके संकेत को समझने की उनकी मदद कर उनकी क्षमता को मजबूत कर सकते हैं जैसे हाथ और और चेहरे के भाव द्वारा बात कर सकते हैं। सांकेतिक भाषा एक दृश्य भाषा है जो अर्थ को व्यक्त करने के लिए हाथ के अक्षरों के लिए गतिविधियों चेहरे के भाव की भाषा का उपयोग करती है विभिन्न शब्दों के लिए वर्णमाला के अक्षरों के लिए हाथ के द्वारा आकृति बनाई जाती है जिन बच्चों की सुनने की क्षमता अधिक होती है उन्हें सांकेतिक भाषा के उपयोग से संवाद करना सिखाया जाता है। भावी अध्यापकों ने सांकेतिक भाषा को समझा जिसमें हाथों को , बॉडी जेस्चर को और चेहरे के भावों को व्यक्त करके ही श्रवण श्रवण बाधित बच्चों से बात की जाती है ।