Friday, October 18, 2024
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रीवा के महाराज पुष्यराज सिंह जूदेव 17 दिसंबर को होंगे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शामिल

by Newz Dex
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रीवा के महाराजा लेफ्टिनेंट कर्नल सर वेंकटरमन सिंह जूदेव बहादुर ने कुरुक्षेत्र में एक सदी पहले स्थापित किया था गीता भवन

धर्मक्षेत्र के पहले भव्य गीता भवन पर एक सदी पहले खर्च हुए थे दो लाख रुपये

दारा शिकोह ने गीता और उनके परदादा अकबर ने महाभारत का कराया था फारसी अनुवाद

साभार-, ट्रू मीडिया,विमर्श एवं धार्मिक दर्पण में प्रसारित वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य का लेख

एनडी हिंदुस्तान

चंडीगढ़। रीवा रियासत के महाराजा लेफ्टिनेंट कर्नल सर वेंकटरमन सिंह जूदेव बहादुर के परिवार को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में आमंत्रित किया गया है और उनके वंश पूर्व मंत्री एवं महाराजा पुष्यराज सिंह ने बकायदा प्रेसवार्ता कर यह आमंत्रण स्वीकार किया और 17 दिसंबर को वे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शामिल होंगे।बता दें कि 17 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के मुख्य कार्यक्रमों का आगाज देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे। इस मौके पर रीवा रियासत के महाराजा पुष्यराज सिंह जूदेव भी उपस्थित रहेंगे। उल्लेखनीय है कि एक सदी पहले धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में रीवा के महाराजा ने दो लाख रुपए खर्च कर यहां पहला गीता भवन स्थापित किया था। 

धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र 7 से 24 दिसंबर तक अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव आयोजित कर गीता जी की 5161 वीं जयंती मना रहा है। आपके लिए बेहतर होगा कि इस आयोजन का हिस्सा बनें और देखें गीता महोत्सव के विविध रंग। मगर इसके अलावा आपके लिए जानने का विषय यह भी है कि पिछले वर्षों में गीता जी को लेकर किस तरह के प्रयास हुए। गीता जी के अमर संदेश का प्रचार प्रसार सदियों से चल रहा है। इसके अलावा मुगल सत्ता से लेकर ब्रितानिया हुकूमत और स्वराज प्राप्ति के बाद तक गीता जी के अलग भाषाओं में अनुवाद हुए। हम इसी इस तरह की रोचक जानकारी को आपसे साझा कर रहे हैं। साथ ही बताएंगे कि एक सदी पहले रीवा रियासत के महाराजा से लेकर काशी के संन्यासी और गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा स्थापित किए गए गीता भवनों के बारे में। इन भवनों की प्रसिद्धि इस तरह से फैली कि आज देश के छोटे-बड़े शहरों में गीता भवन,गीता मंदिर और गीता कुंज आश्रम जैसे भवनों में धार्मिक,सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियां चलाई जा रही हैं। 

दारा शिकोह ने गीता और उनके परदादा अकबर ने महाभारत का कराया था फारसी अनुवाद

मुगलों में अकबर और उनके परपौत्र दारा शिकोह ने हिंदुओं के कई ग्रंथों का फारसी में अनुवाद कराया। इनमें अकबर द्वारा महाभारतग्रंथ का फ़ारसी में अनुवाद करने संबंधित हुक्मनामा 1582 का मिलता है। यह हुकमनामा जारी होने के दो साल बाद यानी 1584 से 1586 के बीच 1 लाख श्लोकों का अनुवाद किया गया था। आज भी इस अनुवाद की एक प्रतिलिपि पिंक सिटी जयपुर  के सिटी महल संग्रहालय में सुरक्षित देखी जा सकती है। वहीं अकबर के बाद उनके पौते शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह ने गीता और उपनिषदोंऔर का फ़ारसी अनुवाद किया।

भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखने वाले वारेन हेस्टिंग्स ने अंग्रेजी भाषा में कराया था गीता का अनुवाद

ब्रिटिश राजनीतिज्ञ वारेन हेस्टिंग्स भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखने वालों की पंक्ति में पहला नाम है। जो 1773 से 1785 तकभारत का पहला वास्तविक गवर्नर जनरल रहा।वारेन हेस्टिंग्स ने ही पहली बार गीता का अंग्रेजी में अनुवाद कराया था। उसने स्वीकार किया था कि “श्रीमद्भगवद्गीता महान मौलिकता का प्रदर्शनमानव के उद्भव की पराकाष्ठातर्क और कल्पना का अप्रतिम रुप हैऔरमानव जाति के सभी ज्ञात धर्मों के बीच एकल अपवाद है।

एक सदी पहले रीवा के राजा ने कुरुक्षेत्र स्थापित किया था पहला गीता भवन 

रीवा रियासत के महाराजा लेफ्टिनेंट कर्नल सर वेंकटरमन सिंह जूदेव बहादुर ने कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर के तट पर गीता भवन का निर्माण कराया था। गीता भवन के बारे में एक रोचक जानकारी मिलती है कि इस भवन में पुस्तकालय के निर्माण के लिए आधारशिला रखनेवाले ब्रिटिश गवर्नर एडवर्ड डगलस को स्थानीय तीर्थ पुरोहितों ने गीता भवन में एंट्री नहीं दी थी। ब्रिटिश सत्ता ने पांडुलिपियों और अन्यग्रंथों के लिए कुरुक्षेत्र पुस्तकालय को अनुदान दिया था। 5 अगस्त 1921 को अंग्रेजों ने कुरुक्षेत्र में अधिकृत रुप से कुरुक्षेत्रपुस्तकालय की आधारशिला रखी थी।तब पुस्तकालय का नींव पत्थर रखने आए तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ऑफ पंजाब सर एडवर्डडगलस मेक्लेगन को गीता भवन में प्रवेश करने अनुमति स्थानीय ब्राह्मण पंचायत सभा ने नहीं दी थी।

1 दिसंबर 1933 को बने गीता भवन में बंटवारे के बाद पाकिस्तान में चल रहा है…

1 दिसंबर 1933 दिन शुक्रवार को संयुक्त भारत और वर्तमान में पाकिस्तान के नया शहर एबटाबाद में गीता भवन बनाया गया था। तब इस गीता भवन एवं श्रीकृष्ण मंदिर का लोकार्पण सनातन धर्मसभा हिंदू आश्रम संस्थापक कर्मयोगी श्री स्वामी राघवानंद जी संन्यासी काशी द्वारा विक्रम संवत 1990 मार्ग शीर्ष में पूर्णिमा के दिन किया था। इस भवन पर यह पुराना पत्थर आज भी लगा है। वहीं इस पत्थर के इलावा गीता भवन की दीवारों पर ऊं व कुछ चित्र आज भी मौजूद हैं।

आजादी के बाद 1950 में गोरखपुर प्रेस द्वारा ऋषिकेश में स्थापित किया गीता भवन

गीता भवन उत्तराखंड राज्य के ऋषिकेश शहर में लक्ष्मण झूले को पार गीता भवन है। यह गीता भवन स्वतंत्र भारत में वर्ष 1950 के दौरान गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा बनवाया गया था,जिसमें आज चिकित्सा केंद्र,मंदिर,संकीर्तन भवन, आकर्षक मूर्तियां और 1000 से अधिक कमरे श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए उपलब्ध हैं।

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