आस्ट्रेलिया, जर्मनी सहित 4 देशों में टेराकोटा के खिलौना का शिल्पकार कर चुके है प्रदर्शन
दादा पड़दादा के काल से दिल्ली में कर रहे है टेराकोटा की शिल्पकारी का काम
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र । हरियाणा के झज्जर की मिट्टी को टेराकोटा के खिलौनों में तराशकर दिल्ली के शिल्पकार दयाचंद को वर्ष 2004 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्रमाण पत्र से नवाजा गया। इस शिल्पकार ने अपने टेराकोटा के छोटे-छोटे खिलौनों को ऑस्ट्रिया, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और ओमान आदि देशों में लगी प्रदर्शनियों में विदेशी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने का काम किया। इस महोत्सव में कोरोना काल के बाद पहली बार आए है। हालांकि कोरोना काल से पहले 10 सालों से कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर लगातार आए थे।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2023 में दिल्ली के शिल्पकार दयाचंद ने स्टॉल नंबर 86 पर टेराकोटा के छोटे और बड़े खिलौने पर्यटकों के लिए रखे है। इन खिलौनों की कीमत महज 100 रुपए से लेकर 3 हजार रुपए तक तय की गई है। उन्होंने बातचीत करते हुए कहा कि टेराकोटा की शिल्पकारी का काम उनके दादा-परदादा के समय से किया जा रहा है। इस टेराकोटा के खिलौनों को बनाने के लिए हरियाणा के झज्जर जिला से 8 से 10 हजार रुपए की कीमत से मिट्टी की एक ट्राली मंगवाते है और फिर इस मिट्टी से टेराकोटा के खिलौने तैयार करते है। इन खिलौनों का निर्माण करते-करते वर्ष 2004 में वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से राष्ट्रीय पुरस्कार प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया।
उन्होंने कहा कि महोत्सव में लगातार 10 साल आए और कोरोना महामारी के बाद पहली बार इस महोत्सव में पहुंचे है। इस बार घर और बगीचे की सजावट को चार चांद लगाने के उद्देश्य से विशेष खिलौने तैयार करके लाए है। इन खिलौनों की कीमत यहां आने वाले पर्यटकों के हिसाब से ही रखी गई है। शिल्पकार का कहना है कि भारत सरकार की तरफ से शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक रुप से सहयोग किया जा रहा है। सरकार की तरफ से शिल्पकला सीखने वाले लोगों को 9 हजार रुपए प्रतिमाह और सिखाने वालों को 30 हजार रुपए प्रतिमाह की राशि सीधा दी जाती थी। इसके बाद यह प्रोत्साहन एक एनजीओ के माध्यम से किया जाने लगा। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लांच की गई श्री विश्वकर्मा योजना के बाद फिर से सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ शिल्पकारों का मिलेगा।