Monday, November 25, 2024
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श्रीमद् भागवत कथा में सुनाया भगवान श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग  

by Newz Dex
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विष्णु कॉलोनी के श्री दुर्गा मंदिर में श्रीमदभागवत कथा का पांचवा दिन 

न्यूज़ डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र । विष्णु कॉलोनी के श्री दुर्गा मंदिर में चल रही संगीतमयी श्री मद्भागवत कथा में कथावाचक अशोक कृष्ण ठाकुर (वृंदावन) ने भगवान श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग विस्तार से सुनाया। कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कथावाचक ने कहा कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करते थे। उनके आततायी पुत्र कंस ने उग्रसेन को गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह यदुवंशी वसुदेव से हुआ था। जब कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था तो रास्ते में आकाशवाणी हुई- ‘हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा। यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- ‘मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। वसुदेव-देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। श्री कृष्ण जन्म से कारागार में  कड़े पहरे बैठा दिए गए। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ,उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ ‘माया’ थी। जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े।उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को एक टोकरे में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए।कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए।अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ है।उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- ‘अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह तुझे तेरे पापों का दंड देगा। कथा के दौरान वसुदेव-शिशु कृष्ण की झांकी दिखाई गई और भजनों पर भक्त झूम उठे। भागवत आरती में  पुजारी पण्डित मोहन लाल शर्मा,राजेश सिंगला,संजीव सीकरी,राकेश मंगल,भूषण गर्ग,अरविंद शर्मा,विपिन अग्रवाल,आकाश गुप्ता, हंसराज गुप्ता,रविंद्र भारद्वाज,मोहन लाल मित्तल,राज गौड़,रामपाल गर्ग,श्री निवास गोयल,राजवती देवी, शकुंतला देवी,मंजु सिंगला,ऋतु मंगल,बबीता अग्रवाल,संतोष मित्तल और रेणु  सिंगला सहित बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल रही।

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